चट्टल शक्तिपीठ: Difference between revisions
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Revision as of 07:52, 14 February 2012
हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आया। ये अत्यंत पावन तीर्थ कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है। चट्टल, 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है।
- देवी का यह पीठ बांग्लादेश में चटगाँव से 38 किलोमीटर दूर सीताकुण्ड स्टेशन के पास चंद्रशेखर पर्वत पर स्थित भवानी मंदिर है।
- समुद्रतल से 350 मीटर की ऊँचाई पर यहाँ चंद्रशेखर शिव का भी मंदिर है।
- यहाँ सती की "दाहिनी भुजा" का निपात हुआ था।
- यहाँ की शक्ति "भवानी" तथा शिव "चंद्रशेखर" हैं।
- यहीं पर पास में ही सीताकुण्ड, व्यासकुण्ड, सूर्यकुण्ड, ब्रह्मकुण्ड, बाड़व कुण्ड, लवणाक्ष तीर्थ, सहस्त्रधारा, जनकोटि शिव भी हैं।
- बाडव कुण्ड से निरंतर आग निकलती रहती है।
- शिवरात्रि को यहाँ भारी मेला लगता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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