प्रयोग:कविता सा.-1: Difference between revisions

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{'प्राइमावेरा' क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-176,प्रश्न-73
{शीघ्रता से किया गया रेखांकन अथवा चित्रण क्या कहलाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-168,प्रश्न-15
|type="()"}
|type="()"}
-एक मूर्ति
-कोलॉज
+एक चित्र
+स्केच
-एक उपन्यास
-भित्तिचित्र
-एक भवन
-इनमें से कोई नहीं
||'प्राइमावेरा' एक चित्र है। इसे 'एलेगॉरी ऑफ़ स्प्रिंग' के नाम से भी जाना जाता है। इसे इतालवी पुनर्जागरण [[चित्रकार]] सैंड्रो बोत्तिसेली ने चित्रित किया था।
||स्केच, एक तेजी से निष्पादित मुक्त हस्त ड्राइंग है। स्केच के द्वारा रेखांकन अथवा चित्रण के लिए ग्रेफाइट पेंसिल, सिल्वर प्वाइंट आदि का प्रयोग किया जाता है।


{[[अकबर]] का प्रसिद्ध दरबारी चित्रकार कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-65,प्रश्न-65
{'[[ज्ञानपीठ पुरस्कार|ज्ञानपीठ]]' पुरस्कार किससे संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-183,प्रश्न-15
|type="()"}
|type="()"}
-बिहजाद
-[[कला]]
-[[अबुल हसन]]
+[[साहित्य]]
+[[अब्दुस्समद]]
-[[नाटक]]
-[[मनोहर]]
-[[संगीत]]
||[[अकबर]] ने [[अब्दुस्समद]] के अधीन [[चित्रकला]] के लिए एक अलग विभाग की स्थापना की थी। अकबर ने इसे राजधानी में टकसाल का प्रभारी भी बनाया था। बाद में उसे सुल्तान का दीवान नियुक्त किया गया।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[अब्दुस्समद]]
||[[ज्ञानपीठ पुरस्कार]], भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए प्रदान किया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। इसकी स्थापना वर्ष 1961 में साहू जैन परिवार ने की थी। पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिभा प्रदान की जाती है। {{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[ज्ञानपीठ पुरस्कार|ज्ञानपीठ]]


 
{हेनरी मूर कहां के निवासी थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-189,प्रश्न-46
{[[गीत गोविन्द]] के चित्र किस शैली में बने हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-4
|type="()"}
|type="()"}
-[[मुग़ल कालीन चित्रकला|मुग़ल]]
+[[इंग्लैंड]]
-[[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा]]
-[[अमेरिका]]
-[[बूंदी चित्रकला|बूंदी]]
-[[ऑस्ट्रेलिया]]
+[[बसौली]]
-[[अफ्रीका]]
||
||हेनरी मूर 20वीं शताब्दी के अति महत्त्वपूर्ण ब्रिटिश शिल्पकार थे। इनका जन्म [[30 जुलाई]], 1898 ई. को कैसटलफोर्ड, यॉर्कशायर, इंग्लैंड में हुआ था। बर्ड बास्केट (Bird Basket-1939) इनके अति महत्त्वपूर्ण कलाओं में है। ये अतियथार्थवादी थे। इनकी मृत्यु [[31 अगस्त]], [[1986]] ई. को इंग्लैंड में हो गया।
[[बंगाल]] के अमर कवि [[जयदेव]] द्वारा लिखित '[[गीत गोविन्द]]' को [[बसौली|बसौली शैली]] में चित्रित करने का श्रेय महिला [[चित्रकार]] 'मानकू' को प्राप्त है।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[बसौली]]


{[[नंदलाल बोस]] का जन्म कहां हुआ था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-82,प्रश्न-41
{'शिल्प रत्न' के लेखक कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-205,प्रश्न-154
|type="()"}
|type="()"}
+[[मुंगेर]]
-[[भरत मुनि]]
-[[कलकत्ता]]
-यशोधर पंडित
-चौबीस परगना
+श्री कुमार
-[[शांतिनिकेतन]]
-इनमें से कोई नहीं
||[[नंदलाल बोस]] का जन्म [[3 दिसंबर]], [[1882]] को [[बिहार]] के [[मुंगेर]] नगर में हुआ। उनके पिता पूर्णचंद्र बोस ऑर्किटेक्ट तथा महाराजा दरभंगा की रियासत के मैनेजर थे। [[16 अप्रैल]], [[1966]] को [[कलकत्ता]] (अब कोलकाता) में उनका देहांत हुआ।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[नंदलाल बोस]]
||'शिल्प रत्न' शिल्पशास्त्र का एक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है। इस वृहद् ग्रंथ के रचयिता केरल प्रांत के आचार्य श्री कुमार थे।


