क्लीसोबोरा: Difference between revisions

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Revision as of 14:20, 30 May 2010

चंद्रगुप्त मौर्य के समय में भारत में आए हुए यूनानी राजदूत मैगस्थनीज़ ने अपने इंडिका नामक ग्रंथ में इस स्थान का शूरसेन लोगों के एक बड़े नगर के रूप में उल्लेख किया है। एरियन नामक एक अन्य यूनानी लेखक ने मेगेस्थनीज के लेख का उद्धरण देते हुए लिखा है कि शौरसेनाई लोग हेराक्लीज (श्रीकृष्ण) को बहुत आदर की दृष्टि से देखते हैं। इनके दो बड़े नगर हैं-

  • मेथोरा (मथुरा) और
  • क्लीसोबोरा।

उनके राज्य में जोबरस या जोमनस (यमुना) नदी बहती है जिसमें नावें चलती है। प्राचीन रोम के इतिहास लेखक प्लिनी ने मैगस्थनीज़ के लेख का निर्देश करते हुए लिखा है कि जोमनस या यमुना, मेथोरा और क्लीसोबोरा के बीच से बहती है। प्लिनी के लेख से इंगित होता है कि यूनानियों ने शायद गोकुल को ही क्लीसोबोरा कहा है क्योंकि यमुना के आमने-सामने गोकुल और मथुरा-ये दो महत्वपूर्ण नगर सदा से प्रसिद्ध रहे हैं किंतु गोकुल का यूनानी उच्चारण क्लीसोबोरा किस प्रकार हुआ यह तथ्य संदेहास्पद है। मेक्किंडल (एंशेंट इंडिया एज डेस्काइब्ड बाई मेगेस्थनीज, पृ0 140) के अनुसार क्लीसोबोरा का संस्कृत रूपांतर 'कृष्णपुर' होना चाहिए। यह शायद उस समय गोकुल को जनसामान्य का दिया हुआ नाम हो।


जनरल एलेक्जेंडर कनिंघम ने भारतीय भूगोल लिखते समय यह माना कि क्लीसीबोरा नाम वृन्दावन के लिए है । इसके विषय में उन्होंने लिखा है कि कालिय नाग के वृन्दावन निवास के कारण यह नगर `कालिकावर्त' नाम से जाना गया । यूनानी लेखकों के क्लीसोबोरा का पाठ वे `कालिसोबोर्क' या `कालिकोबोर्त' मानते हैं । उन्हें इंडिका की एक प्राचीन प्रति में `काइरिसोबोर्क' पाठ मिला, जिससे उनके इस अनुमान को बल मिला । [1] परंतु सम्भवतः कनिंघम का यह अनुमान सही नहीं है ।

वृन्दावन में रहने वाले के नाग का नाम, जिसका दमन श्रीकृष्ण ने किया, कालिय मिलता है ,कालिक नहीं । पुराणों या अन्य किसी साहित्य में वृन्दावन की संज्ञा कालियावर्त या कालिकावर्त नहीं मिलती । अगर क्लीसोबोरा को वृन्दावन मानें तो प्लिनी का कथन कि मथुरा और क्लीसोबोरा के मध्य यमुना नदी बहती थी, असंगत सिद्ध होगा, क्योंकि वृन्दावन और मथुरा दोनों ही यमुना नदी के एक ही ओर हैं ।


अन्य विद्धानों ने मथुरा को 'केशवपुरा' अथवा 'आगरा ज़िला का बटेश्वर [प्राचीन शौरीपुर]' माना है । मथुरा और वृन्दावन यमुना नदी के एक ओर उसके दक्षिणी तट पर स्थित है जब कि मैगस्थनीज के विवरण के आधार पर 'एरियन' और 'प्लिनी' ने यमुना नदी दोनों नगरों के बीच में बहने का विवरण किया है । केशवपुरा, जिसे श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास का वर्तमान मुहल्ला मल्लपुरा बताया गया है, उस समय में मथुरा नगर ही था । ग्राउस ने क्लीसोवोरा को वर्तमान महावन माना है जिसे श्री कृष्णदत्त वाजपेयी ने युक्तिसंगत नहीं बतलाया है ।


