सुनील शास्त्री: Difference between revisions

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सुनील शास्त्री का जन्म [[13 फ़रवरी]] [[1950]] को हुआ था। इनके पिता भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री [[लाल बहादुर शास्त्री]] थे। इनकी ललिता शास्त्री थीं। इन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा सेंट कोलंबस स्कूल, [[दिल्ली]] से पूर्ण की और आगे पढ़ाई करने [[दिल्ली विश्वविद्यालय|दिल्ली यूनिवर्सिटी]] में गए। इनका [[विवाह]] [[जयपुर]] में रहने वाली मीरा शास्त्री से हुआ। इन दोनों के तीन बेटे हैं- विनम्र, वैभव और विभोर।
==राजनीतिक कॅरियर==
==राजनीतिक कॅरियर==
सुनील राजनीति में शामिल होने से पहले [[बैंक ऑफ़ इंडिया]] में प्रबंधक थे। [[1980]] में राजनीति में कदम रखने वाले सुनील शास्त्री [[उत्तर प्रदेश]] की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। कैरियर के शुरुआती दिनों से ही इनकी सामाजिक कार्यों में रुचि रही है। खासतौर पर गरीब एवं पिछड़े समुदाय के लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए हमेशा तत्पर रहे हैं। गरीबों एवं हाशिए पर पड़े वंचितों को स्वर देने के लिए ही इन्होंने [[जनवरी]] [[2011]] में ‘लीगेसी इंडिया’ नामक पत्रिका शुरू की।  
सुनील राजनीति में शामिल होने से पहले [[बैंक ऑफ़ इंडिया]] में प्रबंधक थे। [[1980]] में राजनीति में कदम रखने वाले सुनील शास्त्री [[उत्तर प्रदेश]] की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। कैरियर के शुरुआती दिनों से ही इनकी सामाजिक कार्यों में रुचि रही है। खासतौर पर ग़रीब एवं पिछड़े समुदाय के लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए हमेशा तत्पर रहे हैं। ग़रीबों एवं हाशिए पर पड़े वंचितों को स्वर देने के लिए ही इन्होंने [[जनवरी]] [[2011]] में ‘लीगेसी इंडिया’ नामक पत्रिका शुरू की।  


जब केन्द्र में [[अटल बिहारी वाजपेयी]] की सरकार बनी थी, उस समय ये [[काँग्रेस]] से त्याग पत्र देकर [[भारतीय जनता पार्टी]] में आ गये थे। अटल  जी ने इन्हें केन्द्रीय कार्यकारिणी में संगठन का कार्य दिया। जब [[नरेन्द्र मोदी]] भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव थे तब सुनील शास्त्री भी उनके साथ थे। बाद में जब अटल जी की सरकार चुनाव हार गयी और अटल जी का राजनीति में हस्तक्षेप कम हो गया तो सुनील शास्त्री ने भाजपा में उपेक्षित अनुभव करते हुए [[लालकृष्ण आडवाणी]] को अपना इस्तीफा सौंप दिया और काँग्रेस में चले गये। वहाँ भी उन्हें कोई खास जिम्मेदारी नहीं दी गयी। वे अपने स्वभाव के कारण परिस्थितियों से समझौता न कर सके और जब भारतीय जनता पार्टी ने नरेन्द्र मोदी को [[प्रधानमन्त्री]] पद का प्रत्याशी घोषित किया तो सुनील शास्त्री फिर से भाजपा में वापस आ गये।
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Latest revision as of 09:17, 12 April 2018

सुनील शास्त्री
पूरा नाम सुनील शास्त्री
जन्म 13 फ़रवरी, 1950
अभिभावक पिता- लालबहादुर शास्त्री माता- ललिता शास्त्री
पति/पत्नी मीरा शास्त्री
संतान तीन पुत्र- विनम्र, वैभव और विभोर
नागरिकता भारतीय
पार्टी काँग्रेस, भाजपा
पद पूर्व कैबिनेट मंत्री, उत्तर प्रदेश
विद्यालय सेंट कोलंबस स्कूल, दिल्ली, दिल्ली विश्वविद्यालय
संबंधित लेख लाल बहादुर शास्त्री, काँग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, बैंक ऑफ़ इंडिया, अटल बिहारी वाजपेयी, नरेंद्र मोदी
अन्य जानकारी सुनील शास्त्री ने ग़रीबों एवं हाशिए पर पड़े वंचितों को स्वर देने के लिए जनवरी 2011 में ‘लीगेसी इंडिया’ नामक पत्रिका शुरू की थी।
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सुनील शास्त्री (अंग्रेज़ी: Sunil Shastri जन्म- 13 फ़रवरी, 1950) भारत के द्वितीय प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र हैं, जो कि राजनेता के साथ कवि और लेखक भी हैं। सुनील शास्त्री राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय देश की चर्चित हस्तियों में से एक हैं। ये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से प्रभावित होकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। बीजेपी में शामिल होते ही ये पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे और बाद में महासचिव और पार्टी प्रवक्ता बनाये गए।