{कौन [[चित्रकार]] [[पद्म विभूषण]] से सम्मानित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-83,प्रश्न-43
{[[मूर्तिकला]] की उस शैली को क्या कहते हैं जो ग्रीक-रोमन कला से प्रभावित रही? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-217,प्रश्न-236
|type="()"}
|type="()"}
+[[नंदलाल बोस]]
-मथुरा
-[[रबीन्द्रनाथ टैगोर]]
-भरहुत
-[[अवनीन्द्रनाथ ठाकुर]]
+[[गांधार मूर्तिकला शैली|गांधार]]
-[[जामिनी राय]]
-मौर्य कालीन
||उपरोक्त में से [[नंदलाल बोस]] ही [[पद्म विभूषण]] से सम्मानित है।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[नंदलाल बोस]]  
||भारतीय और यूनानी आकृति की सम्मिश्रण शैली गांधार शैली है। इस मूर्तिकला शैली के प्रमुख संरक्षक शक एवं कुषाण थे। गांधार कला शैली कुषाणों के समय पनपी थी। गांधार कला [[पाकिस्तान]] एवं पूर्वी अफगानिस्तान के बीच विकसित हुई। [[भारत]] में यह [[कला]] कुषाण वंश के दौरान फली-फूली तथा कुषाण कला का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन गई। इन कला का विषय मात्र बौद्ध होने के कारण इसे 'यूनानी बौद्ध', 'इंडो-ग्रीक', या 'ग्रीको-रोमन' भी कहा जाता है।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[गांधार मूर्तिकला शैली|गांधार]]


{पूर्व मध्य कालीन (प्राकृत) कला के- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-162,प्रश्न-34
{[[गांधार मूर्तिकला शैली|गांधार कला]] किसके समय पनपी थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-218,प्रश्न-237
|type="()"}
|type="()"}
-चित्रों में लय और गति का पूर्ण अभाव है।
-शाक्य
+चित्र लय एवं गति पूर्ण है।
-[[मौर्य]]
-चित्रों में भावों का पूर्ण अभाव है।
+[[कुषाण]]
-चित्र उच्चकोटि के हैं।
-[[शुंग]]
||पूर्व मध्य कालीन या प्राकृत कला के चित्रों में लय एवं गति पूर्ण है क्योंकि इस शैली के रंगों की कोमलता होते हुए भी रेखाएं कर्कश, मुद्राएं उग्रता लिए तथा आकृतियों की अंग-भंगिमाएं अकड़-जकड़दार हैं।
||भारतीय और यूनानी आकृति की सम्मिश्रण शैली [[गांधार मूर्तिकला शैली|गांधार शैली]] है। इस मूर्तिकला शैली के प्रमुख संरक्षक शक एवं कुषाण थे। गांधार कला शैली कुषाणों के समय पनपी थी। गांधार कला पाकिस्तान एवं पूर्वी अफगानिस्तान के बीच विकसित हुई। भारत में यह कला कुषाण वंश के दौरान फली-फूली तथा कुषाण [[कला]] का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन गई। इन कला का विषय मात्र बौद्ध होने के कारण इसे 'यूनानी बौद्ध', 'इंडो-ग्रीक', या 'ग्रीको-रोमन' भी कहा जाता है।


