रावण हत्था: Difference between revisions
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Revision as of 07:48, 27 May 2011
- रावण हत्था / रावण हस्त वीणा या रावणस्त्रोम / Ravanastron
रावण हत्था प्रमुख रूप से राजस्थान और गुजरात में प्रयोग में लाया जाता रहा है। यह राजस्थान का एक लोक वाद्य है। पौराणिक साहित्य और हिन्दू परम्परा की मान्यता है कि ईसा से 3000 वर्ष पूर्व लंका के राजा रावण ने इसका आविष्कार किया था और आज भी यह चलन में है। रावण के ही नाम पर इसे रावण हत्था या रावण हस्त वीणा कहा जाता है। यह संभव है कि वर्तमान में इसका रूप कुछ बदल गया हो लेकिन इसे देखकर ऐसा लगता नहीं है। कुछ लेखकों द्वारा इसे वायलिन का पूर्वज भी माना जाता है।
इसे धनुष जैसी मींड़ और लगभग डेढ़-दो इंच व्यास वाले बाँस से बनाया जाता है। एक अधकटी सूखी लौकी या नारियल के खोल पर पशुचर्म अथवा साँप के केंचुली को मँढ़ कर एक से चार संख्या में तार खींच कर बाँस के लगभग समानान्तर बाँधे जाते हैं। यह मधुर ध्वनि उत्पन्न करता है।