प्रयोग:कविता सा.-1: Difference between revisions
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{'हरमीज एवं डायोनिसस' के मूर्तिकार हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-236,प्रश्न-371 | |||
|type="()"} | |||
+प्रेक्जाइटलीज | |||
-पालीक्लीट्स | |||
-लिसीप्पॉस | |||
-फिडियाम | |||
||हरमीज एवं डायोनिसस के मूर्तिकार प्रेक्जाइटलीज हैं। प्रेक्जाइटलीज की एक अन्य प्रतिमा आम के रोमन देवता क्यूपिड की है। ग्रीक सभ्यता में इसे 'इरोस' कहा जाता था। अत: क्यूपिड की वह मूर्ति 'इरोस' के नाम से विख्यात है। | |||
{[[भीमबेटका गुफ़ाएँ|भीमबेटका]] के गुहा चित्रों में से सबसे अधिक कौन-सा रंग प्रयोग किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-8 | |||
|type="()"} | |||
-[[बैंगनी रंग|बैंगनी]] | |||
-[[हरा रंग|हरा]] | |||
-[[पीला रंग|पीला]] | |||
+[[लाल रंग|लाल]] | |||
||[[भीमबेटका गुफ़ाएँ|भीमबेटका]] से प्राप्त अधिकतर चित्र लाल (इंडियन रेड) या [[सफेद रंग|सफेद रंगों]] में बने हैं। कुछ स्थानों पर हरे व [[पीला रंग|पीले रंगों]] का प्रयोग भी दिखाई पड़ता हैं। [[रंग]] को पत्थर पर घिसकर तैयार किया जाता था। | |||
{'गायिकाएं' चित्र [[बाघ की गुफा|बाघ गुफा]] के किस संख्यक गुफा के सामने चित्रित किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-26,प्रश्न-29 | |||
|type="()"} | |||
-गुफा सं.8 | |||
+गुफा सं. 4 | |||
-गुफा सं.3 | |||
-गुफा सं. 6 | |||
||गायिकाओं का चित्र [[बाघ की गुफा|बाघ गुफा]] के गुफा सं. 4 के सामने चित्रित किया गया है। स्त्री गातिकाओं के दो दलों को चित्रित किया गया है। पहले फल में सात स्त्रियां एक अन्य आठवीं नर्तकी को चारों ओर से घेरे खड़ी हैं। दूसरे दल में एक नर्तकी को छ: स्त्री गायिकाएं मंडलाकार रूप में खड़ी हैं, नर्तकी के बाल कंधों पर लहरा रहे हैं। | |||
{सित्तनवासल की गुफा किस धर्म से संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-42,प्रश्न-17 | |||
|type="()"} | |||
-[[बौद्ध धर्म]] | |||
+[[जैन धर्म]] | |||
-[[हिंदू धर्म]] | |||
-[[मुस्लिम धर्म]] | |||
||सित्तनवासल गुफा [[जैन धर्म]] से संबंधित है। यह एक [[जैन मंदिर]] है, जिसे चट्टानों को काटकर बनाया गया है। यह सित्तनवासल गांव, [[पुडुकोट्टई ज़िला|पुडुकोट्टई]], [[तमिलनाडु]] में अवस्थित है। | |||
{पकी हुई मिट्टी की ईंटों से बना सर्वप्रथम मंदिर है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-209,प्रश्न-183 | |||
|type="()"} | |||
-जलगांव में | |||
+भीतरगांव में | |||
-मालेगांव में | |||
-इनमें से कोई नहीं | |||
||[[कानपुर]] में स्थित भीतरगांव का मंदिर वर्गाकार चबूतरे पर ईंटो से बना है। इसकी ऊंचाई 24 मीटर है। यह ईटों से बना प्रथम मंदिर है। | |||
{[[शांतिनिकेतन]] किस राज्य में स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-223,प्रश्न-283 | |||
|type="()"} | |||
+[[पश्चिम बंगाल]] | |||
-[[बिहार]] | |||
-[[उत्तर प्रदेश]] | |||
-[[पंजाब]] | |||
||[[शांतिनिकेतन]], [[पश्चिम बंगाल|प. बंगाल]] राज्य में स्थित है। यह [[रबीन्द्रनाथ टैगोर]] की कर्मभूमि थी। यह [[बीरभूम ज़िला|बीरभूम जिले]] के एक छोटे कस्बे बोलपुर के निकट स्थित है। शांतिनिकेतन पहले एक स्थानीय डकैत भुवन के नाम से 'भुवनडंगा' के नाम से जाना जाता था। | |||
{[[रज़्मनामा]] के चित्र किससे संबंधित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-65,प्रश्न-64 | |||
|type="()"} | |||
-[[रामायण]] | |||
+[[महाभारत]] | |||
-[[मेघदूत]] | |||
-[[गीत गोविन्द]] | |||
||'रज्मनामा' ग्रंथ, हिंदू ग्रंथ [[महाभारत]] का फारसी अनुवाद अकबर के शासनकाल में किया गया। [[अब्दुल कादिर बदायूंनी|मौलाना अब्दुल कादिर बदायूंनी]] ने '[[महाभारत]]' का [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] में अनुवाद किया और उसका नाम '[[रज़्मनामा]]' रखा। इसे पूरा करने में लगभग एक वर्ष लगा और 1582 ई. में पूर्ण किया गया। इसकी सचित्र प्रति बादशाह के लिए 1588 ई. में तैयार की गई थी, जिसकी तीन बड़ी सचित्र जिल्दें हैं। | |||
{बसौली शैली में चित्रित '[[गीत गोविन्द]]' के कलाकार कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-3 | |||
|type="()"} | |||
-देवी दास | |||
-रांझा | |||
-मनोहर | |||
+उपर्युक्त में से कोई नहीं | |||
||[[बंगाल]] के अमर [[कवि]] [[जयदेव]] द्वारा लिखित '[[गीत गोविन्द]]' को बसौली शैली में चित्रित करने का श्रेय महिला चित्रकार 'मानकू' को प्राप्त है। | |||
{'गांधी की दांडी यात्रा' किसकी कृति हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-82,प्रश्न-40 | |||
|type="()"} | |||
-[[अवनीन्द्रनाथ ठाकुर|अबनीन्द्रनाथ ठाकुर]] | |||
+[[नंदलाल बोस]] | |||
-शैलेंद्रनाथ डे | |||
-[[रामकिंकर बैज]] | |||
||[[नंदलाल बोस]] वर्ष [[1922]] में [[शांतिनिकेतन]] में स्थापुत विश्वभारती के कला भवन में प्रधानाध्यापक नियुक्त किए गए। इससे पहले इसी कला भवान में उन्होंने शिक्षण कार्य किया था। | |||
{रेखाओं द्वारा भाव प्रदर्शन किस शैली की विशेषता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-162,प्रश्न-33 | |||
|type="()"} | |||
+अजंता | |||
-बाघ | |||
-मुगल | |||
-राजस्थानी | |||
||रेखाओं द्वारा भाव प्रदर्शन [[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता गुफा]] की चित्रशैली की विशेषता है। अजंता की [[चित्रकला]] की अपनी शैली है जो चित्रकला की अन्य शैलियों से भिन्न है। अजंता के चित्रों में रेखांकन का प्राधान्य है जिसमें चित्रों की रूपरेखा भावमय एवं सप्राण है। अजंता में करीब 20 प्रकार की रेखा शैलियां प्रयुक्त हुई हैं। | |||
{ज़्यामितीय रूपाकारों का प्रयोग किस लोक कला में उपलब्ध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-171,प्रश्न-36 | |||
|type="()"} | |||
+[[सांझी]] | |||
-[[अल्पना]] | |||
-मांडना | |||
-अधोरी | |||
||ज्यामितीय रूपाकारों का प्रयोग ब्रज की लोक कला '[[सांझी]]' में उपलब्ध है। सांझी देखने में रंगोली जैसी ही प्रतीत होता है। | |||
