कंपनी शैली: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - "उत्तरार्द्ध" to "उत्तरार्ध")
 
Line 1: Line 1:
'''कंपनी शैली''' को 'पटना चित्रकला' भी कहते हैं। यह पुस्तकों को चित्रित करने की [[शैली]] है, जो [[भारत]] में 18वीं [[शताब्दी]] के उत्तरार्द्ध में [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] में काम कर रहे ब्रिटिश लोगों की पसंद के आधार पर विकसित हुई थी।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारत ज्ञानकोश, खण्ड-1|लेखक=इंदु रामचंदानी|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=278|url=}}</ref>
'''कंपनी शैली''' को 'पटना चित्रकला' भी कहते हैं। यह पुस्तकों को चित्रित करने की [[शैली]] है, जो [[भारत]] में 18वीं [[शताब्दी]] के उत्तरार्ध में [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] में काम कर रहे ब्रिटिश लोगों की पसंद के आधार पर विकसित हुई थी।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारत ज्ञानकोश, खण्ड-1|लेखक=इंदु रामचंदानी|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=278|url=}}</ref>


*यह [[शैली]] सबसे पहले [[पश्चिम बंगाल]] के [[मुर्शिदाबाद]] में विकसित हुई और बाद में ब्रिटिश व्यापार के अन्य केंद्रों, [[बनारस]] (वाराणसी), [[दिल्ली]], [[लखनऊ]] व [[पटना]] तक पहुंच गई।
*यह [[शैली]] सबसे पहले [[पश्चिम बंगाल]] के [[मुर्शिदाबाद]] में विकसित हुई और बाद में ब्रिटिश व्यापार के अन्य केंद्रों, [[बनारस]] (वाराणसी), [[दिल्ली]], [[लखनऊ]] व [[पटना]] तक पहुंच गई।

Latest revision as of 11:14, 1 June 2017

कंपनी शैली को 'पटना चित्रकला' भी कहते हैं। यह पुस्तकों को चित्रित करने की शैली है, जो भारत में 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ईस्ट इंडिया कंपनी में काम कर रहे ब्रिटिश लोगों की पसंद के आधार पर विकसित हुई थी।[1]

  • यह शैली सबसे पहले पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में विकसित हुई और बाद में ब्रिटिश व्यापार के अन्य केंद्रों, बनारस (वाराणसी), दिल्ली, लखनऊपटना तक पहुंच गई।
  • इस शैली के चित्र काग़ज़ और अभ्रक पर जल रंगों से बनाए जाते थे।
  • पसंदीदा विषयों में रोज़मर्रा के भारतीय जीवन, स्थानीय शासकों, त्योहारों और आयोजनों के दृश्य होते थे, जो उस समय के ब्रिटिश कलाकारों के समूह में प्रचलित 'चित्रोपम संप्रदाय' की श्रेणी में आते थे।
  • कंपनी शैली के सबसे सफल चित्र प्राकृतिक जीवन के थे, लेकिन शैली आमतौर पर मिश्रित थी और इसकी गुणवत्ता की बहुत स्पष्ट पहचान नहीं थी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत ज्ञानकोश, खण्ड-1 |लेखक: इंदु रामचंदानी |प्रकाशक: एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 278 |

संबंधित लेख