मत्स्य महाजनपद: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "ॠग्वेद " to "ऋग्वेद ") |
||
Line 10: | Line 10: | ||
*[[पांडव|पांडवों]] ने मत्स्य देश में विराट के यहाँ रह कर अपने [[अज्ञातवास]] का एक वर्ष बिताया था।<ref>महाभारत, उद्योगपर्व</ref>। | *[[पांडव|पांडवों]] ने मत्स्य देश में विराट के यहाँ रह कर अपने [[अज्ञातवास]] का एक वर्ष बिताया था।<ref>महाभारत, उद्योगपर्व</ref>। | ||
== | == ऋग्वेद में उल्लेख== | ||
मत्स्य निवासियों का सर्वप्रथम उल्लेख [[ॠग्वेद]] में है<ref>पुरोला इत्तुर्वशो यक्षुरासीद्राये मत्स्यासोनिशिता अपीव, श्रुष्ट्रिञ्चकु भृगवोद्रुह्यवश्च सखा सखायामतरद्विषूचो: | मत्स्य निवासियों का सर्वप्रथम उल्लेख [[ॠग्वेद]] में है<ref>पुरोला इत्तुर्वशो यक्षुरासीद्राये मत्स्यासोनिशिता अपीव, श्रुष्ट्रिञ्चकु भृगवोद्रुह्यवश्च सखा सखायामतरद्विषूचो: ऋग्वेद 7,18,6</ref>। इस उद्धरण में मत्स्यों का वैदिक काल के प्रसिद्ध राजा [[सुदास]] के शत्रुओं के साथ उल्लेख है। | ||
==ग्रन्थों में उल्लेख== | ==ग्रन्थों में उल्लेख== | ||
[[शतपथ ब्राह्मण]]<ref>शतपथ ब्राह्मण 13,5,4,9</ref> में मत्स्य-नरेश ध्वसन [[द्वैतवन]] का उल्लेख है, जिसने [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] के तट पर [[अश्वमेध यज्ञ]] किया था। इस उल्लेख से मत्स्य देश में सरस्वती तथा द्वैतवन सरोवर की स्थिति सूचित होती है। [[गोपथ ब्राह्मण]]<ref>गोपथ ब्राह्मण (1-2-9)</ref> में मत्स्यों को शाल्वों और [[कौषीतकि ब्राह्मणोपनिषद|कौशीतकी उपनिषद]]<ref>उपनिषद 14, 1</ref> में [[कुरु महाजनपद|कुरु]]-[[ पांचाल|पंचालों]] से सम्बद्ध बताया गया है। | [[शतपथ ब्राह्मण]]<ref>शतपथ ब्राह्मण 13,5,4,9</ref> में मत्स्य-नरेश ध्वसन [[द्वैतवन]] का उल्लेख है, जिसने [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] के तट पर [[अश्वमेध यज्ञ]] किया था। इस उल्लेख से मत्स्य देश में सरस्वती तथा द्वैतवन सरोवर की स्थिति सूचित होती है। [[गोपथ ब्राह्मण]]<ref>गोपथ ब्राह्मण (1-2-9)</ref> में मत्स्यों को शाल्वों और [[कौषीतकि ब्राह्मणोपनिषद|कौशीतकी उपनिषद]]<ref>उपनिषद 14, 1</ref> में [[कुरु महाजनपद|कुरु]]-[[ पांचाल|पंचालों]] से सम्बद्ध बताया गया है। |
Revision as of 11:59, 7 June 2011
मत्स्य / मच्छ महाजनपद
thumb|300px|मत्स्य महाजनपद
Matsya Great Realm
मत्स्य 16 महाजनपदों में से एक है। इसमें राजस्थान के अलवर, भरतपुर तथा जयपुर ज़िले के क्षेत्र शामिल थे। महाभारत काल का एक प्रसिद्ध जनपद जिसकी स्थिति अलवर-जयपुर के परिवर्ती प्रदेश में मानी गई है। इस देश में विराट का राज था तथा वहाँ की राजधानी उपप्लव नामक नगर में थी। विराट नगर मत्स्य देश का दूसरा प्रमुख नगर था।