परिचय

सुनील शास्त्री का जन्म 13 फ़रवरी 1950 को हुआ था। इनके पिता भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री थे। इनकी ललिता शास्त्री थीं। इन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा सेंट कोलंबस स्कूल, दिल्ली से पूर्ण की और आगे पढ़ाई करने दिल्ली यूनिवर्सिटी में गए। इनका विवाह जयपुर में रहने वाली मीरा शास्त्री से हुआ। इन दोनों के तीन बेटे हैं- विनम्र, वैभव और विभोर।

राजनीतिक कॅरियर

सुनील राजनीति में शामिल होने से पहले बैंक ऑफ़ इंडिया में प्रबंधक थे। 1980 में राजनीति में कदम रखने वाले सुनील शास्त्री उत्तर प्रदेश की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। कैरियर के शुरुआती दिनों से ही इनकी सामाजिक कार्यों में रुचि रही है। खासतौर पर ग़रीब एवं पिछड़े समुदाय के लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए हमेशा तत्पर रहे हैं। ग़रीबों एवं हाशिए पर पड़े वंचितों को स्वर देने के लिए ही इन्होंने जनवरी 2011 में ‘लीगेसी इंडिया’ नामक पत्रिका शुरू की।

जब केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी थी, उस समय ये काँग्रेस से त्याग पत्र देकर भारतीय जनता पार्टी में आ गये थे। अटल जी ने इन्हें केन्द्रीय कार्यकारिणी में संगठन का कार्य दिया। जब नरेन्द्र मोदी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव थे तब सुनील शास्त्री भी उनके साथ थे। बाद में जब अटल जी की सरकार चुनाव हार गयी और अटल जी का राजनीति में हस्तक्षेप कम हो गया तो सुनील शास्त्री ने भाजपा में उपेक्षित अनुभव करते हुए लालकृष्ण आडवाणी को अपना इस्तीफा सौंप दिया और काँग्रेस में चले गये। वहाँ भी उन्हें कोई खास जिम्मेदारी नहीं दी गयी। वे अपने स्वभाव के कारण परिस्थितियों से समझौता न कर सके और जब भारतीय जनता पार्टी ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमन्त्री पद का प्रत्याशी घोषित किया तो सुनील शास्त्री फिर से भाजपा में वापस आ गये।

लेखक

सत्यनिष्‍ठा, शुचिता और ईमानदारी जैसे मूल्यों का पालन करने वाले सुनील शास्‍‍त्री न केवल एक लेखक हैं, बल्कि उनमें एक संवेदनशील कवि भी छिपा हुआ है। संगीत के प्रति भी उनका खासा लगाव है। एक ओर वे बच्चों के लिए लिखते हैं, तो दूसरी ओर विभिन्न मुद‍्दों पर गंभीर चिंतन आधारित लेख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते हैं। उन्हें कविता, संगीत और सामाजिक कार्यों से विशेष लगाव है। सामाजिक-आर्थिक बदलाव पर अपने विचारों को वे पत्र-पत्रिकाओं में व्यक्त करते रहते हैं।

रचना

सुनील शास्त्री ने अपने पिता लालबहादुर शास्त्री के जीवन पर आधारित एक पुस्तक 'लालबहादुर शास्त्री: मेरे बाबूजी' हिन्दी में लिखी है जिसका अंग्रेजी अनुवाद भी प्रकाशित हो चुका है।

  • लालबहादुर शास्त्री: मेरे बाबूजी (हिंदी‌)
  • Lal Bahadur Shastri: Past Forward (अंग्रेज़ी अनुवाद)



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख