कैप्टन अवधेश प्रताप सिंह: Difference between revisions

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==परिचय==
==परिचय==
कैप्टन अवधेश प्रताप सिंह का जन्म [[1888]] ई. को [[मध्य प्रदेश]] के सतना ज़िले में हुआ था। ये विंध्य प्रदेश और महाकौशल के प्रमुख राजनैतिक और सामाजिक कार्यकर्त्ता थे। अवधेश प्रताप सिंह [[इलाहाबाद]] से कानून की शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे रीवा रियासत की सेना में भर्ती हो गए। वहां वे कैप्टन और कुछ समय तक मेजर भी रहे। लेकिन शीघ्र ही रियासत की नौकरी त्यागकर उन्होंने [[राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी|राजेन्द्रनाथ लहरी]] जैसे क्रान्तिकारियों से संपर्क किया और कुछ रियासतों के नरेशों से मिलकर [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह जी योजना बनाई। परंतु समय से पहले भेद खुल जाने पर इसमें सफलता नहीं मिली।  
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Revision as of 10:32, 22 October 2016

कैप्टन अवधेश प्रताप सिंह
पूरा नाम कैप्टन अवधेश प्रताप सिंह
जन्म 1888
जन्म भूमि सतना, मध्य प्रदेश
मृत्यु 6 जून, 1967
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनैतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्त्ता
पद कैप्टन, मेजर, मुख्यमंत्री
जेल यात्रा 1921 से 1942 तक के आंदोलनों में लगभग चार वर्ष जेलों में बंद रहे।
अन्य जानकारी कैप्टन अवधेश प्रताप सिंह स्वतंत्रता के बाद कुछ समय के लिए विंध्य प्रदेश अलग राज्य बना तो उसके प्रथम मुख्यमंत्री कैप्टन अवधेश सिंह ही निर्वाचित हुए।

कैप्टन अवधेश प्रताप सिंह (अंग्रेज़ी:Captain Awadhesh Pratap Singh, जन्म-1888, सतना, मध्य प्रदेश; मृत्यु- 6 जून, 1967) विंध्य प्रदेश और महाकौशल के प्रमुख राजनैतिक और सामाजिक कार्यकर्त्ता थे। वे 1946-1950 में देश की संविधान सभा के भी सदस्य रहे। उन्होंने अपने सीमित समय के मुख्यमंत्री काल में शिक्षा के प्रसार के लिए काम किया।

परिचय

कैप्टन अवधेश प्रताप सिंह का जन्म 1888 ई. को मध्य प्रदेश के सतना ज़िले में हुआ था। ये विंध्य प्रदेश और महाकौशल के प्रमुख राजनैतिक और सामाजिक कार्यकर्त्ता थे। अवधेश प्रताप सिंह इलाहाबाद से कानून की शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे रीवा रियासत की सेना में भर्ती हो गए। वहां वे कैप्टन और कुछ समय तक मेजर भी रहे। लेकिन शीघ्र ही रियासत की नौकरी त्यागकर उन्होंने राजेन्द्रनाथ लहरी जैसे क्रान्तिकारियों से संपर्क किया और कुछ रियासतों के नरेशों से मिलकर अंग्रेज़ों के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह जी योजना बनाई। परंतु समय से पहले भेद खुल जाने पर इसमें सफलता नहीं मिली। अवधेश प्रताप सिंह को 'द्वंद्वात्मक भौतिकवाद' और 'इतिहास के अर्थशास्त्रीय अध्ययन' का अच्छा ज्ञान था। अपने जीवन के अंतिम वर्षों में वे कांग्रेस में उपजी सत्ता की प्रवृत्ति के कटु आलोचक बन गए थे।

राजनैतिक जीवन

अवधेश प्रताप सिंह इसके बाद कांग्रेस में सम्मिलित हो गए और 1921 से 1942 तक के आंदोलनों में लगभग चार वर्ष जेलों में बंद रहे। उन्होंने देशी रियासतों में जनतंत्र की स्थापना और समाज उत्थान के लिए निरंतर काम किया। अपने पिता के विरोध की अपेक्षा करके उन्होंने 1920 में अपने परिवार के दो मंदिर हरिजनों के लिए खुलवा दिए थे।

मुख्यमंत्री

स्वतंत्रता के बाद कुछ समय के लिए विंध्य प्रदेश अलग राज्य बना तो उसके प्रथम मुख्यमंत्री कैप्टन अवधेश सिंह ही निर्वाचित हुए। वे 1946-1950 में देश की संविधान सभा के भी सदस्य थे। अपने सीमित समय के मुख्यमंत्री-काल में उन्होंने शिक्षा के प्रसार के लिए काम किया।

मृत्यु

अवधेश प्रताप सिंह 6 जून, 1967 को निधन हुआ था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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