रानी राजेश्वरी देवी: Difference between revisions
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Revision as of 07:32, 28 June 2011
- बेगम हज़रत महल के बाद अवध के मुक्ति संग्राम में जिस दूसरी वीरांगना ने प्रमुखता से भाग लिया, वे थीं गोण्डा से 40 किलोमीटर दूर तुलसीपुर रियासत की रानी राजेश्वरी देवी।
- राजेश्वरी देवी ने होपग्राण्ट के सैनिक दस्तों से जमकर मुक़ाबला लिया।
- अवध की बेगम आलिया ने भी अपने अद्भुत कारनामों से अंग्रेज़ी हुकूमत को चुनौती दी।
- बेगम आलिया 1857 के एक वर्ष पूर्व से ही अपनी सेना में शामिल महिलाओं को शस्त्रकला में प्रशिक्षण देकर सम्भावित क्रांति की योजनाओं को मूर्त रूप देने में संलग्न हो गयी थीं।
- अपने महिला गुप्तचर के गुप्त भेदों के माध्यम से बेगम आलिया ने समय-समय पर ब्रिटिश सैनिकों से युद्ध किया और कई बार अवध से उन्हें भगाया।
- इसी प्रकार अवध के सलोन ज़िले में सिमरपहा के तालुकदार वसंत सिंह बैस की पत्नी और बाराबंकी के मिर्जापुर रियासत की रानी तलमुंद कोइर भी इस संग्राम में सक्रिय रहीं।
- अवध के सलोन ज़िले में भदरी की तालुकदार ठकुराइन सन्नाथ कोइर ने विद्रोही नाज़िम फ़ज़ल अजीम को अपने कुछ सैनिक और तोपें, तो मनियारपुर की सोगरा बीबी ने अपने 400 सैनिक और दो तोपें सुल्तानपुर के नाजिम और प्रमुख विद्रोही नेता मेंहदी हसन को दी।
- इन सभी ने बिना इस बात की परवाह किये हुये कि उनके इस सहयोग का अंजाम क्या होगा, क्रांतिकारियों को पूरी सहायता दी।
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