एडवर्ड जेनर: Difference between revisions
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|अन्य जानकारी=अपने विद्यार्थी जीवन काल में ही एडवर्ड जेनर ने कैप्टेन कुक की समुद्री यात्रा से प्राप्त प्राणिशास्त्रीय नमूनों को व्यवस्थित करना प्रारम्भ कर दिया और शोध कार्य में लग गए थे। | |||
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'''एडवर्ड जेनर''' (जन्म- [[17 मई]], 1749; मृत्यु- [[26 जनवरी]], 1823) एक प्रसिद्ध कायचिकित्सक थे। विश्व में इनका नाम इसलिए भी प्रसिद्ध है कि इन्होंने '[[चेचक]]' के टीके का आविष्कार किया था। एडवर्ड जेनर के इस आविष्कार से आज करोड़ों लोग चेचक जैसी घातक बीमारी से ठीक हो रहे हैं और अपने जीवन का आनन्द ले रहे हैं। यदि एडवर्ड जेनर नहीं होते तो आज सम्पूर्ण दुनिया के 1.5 करोड़ लोग प्रतिवर्ष सिर्फ़ 'चेचक' के द्वारा काल के ग्रास बन रहे होते। | '''एडवर्ड जेनर''' (जन्म- [[17 मई]], 1749; मृत्यु- [[26 जनवरी]], 1823) एक प्रसिद्ध कायचिकित्सक थे। विश्व में इनका नाम इसलिए भी प्रसिद्ध है कि इन्होंने '[[चेचक]]' के टीके का आविष्कार किया था। एडवर्ड जेनर के इस आविष्कार से आज करोड़ों लोग चेचक जैसी घातक बीमारी से ठीक हो रहे हैं और अपने जीवन का आनन्द ले रहे हैं। यदि एडवर्ड जेनर नहीं होते तो आज सम्पूर्ण दुनिया के 1.5 करोड़ लोग प्रतिवर्ष सिर्फ़ 'चेचक' के द्वारा काल के ग्रास बन रहे होते। | ||
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Revision as of 12:32, 9 February 2014
एडवर्ड जेनर
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पूरा नाम | एडवर्ड जेनर |
जन्म | 17 मई, 1749 |
जन्म भूमि | बर्कले |
मृत्यु | 26 जनवरी, 1823 |
कर्म-क्षेत्र | चिकित्सक |
पुरस्कार-उपाधि | 'आक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय' द्वारा 'एम. डी.' की उपाधि से सम्मानित। |
विशेष योगदान | एडवर्ड जेनर ने 'चेचक' के टीके का आविष्कार किया और इस बीमारी को समाप्त करने में बहुमूल्य योगदान दिया। |
संबंधित लेख | चेचक |
अन्य जानकारी | अपने विद्यार्थी जीवन काल में ही एडवर्ड जेनर ने कैप्टेन कुक की समुद्री यात्रा से प्राप्त प्राणिशास्त्रीय नमूनों को व्यवस्थित करना प्रारम्भ कर दिया और शोध कार्य में लग गए थे। |
एडवर्ड जेनर (जन्म- 17 मई, 1749; मृत्यु- 26 जनवरी, 1823) एक प्रसिद्ध कायचिकित्सक थे। विश्व में इनका नाम इसलिए भी प्रसिद्ध है कि इन्होंने 'चेचक' के टीके का आविष्कार किया था। एडवर्ड जेनर के इस आविष्कार से आज करोड़ों लोग चेचक जैसी घातक बीमारी से ठीक हो रहे हैं और अपने जीवन का आनन्द ले रहे हैं। यदि एडवर्ड जेनर नहीं होते तो आज सम्पूर्ण दुनिया के 1.5 करोड़ लोग प्रतिवर्ष सिर्फ़ 'चेचक' के द्वारा काल के ग्रास बन रहे होते।
जन्म तथा शिक्षा
एडवर्ड जेनर का जन्म 17 मई, 1749 ई. में बर्कले में हुआ था। 'उट्टन' में अपनी प्रारंभिक शिक्षा समाप्त करने के उपरांत ये सन 1770 में लंदन गय थे और सन 1792 में 'ऐंड्रय्ज कॉलेज' से एम. डी. की उपाधि प्राप्त की।[1]
शोध कार्य
अपने विद्यार्थी जीवन काल में ही एडवर्ड जेनर ने कैप्टेन कुक की समुद्री यात्रा से प्राप्त प्राणिशास्त्रीय नमूनों को व्यवस्थित करना प्रारम्भ कर दिया और शोध कार्य में लग गए। सन 1775 में इन्होंने सिद्ध किया कि 'गोमसूरी'[2] में दो विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ सम्मिलित हैं, जिनमें से केवल एक 'चेचक' से रक्षा करती है। एडवर्ड जेनर ने यह भी निश्चित किया कि 'गोमसूरी', 'चेचक' और 'घोड़े के पैर की ग्रीज़'[3] नामक बीमारियाँ अनुषंगी हैं। 1798 में इन्होंने 'चेचक के टीके के कारणों और प्रभावों' पर एक निबंध भी प्रकाशित किया।
सम्मान व पुरस्कार
1803 में 'चेचक' के टीके के प्रसार के लिये 'रॉयल जेनेरियन संस्था' की स्थापना हुई। एडवर्ड जेनर के कार्यों के उलक्ष्य में 'आक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय' ने इन्हें 'एम. डी.' की सम्मानित उपाधि से विभूषित किया। 1822 में 'कुछ रोगों में कृत्रिम विस्फोटन का प्रभाव' पर निबंध प्रकाशित किया और दूसरे वर्ष 'रॉयल सोसाइटी' में 'पक्षी प्रर्वाजन' पर निबंध लिखा।
निधन
26 जनवरी, 1823 को बर्कले में एडवर्ड जेनर का देहावसान हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ एडवर्ड जेनर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 09 फ़रवरी, 2014।
- ↑ cowpox
- ↑ grease
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