हिन्दुस्तानी संगीत: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (हिंदुस्तानी संगीत का नाम बदलकर हिन्दुस्तानी संगीत कर दिया गया है)
(No difference)

Revision as of 07:34, 6 October 2011

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

[[चित्र:Alla-Rakha.jpg|thumb|अल्ला रक्खा ख़ाँ]] उत्तरी भारत और पाकिस्तान का शास्त्रीय संगीत 12वीं सदी के अंत एवं 13वीं सदी की शुरुआत में उपमहाद्वीप के उत्तरी हिस्सों पर इस्लामी जीत के कारण अरबी एवं ईरानी संगित शैलियों पर ज़ोर दिया गया। बाद में ये शैलियाँ प्राचीन भारतीय परंपराओं के साथ घुलमिल गई, परिणामतः एक नई विशिष्ट शैली का विकास हुआ। इससे हिंदुस्तानी संगीत में नए आयाम जुड़े। प्राचीन भारतीय परंपरा दक्षिण भारत में विदेशी प्रभाव में क़ायम रही, जिसकी सीमा मोटे तौर पर आंध्र प्रदेश में हैदराबाद शहर है।

उत्तरी और दक्षिणी भारत के संगीत में रागों के मूल लयात्मक सिद्धांतों एवं ताल के सुर संबंधी सिद्धांतों में समरुपता है, लेकिन उनकी शैलीयों एवं वर्गीकरण में क़ाफी भिन्नता है। उत्तरी संगीत में वाद्य संगीत ज्यादा प्रबल है, जिसमें विभिन्न वाद्य यंत्र अधिक संख्या में प्रयुक्त होते हैं; और कुछ शुद्ध वाद्य यंत्र विधाएँ हैं, जैसे गत, जिसमें किसी हद तक एक ही धुन को विभिन्न विधियों से प्रस्तुत किया जाता है।

हिंदुस्तानी संगीत को दक्षिण के संगीत की तुलना में ज़्यादा भावप्रद एवं रूमानी माना जाता है। उदाहरणस्वरूप आलाप में लंबी तान उनींदी विह्वलता पैदा कर सकती है। चरणबद्ध तरीक़े से द्रुत से द्रुत ताल, कभी-कभी ताल की संरचना में सहवर्ती परिवर्तनों के साथ, हिंदुस्तानी संगीत की विशेषता है।  

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख