कादम्बिनी गांगुली: Difference between revisions
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'''कादम्बिनी गांगुली''' (जन्म- [[18 जुलाई]], [[1861]], [[भागलपुर]], [[बिहार]]; मृत्यु- [[3 अक्टूबर]], [[1923]], [[कलकत्ता]], ब्रिटिश भारत) [[भारत]] की पहली महिला स्नातक और पहली महिला फ़िजीशियन थीं। यही नहीं [[कांग्रेस अधिवेशन]] में सबसे पहले भाषण देने वाली महिला का गौरव भी कादम्बिनी गांगुली को ही प्राप्त है। कादम्बिनी गांगुली पहली दक्षिण एशियाई महिला थीं, जिन्होंने यूरोपियन मेडिसिन में प्रशिक्षण लिया था। इन्होंने कोयला खदानों में काम करने वाली महिलाओं की लचर स्थिति पर भी काफ़ी कार्य किया। [[बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय]] की रचनाओं से कादम्बिनी बहुत प्रभावित थीं। उनमें देशभक्ति की भावना बंकिमचन्द्र की रचनाओं से ही जागृत हुई थी। | '''कादम्बिनी गांगुली''' (जन्म- [[18 जुलाई]], [[1861]], [[भागलपुर]], [[बिहार]]; मृत्यु- [[3 अक्टूबर]], [[1923]], [[कलकत्ता]], ब्रिटिश भारत) [[भारत]] की पहली महिला स्नातक और पहली महिला फ़िजीशियन थीं। यही नहीं [[कांग्रेस अधिवेशन]] में सबसे पहले भाषण देने वाली महिला का गौरव भी कादम्बिनी गांगुली को ही प्राप्त है। कादम्बिनी गांगुली पहली दक्षिण एशियाई महिला थीं, जिन्होंने यूरोपियन मेडिसिन में प्रशिक्षण लिया था। इन्होंने कोयला खदानों में काम करने वाली महिलाओं की लचर स्थिति पर भी काफ़ी कार्य किया। [[बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय]] की रचनाओं से कादम्बिनी बहुत प्रभावित थीं। उनमें देशभक्ति की भावना बंकिमचन्द्र की रचनाओं से ही जागृत हुई थी। | ||
==जन्म तथा शिक्षा== | ==जन्म तथा शिक्षा== | ||
कादम्बिनी गांगुली का जन्म ब्रिटिशकालीन भारत में 18 जुलाई, 1861 ई. में [[भागलपुर]], [[बिहार]] में हुआ था। उनका परिवार चन्दसी (बारीसाल, अब [[बांग्लादेश]] में) से था। इनके [[पिता]] का नाम बृजकिशोर बासु था। उदार विचारों के धनी कादम्बिनी के पिता बृजकिशोर ने पुत्री की शिक्षा पर पूरा ध्यान दिया। कादम्बिनी [[भारत]] की दो में से पहली महिला स्नातक थीं। | कादम्बिनी गांगुली का जन्म ब्रिटिशकालीन भारत में 18 जुलाई, 1861 ई. में [[भागलपुर]], [[बिहार]] में हुआ था। उनका परिवार चन्दसी (बारीसाल, अब [[बांग्लादेश]] में) से था। इनके [[पिता]] का नाम बृजकिशोर बासु था। उदार विचारों के धनी कादम्बिनी के पिता बृजकिशोर ने पुत्री की शिक्षा पर पूरा ध्यान दिया। कादम्बिनी ने [[1882]] में '[[कोलकाता विश्वविद्यालय]]' से बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। वे [[भारत]] की दो में से पहली महिला स्नातक थीं। | ||
====प्रथम महिला चिकित्सक==== | ====प्रथम महिला चिकित्सक==== | ||
'[[ | 'कोलकाता विश्वविद्यालय' से [[1886]] में चिकित्सा शास्त्र की डिग्री लेने वाली भी वे पहली महिला थीं।<ref name="aa">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=149|url=}}</ref> इसके बाद वे विदेश गई और ग्लासगो और ऐडिनबर्ग विश्वविद्यालयों से चिकित्सा की उच्च डिग्रियाँ प्राप्त कीं। देश में भले ही महिलाओं को उच्चतर शिक्षा पाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा हो, लेकिन कादम्बिनी गांगुली के रूप में [[भारत]] को पहली महिला डॉक्टर 19वीं सदी में ही मिल गई थी। कादम्बिनी गांगुली को न सिर्फ भारत की पहला महिला फ़िजीशियन बनने का गौरव हासिल हुआ, बल्कि वे पहली साउथ एशियन महिला थीं, जिन्होंने यूरोपियन मेडिसिन में प्रशिक्षण लिया था। | ||
==महिला उत्थान कार्य== | ==महिला उत्थान कार्य== | ||
[[ब्रह्म समाज]] के नेता द्वारकानाथ गंगोपाध्याय से कादम्बिनी का [[विवाह]] हुआ था। द्वारकानाथ महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए पहले से ही प्रयत्नशील थे। कादम्बिनी इस क्षेत्र में भी उनकी सहायक सिद्ध हुईं। उन्होंने बालिकाओं के विद्यालय में गृह उद्योग स्थापित करने के कार्य को प्रश्रय दिया। [[बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय]] की रचनाओं से कादम्बिनी बहुत प्रभावित थीं। बंकिमचन्द्र की रचनाएँ उनके भीतर देशभक्ति की भावनाएँ उत्पन्न करती थीं। वे सार्वजनिक कार्यों में भाग लेने लगी थीं। | [[ब्रह्म समाज]] के नेता द्वारकानाथ गंगोपाध्याय से कादम्बिनी का [[विवाह]] हुआ था। द्वारकानाथ महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए पहले से ही प्रयत्नशील थे। कादम्बिनी इस क्षेत्र में भी उनकी सहायक सिद्ध हुईं। उन्होंने बालिकाओं के विद्यालय में गृह उद्योग स्थापित करने के कार्य को प्रश्रय दिया। [[बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय]] की रचनाओं से कादम्बिनी बहुत प्रभावित थीं। बंकिमचन्द्र की रचनाएँ उनके भीतर देशभक्ति की भावनाएँ उत्पन्न करती थीं। वे सार्वजनिक कार्यों में भाग लेने लगी थीं। | ||
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वर्ष [[1923]] ई. में कादम्बिनी जी का देहांत हुआ। | वर्ष [[1923]] ई. में कादम्बिनी जी का देहांत हुआ। |
Revision as of 12:02, 26 August 2013
कादम्बिनी गांगुली
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पूरा नाम | कादम्बिनी गांगुली |
जन्म | 18 जुलाई, 1861 |
जन्म भूमि | भागलपुर, बिहार |
मृत्यु | 3 अक्टूबर, 1923 |
मृत्यु स्थान | कलकत्ता, ब्रिटिश भारत |
पति/पत्नी | द्वारकानाथ गंगोपाध्याय |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | चिकित्सा |
भाषा | हिन्दी, अंग्रेज़ी |
शिक्षा | चिकित्सा शास्त्र |
विद्यालय | कोलकाता विश्वविद्यालय, ग्लासगो और ऐडिनबर्ग विश्वविद्यालय। |
नागरिकता | भारतीय |
विशेष | कादम्बिनी गांगुली पहली दक्षिण एशियाई महिला थीं, जिन्होंने यूरोपियन मेडिसिन में प्रशिक्षण लिया था। |
अन्य जानकारी | कांग्रेस के 1889 के मद्रास अधिवेशन में उन्होंने भाग लिया और भाषण दिया। संस्था के उस समय तक के इतिहास में भाषण देने वाली कादम्बिनी पहली महिला थीं। |