{निम्नलिखित में से कौन राजकीय कला एवं शिल्प विद्यालय, [[मद्रास]] का प्रधानाचार्य नहीं था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-191,प्रश्न-55
{'[[पृथ्वीराज कपूर]] क्या थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-194,प्रश्न-73
|type="()"}
|type="()"}
-के.सी.एस. पनिकर
-नेता
-[[देवी प्रसाद रायचौधरी]]
-व्यापारी
-आर.कृष्ण राव
-आर्किटेवट
+दिनकर कौशिक
+[[अभिनेता]]
||दिनकर कौशिक राजकीय कला एवं शिल्प विद्यालय, [[मद्रास]] के प्रधानाचार्य नहीं थे। वे [[लखनऊ]] आर्ट स्कूल के प्रधानाचार्य रहे जबकि [[देवी प्रसाद रायचौधरी]], के.सी.एस. पनिकर एवं आर. कृष्ण राव राजकीय कला एवं शिल्प विद्यालय, मद्रास के प्रधानाचार्य थे। देवी प्रसाद रायचौधरी (1929 में) इस विद्यालय के पहले भारतीय प्रधानाचार्य थे।
||[[पृथ्वीराज कपूर]] [[अभिनेता]] थे। इनका जन्म [[3 नवंबर]], [[1906 |1906]] को अविभाजित [[भारत]] का [[पंजाब]] (विभाजन के बाद [[पाकिस्तान]]) प्रांत में हुआ था। इनकी मृत्यु [[29 मई]], [[1972]] को [[मुंबई]] में कैंसर से हुई।


{7वीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी के मध्य किस शैली का उद्भव एवं विकास हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-44,प्रश्न-28
{[[प्रेमचंद]] की कहानी पर आधारित 'शतरंज के खिलाड़ी' नामक चलचित्र का निर्देशक कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-207,प्रश्न-164
|type="()"}
|type="()"}
-[[राजपूत चित्रकला|राजपूत शैली]]
-ऋतिक घटक
+[[जैन चित्रकला|जैन शैली]]
-ऋषिकेश मुखर्जी
-[[मुग़ल कालीन चित्रकला|मुगल शैली]]
-शेखर कपूर
-[[पाल चित्रकला|पाल शैली]]
+[[सत्यजीत रे]]
||[[जैन चित्रकला|जैन चित्र]] काग़ज़ पर 13वीं शताब्दी में बने। 7वीं से 12वीं शताब्दी तक संपूर्ण [[भारत]] में जैन शैली का विशेष प्रभाव रहा। प्रारंभ में ग्रंथों तथा चित्रों के निर्माण में ताल के पत्तों तथा बाद में काग़ज़ का प्रयोग किया गया।
||प्रेमचंद की कहाँई पर आधारित 'शतरंज के खिलाड़ी' वर्ष [[1977]] में बनी हिंदी भाषा की फिल्म है। इसके निर्देशक बांग्ला फिल्मकार [[सत्यजीत रे]] थे। इसकी कहानी 1856 ई. के अवध नवाब [[वाजिद अली शाह]] के दो अमीरों के इर्द-गिर्द घूमती है। ये दोनों खिलाड़ी शतरंज खेलने में इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें अपने शासन तथा परिवार की कोई फ्रिक नहीं रहती। इसी की पृष्ठभूमि में अंग्रेजों की सेना अवध पर चढ़ाई करती है।


{[[मेवाड़]] चित्रों का प्रिय विषय है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-50,प्रश्न-25
{[[सांझी कला]] किस पर की जाती है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-171,प्रश्न-37
|type="()"}
|type="()"}
-[[बुद्ध]]
+[[काग़ज़]] पर
-[[दुष्यंत]]
-भूमि पर
-[[जैन]]
-कलसे पर
+[[कृष्ण]]
-कपड़े पर
||[[मेवाड़ की चित्रकला|मेवाड़ शैली]] के चित्र काफी हद तक धार्मिक हैं। उनमें भी [[कृष्ण]] के चित्रण को सर्वाधिक प्रमुखता प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त मेवाड़ शैली में [[नायिका]] भेद, रसिक प्रिया, भगवतपुराण, [[रामायण]], आर्य रामायण, [[पंचतंत्र]] आदि मेवाड़ शैली के चित्रण के विषय रहे।
||[[सांझी कला]] मुख्यत: कागज पर की जाती है। एक सांझी कला के द्वारा भूमि पर छपाई की जाती है। सांझी कला ब्रजमंडल ([[मथुरा]]) की अनूठी परंपरा रही है। सांझी कला ब्रजमंडल के हर घर के आंगन और तिवारे में ब्रजवासी राधारानी के स्वागत के लिए सजाते रहे हैं।


{[[ईरान]] के राजाओं को किस सचित्र मुगल पोथियों में अंकित किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-82
{[[भारतवर्ष]] में प्रकाशित पहला अखबार कौन सा है?
|type="()"}
|type="()"}
-[[तुज़ुक-ए-जहाँगीरी|तुजुक-ए-जहांगीरी]]
-इंडियन एक्सप्रेस
-[[आईना-ए-अकबरी]]
-हिंदुस्तान टाइम्स
-तूतीनामा
-द हिंदू
+[[शाहनामा]]
+बंगाल गजट
||प्रमुख ईरानी ग्रंथ '[[शाहनामा]]' का चित्रण अकबर काल में किया गया। इसमें [[ईरान]] के राजाओं का चित्रण किया गया।
||भारतवर्ष में प्रकाशित पहला अखबार 'बंगाल गजट' है जो वर्ष 1780 में अंग्रेज (आयरिश) जेम्स आगस्ट हेकीज द्वारा कलकत्ता से प्रकाशित किया गया था। अत: इसी समय से [[कोलकाता]] में पहली छपाई मशीन की शुरुआत हुई।


{नव बंगाल शैली किसकी देन थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-36
{वर्ष 1630 में चित्रित 'रसिक प्रिया' के चितेरे कौन थे?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-44,प्रश्न-29
|type="()"}
|type="()"}
-क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार
+साहबदीन
-असित हल्दर
-[[मनोहर]]
+[[नंदलाल बोस]]
-जगन्नाथ
-[[जामिनी राय]]
-शृंगधर
||नव बंगाल शैली कोई अलग शैली नहीं थीं बल्कि यह बंगाल शैली का ही एक रूप था। बंगाल शैली में 'वॉश पद्धति' को अधिकांश [[चित्रकार|चित्रकारों]] द्वारा अपनाया गया था लेकिन उन्हीं में से कुछ कलाकारों ने 'टेम्परा पद्धति' को अपनाया जिनमें प्रमुख रूप से आचार्य [[नंदलाल बोस]], क्षितिन्द्रनाथ मजूमदार आदि थे। अत: बंगाल शैली जो कि 'वॉश शैली' पर आधारित थी, को टेम्परा शैली' में प्रयोग करने के कारण इसे 'नव बंगाल शैली' कहा जा सकता है।
||'[[गीत गोविन्द]]' (1926), '[[सूरसागर]]', इत्यादि से संबद्ध कथानकों के चित्र 'रसिका प्रिया', 'बिहारी सतसई' से संबद्ध चित्र, 'नायक-नायिका भेद' 'उदयपुर महाराणाओं के व्यक्ति चित्र', 'भागवत पुराण' (1648) आदि साहबदीन कलाकार द्वारा चित्रित है।


{'टर्नर' किसके लिए जाने जाते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-117,प्रश्न-13
{मोटी एवं नाटी मानव आकृति किस शैली की है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-50,प्रश्न-26
|type="()"}
|type="()"}
-प्रिंट मेकिंग
-[[किशनगढ़|किशनगढ़]]
+भू-दृश्य चित्रकार
+[[मेवाड़]]
-मुखाकृति चित्रकार
-[[अजंता]]
-[[मूर्तिकार]]
-बूंदी
||[[इंग्लैंड]] के भू-दृश्य (लैंडस्केप) चित्रकारों में जोसेफ मैलॉर्ड विलियम टर्नर (1775-1851 ई.) को अद्भुत प्रतिभाशाली एवं संयमी कलाकार माना जाता है। उनका कार्य प्रभाववादियों के लिए एक रोमांटिक प्रस्तावना के रूप में जाना जाता है। वह अपने तैल चित्रों के लिए प्रसिद्ध थे। वर्ष 1839 में उनके द्वारा चित्रित चित्र 'द फाइटिंग टेंपरेरी' तैलीय माध्यम में बनी हुई है। वह ब्रिटिश वाटरकलर लैंडस्केप [[चित्रकार|चित्रकारी]] के महानतम पुरोधा भी थे। टर्नर ने अपनी [[कला]] के द्वारा [[प्रकाश]] का प्रयोग विकसित किया।
||मोटी एवं नाटी मानव आकृति [[मेवाड़ की चित्रकला|मेवाड़ शैली]] की विशेषता है। इस शैली में मानव आकृति में नाकें लंबी, चेहरे गोल चिबुक तथा सर्दन के बीच का भाग अधिक भारी तथा पुष्ट बनाया गया है, जिससे स्त्री आकारों में अधिक गंभीरता, भारीपन और उत्साह की भावना उत्पन्न हो गई है। स्त्रियां आकार में कुछ छोटी (नाटी) बनाई गई हैं। और मानव आकृतियों के नेत्र दो वक्रों के द्वारा मीनाकार ढंग के बनाए गए हैं।