{[[अंजलि इला मेनन]] का जन्म स्थान है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-191,प्रश्न-54 | |||
|type="()"} | |||
-[[लखनऊ]] | |||
-[[दिल्ली]] | |||
+[[पश्चिम बंगाल]] | |||
-[[महाराष्ट्र]] | |||
||[[अंजलि इला मेनन]] [[चित्रकला]] से संबंधित हैं। अंजली इला मेनन का जन्म [[पश्चिम बंगाल]] में हुआ था। यह समकालीन चित्रकला की चित्रकार हैं। इन्होंने वर्ष [[1958]] में अपनी पहली एकल प्रदर्शनी लगाई थी। वर्ष [[2000]] में इन्हें [[पद्म श्री]] तथा [[4 जून]], [[2013]] को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उन्हें यह पुरस्कार अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लगाई गई' द वाल्ड सिटी' शीर्षक चित्रकृति के अनावरण के अवसर पर प्रदान किया गया। | |||
{जैन चित्र काग़ज़ पर कब बने? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-44,प्रश्न-27 | |||
|type="()"} | |||
+13वीं शताब्दी | |||
-14वीं शताब्दी | |||
-15वीं शताब्दी | |||
-16वीं शताब्दी | |||
||जैन चित्र काग़ज़ पर 13वीं शताब्दी में बने। 7वीं से 12वीं शताब्दी तक संपूर्ण [[भारत]] में जैन शैली का विशेष प्रभाव रहा। प्रारंभ में ग्रंथों तथा चित्रों के निर्माण में ताल के पत्तों तथा बाद में काग़ज़ का प्रयोग किया गया। | |||
{[[जयपुर]] चित्रकारों की प्रिय विषय-वस्तु रही है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-50,प्रश्न-24 | |||
|type="()"} | |||
+बिहारी सतसई | |||
-लोक चित्र | |||
-बाल चित्र | |||
-रेखा चित्र | |||
||जयपुर चित्रकारों की प्रिय विषय-वस्तु में राजदरबार, कृष्ण चरित्र, बारहमासा, बिहारी सतसई, विभिन्न देवी-देवताओं की छवियां तथा साधु-संतों का जीवन और स्त्री सौंदर्य है। | |||
{भारतीय [[चित्रकला]] में प्रसिद्ध पक्षी-चित्रकार कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-60,प्रश्न-34 | |||
|type="()"} | |||
+मंसूर | |||
-निहाल चंद्र | |||
-बिहजाद | |||
-दौलतराम | |||
||भारतीय चित्रकला में प्रसिद्ध पक्षी-चित्रकार मंसूर था। [[जहांगीर]] के शासनकाल में मंसूर द्वारा श्रेष्ठ पशु-पक्षी के चित्र बनाए गए। मंसूर द्वारा विश्व प्रसिद्ध बाज पक्षी का चित्रण किया गया। जहांगीर अपने समय में [[अबुल हसन]] को सबसे अच्छा चित्रकार मानता था। जिसे वह बहुत चाहता था। | |||
{[[अकबर]] के समय तैयार की गयी '[[बाबरनामा]]' की एक प्रति सुरक्षित है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-81 | |||
|type="()"} | |||
-प्रिंस ऑफ़ वेल्स संग्रहालय, [[मुंबई]] में | |||
-राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय में | |||
-दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी में | |||
+राष्ट्रीय संग्रहालय [[नई दिल्ली]] में | |||
||अकबर के समय तैयार की गई '[[बाबरनामा]]' की एक प्रति राष्ट्रीय संग्रहालय, [[नई दिल्ली]] में सुरक्षित है। इस प्रति को संग्रहालय ने 'आगरा कॉलेज आगरा' से प्राप्त किया था। | |||