कनिंघम ने अपनी 1882-83 की खोज-रिपोर्ट में क्लीसोबोरा के विषय में अपना मत बदल कर इस शब्द का मूलरूप `केशवपुरा'[2] माना है और उसकी पहचान उन्होंने केशवपुरा या कटरा केशवदेव से की है । केशव या श्रीकृष्ण का जन्मस्थान होने के कारण यह स्थान केशवपुरा कहलाता है । कनिंघम का मत है कि उस समय में यमुना की प्रधान धारा वर्तमान कटरा केशवदेव की पूर्वी दीवाल के नीचे से बहती रही होगी और दूसरी ओर मथुरा शहर रहा होगा । कटरा के कुछ आगे से दक्षिण-पूर्व की ओर मुड़ कर यमुना की वर्तमान बड़ी धारा में मिलती रही होगी । [3] जनरल कनिंघम का यह मत विचारणीय है । यह कहा जा सकता है । कि किसी काल में यमुना की प्रधान धारा या उसकी एक बड़ी शाखा वर्तमान कटरा के नीचे से बहती रही हो और इस धारा के दोनों तरफ नगर रहा हो, मथुरा से भिन्न `केशवपुर' या `कृष्णपुर' नाम का नगर वर्तमान कटरा केशवदेव और उसके आस-पास होता तो उसका उल्लेख पुराणों या अन्य सहित्य में अवश्य होता ।


प्राचीन साहित्य में मथुरा का विवरण मिलता है पर कृष्णपुर या केशवपुर नामक नगर का पृथक् उल्लेख कहीं प्राप्त नहीं होता । अत: यह तर्कसम्मत है कि यूनानी लेखकों ने भूलवश मथुरा और कृष्णपुर [केशवपुर] को, जो वास्तव में एक ही थे, अलग-अलग लिख दिया है । लोगों ने मैगस्थनीज़ को बताया होगा कि शूरसेन राज्य की राजधानी मथुरा केशव-पुरी है और भाषा के अल्पज्ञान के कारण सम्भवतः इन दोनों नामों को अलग जान कर उनका उल्लेख अलग-अलग नगर के रूप में किया हो । शूरसेन जनपद में यदि मथुरा और कृष्णपुर नामक दो प्रसिद्ध नगर होते तो मैगस्थनीज़ के पहले उत्तर भारत के राज्यों का जो वर्णन साहित्य [विशेषकर बौद्ध एवं जैन ग्रंथो] में मिलता है, उसमें शूरसेन राज्य के मथुरा नगर का विवरण है ,राज्य के दूसरे प्रमुख नगर कृष्णपुर या केशवपुर का भी वर्णन मिलता । परंतु ऐसा विवरण नहीं मिलता । क्लीसोबोरा को महावन मानना भी तर्कसंगत नहीं है [4]

टीका-टिप्पणी

  1. देखिए कनिंघम्स ऎंश्यंट जिओग्रफी आफ इंडिया (कलकत्ता 1924) पृ0 429 ।
  2. लैसन ने भाषा-विज्ञान के आधार पर क्लीसोबोरा का मूल संस्कृत रूप `कृष्णपुर' माना है । उनका अनुमान है कि यह स्थान आगरा में रहा होगा । (इंडिश्चे आल्टरटुम्सकुण्डे, वॉन 1869, जिल्द 1, पृष्ठ 127, नोट 3 ।
  3. कनिंघम-आर्केंओलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, ऐनुअल रिपोर्ट, जिल्द 20 (1882-3), पृ0 31-32।
  4. श्री एफ0 एस0 ग्राउज का अनुमान है कि यूनानियों का क्लीसोबोरा वर्तमान महावन है, देखिए एफ0 एस0 ग्राउज-मथुरा मॅमोयर (द्वितीय सं0, इलाहाबाद 1880), पृ0 257-8 फ्रांसिस विलफोर्ड का मत है कि क्लीसोबोरा वह स्थान है जिसे मुसलमान `मूगूनगर' और हिन्दू `कलिसपुर' कहते हैं-एशियाटिक रिसचेंज (लंदन, 1799), जि0 5, पृ0 270। परंतु उसने यह नहीं लिखा है कि यह मूगू नगर कौन सा है। कर्नल टॉड ने क्लीसोबोरा की पहचान आगरा ज़िले के बटेश्वर से की है (ग्राउज, वही पृ0 258)