{बी.सी सान्याल थे, इनके समकालीन कौन से चित्रकार थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-146,प्रश्न-62
{कौन-सा मुगल चित्रकार और सुलिपिकार दोनों था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-83
|type="()"}
|type="()"}
-[[राजा रवि वर्मा]]
-[[बसावन]]
+[[अमृता शेरगिल]]
+[[अब्दुस्समद]]
-वान गॉग
-मीर सैयद अली
-सेजां
-बिहजाद
||बी.सी. सान्याल -(1901-2003) [[अमृता शेरगिल]] -(1913-1941) [[राजा रवि वर्मा]] -(1848-1906) वैन्गोघ अथवा वान गॉग -(1853-1890) पाल सेजां -(1839-1906)
||[[अब्दुस्समद]] केवल एक श्रेष्ठ [[चित्रकार]] ही नहीं था वरन वह अपनी सुलिपि के लिए भी बहुत प्रसिद्ध थ।
उपर्युक्त के आधार पर बी.सी. अमृता शेरगिक के समकालीन प्रतीत होते हैं।


{[[कबीरदास]] ने 'निर्वाण' कहां प्राप्त किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-226,प्रश्न-305
{हरिपुरा कांग्रेस के पोस्टर किसने चित्रित किए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-33
|type="()"}
|type="()"}
-[[वाराणसी]]
-[[जामिनी राय]]
-[[सारनाथ]]
+[[नंदलाल बोस]]
-[[गया]]
-[[रामकिंकर बैज|राम किंकर बैज]]
+[[मगहर]]
-ईश्वरी प्रसाद
||[[कबीरदास]] को [[मगहर]] में 'निर्वाण' प्राप्ति हुई थी। इन्हीं के नाम पर मगहर से लगभग 7 किमी. दूर पश्चिम मुख्यालय बनाकर संत कबीर नगर जनपद का गठन किया गया है।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[कबीरदास]]
 
{[[अश्वमेध यज्ञ]] के समय [[श्रीराम |श्रीराम]] ने किसकी स्वर्ण प्रतिमा का निर्माण करवाया?
|type="()"}
-[[दशरथ]]
+[[सीता]]
-[[हनुमान]]
-[[लक्ष्मण]]
||[[अश्वमेध यज्ञ]] के समय [[श्रीराम]] ने भवभूमि कृत 'उत्तररामचरित' में संस्कृत के कालजयी अमर ग्रंथ में वर्णित है कि अश्वमेध यज्ञ के लिए श्रीराम ने सीता की स्वर्ण प्रतिमा का निर्माण करवाया।
 
{[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता]] की भित्ति-चित्रकारी में सतह को तैयार करने में किस तकनीक को अपनाया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-29,प्रश्न-5
|type="()"}
+[[चावल]] की भूसी और गोंद सहित [[गाय]] का [[गोबर]]
-[[चावल]] की भूसी और गोंद सहित पत्थर पाउडर
-[[चावल]] की भूसी और [[गोंद]] सहित चिड़िया की बीट
-[[चावल]] की भूसी और गोंद सहित [[मिट्टी]]
||[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता]] की भित्ति-चित्रकारी में सतह को तैयार करने के लिए धान की भूसी, खड़िया, गोबर, बारीक बजरी का गारा प्रयोग किया जाता था।
 
{इनमें से कौन असंबद्ध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-94,प्रश्न-1
|type="()"}
-बिनोद बिहारी मुखर्जी
-समरेंद्र नाथ गुप्त
-शैलेंद्रनाथ डे
+[[नारायण श्रीधर बेंद्रे]]
||[[नारायण श्रीधर बेंद्रे]] अन्य तीनों [[चित्रकार|चित्रकारों]] से भिन्न हैं क्योंकि विकल्प के अन्य चित्रकार बंगाल स्कूल से संबंधित हैं जबकि बेन्द्रे बड़ौदा विश्वविद्यालय से संबंधित हैं।
 
