हिन्दी सामान्य ज्ञान 4: Difference between revisions
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-आँसू | -आँसू | ||
+कामायनी | +कामायनी | ||
{'दुरित, दुःख, दैन्य न थे जब ज्ञात। पंक्ति अपरिचित जरा- मरण -भ्रू पात।।' पंक्ति के रचनाकार हैं? | {'दुरित, दुःख, दैन्य न थे जब ज्ञात। पंक्ति अपरिचित जरा- मरण -भ्रू पात।।' पंक्ति के रचनाकार हैं? | ||
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-मौन निमंत्रण | -मौन निमंत्रण | ||
-ओ रहस्य | -ओ रहस्य | ||
{'निराला के [[राम]] [[तुलसीदास]] के राम से भिन्न और भवभूति के राम के निकट हैं।' यह कथन किस [[हिन्दी]] आलोचना का है? | {'निराला के [[राम]] [[तुलसीदास]] के राम से भिन्न और भवभूति के राम के निकट हैं।' यह कथन किस [[हिन्दी]] आलोचना का है? | ||
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-अँधेरे में | -अँधेरे में | ||
{ऋतु वसंत का सुप्रभात था। मंद मंद था अनिल बह रहा॥ बालारुण की मृदु किरणें थीं। अगल बगल स्वर्णाभ शिखर थे॥' ये पंक्तियाँ नागार्जुन की किस कविता की हैं? | {ऋतु वसंत का सुप्रभात था। मंद मंद था अनिल बह रहा॥ बालारुण की मृदु किरणें थीं। अगल बगल स्वर्णाभ शिखर थे॥' ये पंक्तियाँ [[नागार्जुन]] की किस कविता की हैं? | ||
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-प्रतिबद्ध हूँ | -प्रतिबद्ध हूँ | ||
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+बादल को घिरते देखा है | +बादल को घिरते देखा है | ||
-सिन्दूर तिलकित भाल | -सिन्दूर तिलकित भाल | ||
{भारतेन्दु कृत 'भारत दुर्दशा' किस साहित्य रूप का हिस्सा है? | {भारतेन्दु कृत 'भारत दुर्दशा' किस साहित्य रूप का हिस्सा है? | ||
Line 106: | Line 77: | ||
-संस्मरण साहित्य | -संस्मरण साहित्य | ||
-जीवनी साहित्य | -जीवनी साहित्य | ||
{'जो अपनी जान खपाते हैं, उनका हक उन लोगों से ज्यादा है, जो केवल रुपया लगाते हैं।' यह कथन 'गोदान' के किस पात्र द्वारा कहा गया है? | {'जो अपनी जान खपाते हैं, उनका हक उन लोगों से ज्यादा है, जो केवल रुपया लगाते हैं।' यह कथन 'गोदान' के किस पात्र द्वारा कहा गया है? | ||
Line 142: | Line 99: | ||
-धातुसेन | -धातुसेन | ||
{'विश्व -प्रेम, सर्व-भूत | {'विश्व -प्रेम, सर्व-भूत हित-कामना परम धर्म हैः परंतु इसका अर्थ यह नहीं हो सकता कि अपने पर प्रेम न हो।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है? | ||
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-बंधु वर्मा | -बंधु वर्मा | ||
Line 153: | Line 110: | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-सरदार पूर्णसिंह का | -सरदार पूर्णसिंह का | ||
+रामचन्द्र शुक्ल का | +[[रामचन्द्र शुक्ल]] का | ||
-महावीर प्रसाद द्विवेदी का | -[[महावीर प्रसाद द्विवेदी]] का | ||
-बालकृष्ण भट्ट का | -बालकृष्ण भट्ट का | ||
{'रस मीमांसा' रस -सिद्धांत से सम्बन्धित पुस्तक है, इस पुस्तक के लेखक हैं? | {'रस मीमांसा' रस -सिद्धांत से सम्बन्धित पुस्तक है, इस पुस्तक के लेखक हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-डॉ. श्यामसुन्दर दास | -[[डॉ. श्यामसुन्दर दास]] | ||
-डॉ. गुलाब राय | -डॉ. गुलाब राय | ||
-डॉ. नगेन्द्र | -डॉ. नगेन्द्र | ||
+आचार्य रामचन्द्र शुक्ल | +[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] | ||
{'यह युग (भारतेन्दु) बच्चे के समान हँसता-खेलता आया था, जिसमें बच्चों की सी निश्छलता' अक्खड़पन, सरलता और तन्मयता थी।' यह कथन किस आलोचक का है? | {'यह युग (भारतेन्दु) बच्चे के समान हँसता-खेलता आया था, जिसमें बच्चों की सी निश्छलता' अक्खड़पन, सरलता और तन्मयता थी।' यह कथन किस आलोचक का है? | ||
Line 168: | Line 125: | ||
-डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल | -डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल | ||
-डॉ. रामविलास शर्मा | -डॉ. रामविलास शर्मा | ||
-डॉ. | -[[डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी]] | ||
+आचार्य रामचन्द्र शुक्ल | +[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] | ||
{मनुष्य से बड़ा है उसका अपना विश्वास और उसका ही रचा हुआ विधान। अपने विवशता अनुभव करता है और स्वयं ही वह उसे बदल भी देता है॥' यह कथन किस उपन्यासकार ने लिखा है? | {मनुष्य से बड़ा है उसका अपना विश्वास और उसका ही रचा हुआ विधान। अपने आप में विवशता का अनुभव करता है और स्वयं ही वह उसे बदल भी देता है॥' यह कथन किस उपन्यासकार ने लिखा है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचन्द्र]] | -[[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचन्द्र]] | ||
-भगवतीचरण वर्मा | -भगवतीचरण वर्मा | ||
+ | +[[हजारी प्रसाद द्विवेदी]] | ||
-यशपाल | -यशपाल | ||
{'अपने अतीत का मनन और मंथन हम भविष्य के लिए संकेत पाने के प्रयोजन से करते हैं।' यह कथन किस उपन्यासकार का है? | {'अपने अतीत का मनन और मंथन हम भविष्य के लिए संकेत पाने के प्रयोजन से करते हैं।' यह कथन किस उपन्यासकार का है? | ||
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+ | +[[हजारी प्रसाद द्विवेदी]] | ||
-यशपाल | -यशपाल | ||
-वृन्दावनलाल वर्मा | -वृन्दावनलाल वर्मा |
Revision as of 07:11, 31 December 2010
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