पसली: Difference between revisions
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मनुष्य के वक्षीय कटघरे में 12 जोड़ी लम्बी, सँकरी, पट्टीनुमा पसलियाँ होती हैं। ये कमान की भाँति झुकी हुई व पीछे की ओर वक्षीय कशेरुकाओं से तथा आगे की ओर उरोस्थि से सन्धित रहती हैं। नीचे की 11वीं तथा 12वीं जोड़ी की पसलियों के अन्तिम सिरे स्वतंत्र रहते हैं। इन्हें प्लावी पसलियाँ कहते हैं। | मनुष्य के वक्षीय कटघरे में 12 जोड़ी लम्बी, सँकरी, पट्टीनुमा पसलियाँ होती हैं। ये कमान की भाँति झुकी हुई व पीछे की ओर वक्षीय कशेरुकाओं से तथा आगे की ओर उरोस्थि से सन्धित रहती हैं। नीचे की 11वीं तथा 12वीं जोड़ी की पसलियों के अन्तिम सिरे स्वतंत्र रहते हैं। इन्हें प्लावी पसलियाँ कहते हैं। |
Revision as of 08:40, 27 February 2011
(अंग्रेज़ी:Ribs) पसली अधिकांश जीव जंतुओं के शरीर के आवश्यक अंग हैं। इस लेख में मानव शरीर से संबंधित उल्लेख है। उरोस्थि के साथ मिलकर पसलियाँ वक्ष पिंजर का निर्माण करती हैं। इसके अन्दर हृदय और फेफड़े सुरक्षित रहते हैं। पसलियाँ संख्या में 24 होती हैं तथा वक्ष में दोनों ओर 12-12 स्थित होती हैं।
मनुष्य के वक्षीय कटघरे में 12 जोड़ी लम्बी, सँकरी, पट्टीनुमा पसलियाँ होती हैं। ये कमान की भाँति झुकी हुई व पीछे की ओर वक्षीय कशेरुकाओं से तथा आगे की ओर उरोस्थि से सन्धित रहती हैं। नीचे की 11वीं तथा 12वीं जोड़ी की पसलियों के अन्तिम सिरे स्वतंत्र रहते हैं। इन्हें प्लावी पसलियाँ कहते हैं।
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