{'[[रस]]' कितने प्रकार के होते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-156,प्रश्न-14
|type="()"}
+9
-6
-5
-8
 
{लैंप और लकड़ी के बीच किसने पेंट किया था?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-100,प्रश्न-15
|type="()"}
-[[आरा]]
-रज़ा
-[[राजकुमार]]
+[[एम.एफ. हुसैन]]
||[[एम.एफ. हुसैन]] प्रसिद्ध चित्र 'नीली रात' के [[चित्रकार]] हैं। इनकी कला यथार्थवादी चित्रांकन से लेकर उन्नीसवीं शताब्दी की ब्रिटिश अकादमिक परंपरा से संभावित शैली का प्रतिनिधित्व करती है। इन्होंने कई फिल्में बनाई जिनमें मीनाक्षी, गजगामिनी,थ्रू द आइज ऑफ पेंटर आदि इनकी प्रमुख फिल्में हैं। साथ ही सुप्रसिद्ध चित्र शृंखलाएं भी बनाई जिसमें प्रमुख हैं- सरस्वती, [[मदर टेरेसा]], घोड़े, माधुरी, जमीन, लैंप और लकड़ी, दो स्त्रियों का संवाद, मुर्गा, अंतिम भोज, राइडर्ज, आपातकाल, ढोलकिया, नीला रात, जापान में प्रेमी, दुपट्टों में तीन औरतें, बनारस के घाट तथा भारतमाता (यह चित्र काफी विवादास्पद रहा) आदि।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[एम.एफ. हुसैन]]
 
{[[बूंदी चित्रकला|बूंदी-शैली]] को प्रोत्साहन मिला था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-53,प्रश्न-4
|type="()"}
+राव सुरजन सिंह
-राजा सामंत सिंह से
-राजा अनूप सिंह से
-राव देवा से


{[[अवनीन्द्रनाथ टैगोर]] का प्रमुख चित्रण कार्य किस तकनीक में हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-15
{'लैंडस्केप' किस अंग्रेज चित्रकार ने बनाए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-117,प्रश्न-15
|type="()"}
|type="()"}
-तैल तकनीक
-बॉरदे
-टेम्परा तकनीक
-क्लॉड
+वॉश तकनीक
+टर्नर
-मिश्रित माध्यम तकनीक
-पुसां
||वॉश पेंटिंश (जलरंग तकनीक) का प्रारंभ [[शांति निकेतन]] कला महाविद्यालय, [[कोलकाता]] (कलकत्ता) से हुआ।
||इंग्लैंड के भू-दृश्य (लैंडस्केप) चित्रकारों में जोसेफ मैलॉर्ड विलियम टर्नर (1775-1851 ई.) को अद्भुत प्रतिभाशाली एवं संयमी कलाकार माना जाता है। उनका कार्य प्रभाववादियों के लिए एक रोमांटिक प्रस्तावना के रूप में जाना जाता है। वह अपने तैल चित्रों के लिए प्रसिद्ध थे। वर्ष 1839 में उनके द्वारा चित्रित चित्र 'द फाइटिंग टेंपरेरी' तैलीय माध्यम में बनी हुई है। वह ब्रिटिश वाटरकलर लैंडस्केप चित्रकारी के महानतम पुरोधा भी थे। टर्नर ने अपनी [[कला]] के द्वारा प्रकाश का प्रयोग विकसित किया।


{उस चित्रकार का नाम बताइए जिन्होंने यूरोपीय शैली में भारतीय विषयों पर चित्र बनाए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-91,प्रश्न-14
{एंडी वरहोल किस आंदोलन से संबंधित थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-147,प्रश्न-67
|type="()"}
|type="()"}
-के.एन. मजूमदार
-जर्मन एक्सप्रेसनिज्म
+[[राजा रवि वर्मा]]
-अमूर्त एक्सप्रेसनिज्म
-[[नंदलाल बोस]]
-[[यथार्थवाद]]
-शैलेंद्रनाथ डे
+पॉप कला