दिग्विजय यात्रा
- सहदेव ने अपनी दिग्विजय-यात्रा में मत्स्य देश पर विजय प्राप्त की थी[1]।
- भीम ने भी मत्स्यों को विजित किया था।[2]।
- अलवर के एक भाग में शाल्व देश था जो मत्स्य का पार्श्ववती जनपद था।
- पांडवों ने मत्स्य देश में विराट के यहाँ रह कर अपने अज्ञातवास का एक वर्ष बिताया था।[3]।
ऋग्वेद में उल्लेख
मत्स्य निवासियों का सर्वप्रथम उल्लेख ॠग्वेद में है[4]। इस उद्धरण में मत्स्यों का वैदिक काल के प्रसिद्ध राजा सुदास के शत्रुओं के साथ उल्लेख है।
ग्रन्थों में उल्लेख
शतपथ ब्राह्मण[5] में मत्स्य-नरेश ध्वसन द्वैतवन का उल्लेख है, जिसने सरस्वती के तट पर अश्वमेध यज्ञ किया था। इस उल्लेख से मत्स्य देश में सरस्वती तथा द्वैतवन सरोवर की स्थिति सूचित होती है। गोपथ ब्राह्मण[6] में मत्स्यों को शाल्वों और कौशीतकी उपनिषद[7] में कुरु-पंचालों से सम्बद्ध बताया गया है।
महाभारत में उल्लेख
- महाभारत में इनका त्रिगर्तों और चेदियों के साथ भी उल्लेख है[8]।
- मनुसंहिता में मत्स्यवासियों को पांचाल और शूरसेन के निवासियों के साथ ही ब्रह्मर्षि-देश में स्थित माना है[9]।
- उड़ीसा की भूतपूर्व मयूरभंज रियासत में प्रचलित जनश्रुति के अनुसार मत्स्य देश सतियापारा (ज़िला मयूरभंज) का प्राचीन नाम था। उपर्युक्त विवेचन से मत्स्य की स्थिति पूर्वोत्तर राजस्थान में सिद्ध होती है किन्तु इस किंवदंती का आधार शायद तह तथ्य है कि मत्स्यों की एक शाखा मध्य काल के पूर्व विजिगापटम (आन्ध्र प्रदेश) के निकट जा कर बस गई थी[10]। उड़ीसा के राजा जयत्सेन ने अपनी कन्या प्रभावती का विवाह मत्स्यवंशीय सत्यमार्तड से किया था जिनका वंशज 1269 ई. में अर्जुन नामक व्यक्ति था। सम्भव है प्राचीन मत्स्य देश की पांडवों से संबंधित किंवदंतियाँ उड़ीसा में मत्स्यों की इसी शाखा द्वारा पहुँची हो[11]।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ‘मत्स्यराजं च कौरव्यो वशे चके बलाद्बली’ महाभारत सभापर्व 31,2
- ↑ ‘ततो मत्स्यान् महातेजा मलदांश्च महाबलान्’ महाभारत, सभापर्व 30,9
- ↑ महाभारत, उद्योगपर्व
- ↑ पुरोला इत्तुर्वशो यक्षुरासीद्राये मत्स्यासोनिशिता अपीव, श्रुष्ट्रिञ्चकु भृगवोद्रुह्यवश्च सखा सखायामतरद्विषूचो: ऋग्वेद 7,18,6
- ↑ शतपथ ब्राह्मण 13,5,4,9
- ↑ गोपथ ब्राह्मण (1-2-9)
- ↑ उपनिषद 14, 1
- ↑ ‘सहजश्चेदिमत्स्यानां प्रवीराणां वृषध्वज:’ महाभारत, उद्योगपर्व 74-16
- ↑ ‘कुरुक्षेत्रं च मत्स्याश्च पंचाला शूरसेनका: एष ब्रह्मर्षि देशो वै ब्रह्मवतदिनंतर:’मनुस्मृति 2,19
- ↑ दिब्बिड़ ताम्रपत्र, एपिग्राफिका इंडिया, 5,108
- ↑ अपर मत्स्य
संबंधित लेख