कादम्बिनी गांगुली (जन्म- 18 जुलाई, 1861, भागलपुर, बिहार; मृत्यु- 3 अक्टूबर, 1923, कलकत्ता, ब्रिटिश भारत) भारत की पहली महिला स्नातक और पहली महिला फ़िजीशियन थीं। यही नहीं कांग्रेस अधिवेशन में सबसे पहले भाषण देने वाली महिला का गौरव भी कादम्बिनी गांगुली को ही प्राप्त है। कादम्बिनी गांगुली पहली दक्षिण एशियाई महिला थीं, जिन्होंने यूरोपियन मेडिसिन में प्रशिक्षण लिया था। इन्होंने कोयला खदानों में काम करने वाली महिलाओं की लचर स्थिति पर भी काफ़ी कार्य किया। बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय की रचनाओं से कादम्बिनी बहुत प्रभावित थीं। उनमें देशभक्ति की भावना बंकिमचन्द्र की रचनाओं से ही जागृत हुई थी।
जन्म तथा शिक्षा
कादम्बिनी गांगुली का जन्म ब्रिटिशकालीन भारत में 18 जुलाई, 1861 ई. में भागलपुर, बिहार में हुआ था। उनका परिवार चन्दसी (बारीसाल, अब बांग्लादेश में) से था। इनके पिता का नाम बृजकिशोर बासु था। उदार विचारों के धनी कादम्बिनी के पिता बृजकिशोर ने पुत्री की शिक्षा पर पूरा ध्यान दिया। कादम्बिनी ने 1882 में 'कोलकाता विश्वविद्यालय' से बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। वे भारत की दो में से पहली महिला स्नातक थीं।
प्रथम महिला चिकित्सक
'कोलकाता विश्वविद्यालय' से 1886 में चिकित्सा शास्त्र की डिग्री लेने वाली भी वे पहली महिला थीं।[1] इसके बाद वे विदेश गई और ग्लासगो और ऐडिनबर्ग विश्वविद्यालयों से चिकित्सा की उच्च डिग्रियाँ प्राप्त कीं। देश में भले ही महिलाओं को उच्चतर शिक्षा पाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा हो, लेकिन कादम्बिनी गांगुली के रूप में भारत को पहली महिला डॉक्टर 19वीं सदी में ही मिल गई थी। कादम्बिनी गांगुली को न सिर्फ भारत की पहला महिला फ़िजीशियन बनने का गौरव हासिल हुआ, बल्कि वे पहली साउथ एशियन महिला थीं, जिन्होंने यूरोपियन मेडिसिन में प्रशिक्षण लिया था।
महिला उत्थान कार्य
ब्रह्म समाज के नेता द्वारकानाथ गंगोपाध्याय से कादम्बिनी का विवाह हुआ था। द्वारकानाथ महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए पहले से ही प्रयत्नशील थे। कादम्बिनी इस क्षेत्र में भी उनकी सहायक सिद्ध हुईं। उन्होंने बालिकाओं के विद्यालय में गृह उद्योग स्थापित करने के कार्य को प्रश्रय दिया। बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय की रचनाओं से कादम्बिनी बहुत प्रभावित थीं। बंकिमचन्द्र की रचनाएँ उनके भीतर देशभक्ति की भावनाएँ उत्पन्न करती थीं। वे सार्वजनिक कार्यों में भाग लेने लगी थीं।
सम्मेलन की अध्यक्षता
कांग्रेस के 1889 के मद्रास अधिवेशन में उन्होंने भाग लिया और भाषण दिया। संस्था के उस समय तक के इतिहास में भाषण देने वाली कादम्बिनी पहली महिला थीं। 1906 ई. की कोलकाता कांग्रेस के अवसर पर आयोजित महिला सम्मेलन की अध्यक्षता भी कादम्बिनी जी ने ही की थी। महात्मा गाँधी उन दिनों अफ़्रीका में रंगभेद के विरुद्ध 'सत्याग्रह आन्दोलन' चला रहे थे। कादम्बिनी ने उस आन्दोलन की सहायता के लिए कोलकाता में चन्दा जमा किया। 1914 ई. में जब गाँधीजी कोलकाता आये तो उनके सम्मान में आयोजित सभा की अध्यक्षता भी कादम्बिनी ने ही की।[1]
निधन
वर्ष 1923 ई. में कादम्बिनी जी का देहांत हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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