{माइकल एंजिलो की डेविड मूर्ति कहां है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-106,प्रश्न-19
|type="()"}
-[[रोम]] में
+फ्लोरेन्स में
-मिलान में
-वेनिस में
||माइकेल एंजिलो द्वारा निर्मित मूर्ति 'डेविड फ्लोरेन्स में रखी गई है।
{'शांत संगीत' उक्ति किसके लिए प्रयुक्त होती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-110,प्रश्न-55
|type="()"}
-शास्त्रीय मूर्तिशिल्प
-गोथिक काष्ठ कार्य
-स्टेन ग्लास चित्रकला
+इटैलियन चित्रकला
||इटैलियन चित्रकार ज्योर्जिओन का नाम [[लियोनार्डो दा विंची]] के साथ आधुनिक [[कला]] के संस्थापक के रूप में लिया जाता है। इसे बंशी बजाने का शौक था जिसने उसकी कला को भी प्रभावित किया। ज्योर्जिओन ने अपने चित्रों में संगीत संबंधी विषयों का अंकन किया था या फिर उसके चित्र संगीत के समान मन:स्थिति उत्पन्न करते थे।
</quiz>
</quiz>
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Revision as of 10:56, 5 December 2017

1 शीघ्रता से किया गया रेखांकन अथवा चित्रण क्या कहलाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-168,प्रश्न-15

कोलॉज
स्केच
भित्तिचित्र
इनमें से कोई नहीं

2 'ज्ञानपीठ' पुरस्कार किससे संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-183,प्रश्न-15

कला
साहित्य
नाटक
संगीत

3 हेनरी मूर कहां के निवासी थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-189,प्रश्न-46

इंग्लैंड
अमेरिका
ऑस्ट्रेलिया
अफ्रीका

4 'शिल्प रत्न' के लेखक कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-205,प्रश्न-154

भरत मुनि
यशोधर पंडित
श्री कुमार
इनमें से कोई नहीं

5 मूर्तिकला की उस शैली को क्या कहते हैं जो ग्रीक-रोमन कला से प्रभावित रही? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-217,प्रश्न-236

मथुरा
भरहुत
गांधार
मौर्य कालीन

6 गांधार कला किसके समय पनपी थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-218,प्रश्न-237

शाक्य
मौर्य
कुषाण
शुंग

7 'पृथ्वीराज कपूर क्या थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-194,प्रश्न-73

नेता
व्यापारी
आर्किटेवट
अभिनेता

8 प्रेमचंद की कहानी पर आधारित 'शतरंज के खिलाड़ी' नामक चलचित्र का निर्देशक कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-207,प्रश्न-164

ऋतिक घटक
ऋषिकेश मुखर्जी
शेखर कपूर
सत्यजीत रे

9 सांझी कला किस पर की जाती है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-171,प्रश्न-37

काग़ज़ पर
भूमि पर
कलसे पर
कपड़े पर

10 भारतवर्ष में प्रकाशित पहला अखबार कौन सा है?

इंडियन एक्सप्रेस
हिंदुस्तान टाइम्स
द हिंदू
बंगाल गजट

11 वर्ष 1630 में चित्रित 'रसिक प्रिया' के चितेरे कौन थे?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-44,प्रश्न-29

साहबदीन
मनोहर
जगन्नाथ
शृंगधर

12 मोटी एवं नाटी मानव आकृति किस शैली की है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-50,प्रश्न-26

किशनगढ़
मेवाड़
अजंता
बूंदी

13 कौन-सा मुगल चित्रकार और सुलिपिकार दोनों था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-83

बसावन
अब्दुस्समद
मीर सैयद अली
बिहजाद

14 हरिपुरा कांग्रेस के पोस्टर किसने चित्रित किए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-33

जामिनी राय
नंदलाल बोस
राम किंकर बैज
ईश्वरी प्रसाद

15 'लैंडस्केप' किस अंग्रेज चित्रकार ने बनाए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-117,प्रश्न-15

बॉरदे
क्लॉड
टर्नर
पुसां

16 एंडी वरहोल किस आंदोलन से संबंधित थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-147,प्रश्न-67

जर्मन एक्सप्रेसनिज्म
अमूर्त एक्सप्रेसनिज्म
यथार्थवाद
पॉप कला