{भारतीय संविधान का मूलग्रंथ किसने सज्जित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-31 | |||
|type="()"} | |||
-[[अवनीन्द्रनाथ टैगोर]] | |||
-असित कुमार हल्दर | |||
-क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार | |||
+[[नंदलाल बोस]] | |||
||[[भारतीय संविधान]] का मूलग्रंथ [[नंदलाल बोस]] ने सज्जित किया था। नंदलाल बोस ने [[अवनीन्द्रनाथ टैगोर|अबनीन्द्रनाथ टैगोर]] से कला की शिक्षा प्राप्त की थी। इन्होंने [[रबींद्रनाथ टैगोर]] की साहित्यिक कृतियों के लिए ही चित्र बनाए थे। [[नंदलाल बोस]] ने [[लखनऊ]], फैजपुर व हरिपुरा कांग्रेस सम्मेलनों के पंडालों की सज्जा बंगाल की पटुआ कला के आधार पर थी। इस कलात्मक सज्जा में उन्होंने भारतीय ग्राम्य जीवन का अवलोकन चित्रों के माध्यम से किया था। | |||
{'[[कला]]' किस भाषा का शब्द है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-226,प्रश्न-304 | |||
|type="()"} | |||
-[[हिंदी]] | |||
-[[उर्दू]] | |||
+[[संस्कृत]] | |||
-[[अंग्रेजी]] | |||
||'कला' [[संस्कृत भाषा]] का शब्द है क्योंकि संस्कृत भाषा में कला शब्द की सिद्धि 'कलु' धातु से हुई है जिसका अर्थ है- 'संस्थान'। संख्यान शब्द से तात्पर्य हैं, 'स्पष्ट वाणी में प्रकटना' ' कल् धातु' में 'अच्' तथा 'टाप्' प्रत्यय (कल्+अच्+टाप्) लगाने से 'कला' शब्द निष्पन्न किया जाता है। | |||
{अजंता के भित्तिचित्र किस माध्यम या विधि से निर्मित किए गए हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-29,प्रश्न-3 | |||
|type="()"} | |||
-तैल विधि | |||
-जल विधि | |||
-पेस्टल विधि | |||
+मिश्रित विधि | |||
{प्रख्यात चित्र 'बैल' के चित्रकार हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-94,प्रश्न-3 | |||
|type="()"} | |||
-एन.एस. गोयनतोड़े | |||
+के.एस. कुलकर्णी | |||
-शांति दवे | |||
-राघव कनेरिया | |||
||के.एस. कुलकर्णी के चित्रों में प्रमुख रूप से स्त्री-पुरुष के नग्न चित्र, बैल के चित्र, पनघट के चित्र, पं. जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी प्राकृतिक दृश्यि इत्यादि हैं। | |||
{सौन्दर्यशास्त्र के अनुसार भाव होते हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-156,प्रश्न-13 | |||
|type="()"} | |||
-5 | |||
-8 | |||
+9 | |||
-12 | |||
||रसों को नौ भागों में बांटा गया है। ये हैं- [[श्रृंगार रस|शृंगार]], [[हास्य रस|हास्य]], [[करुण रस|करुण]], [[रौद्र रस|रौद्र]], [[वीर रस|वीर]], [[भयानक रस|भयानक]], [[वीभत्स रस|वीभत्स]], [[अद्भुत रस|अद्भुत]] तथा [[शांत रस|शांत]]। इन रसों के स्थायी भाव क्रमश" रति, हास, शोक, क्रोध, उत्साह, भय, घृणा/जुगुप्सा, आश्चर्य तथा निर्वेद हैं। सहृदय के अंत:करण में जो मनोविकार वासना या संस्कार रूप में विद्यमान रहते हैं तथा जिन्हें कोई भी विरोधी या अविरोधी दबा नहीं सकता, उन्हें स्थायी भाव कहते हैं। | |||
Revision as of 11:23, 18 November 2017
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