भारतीय मानक ब्यूरो: Difference between revisions

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}}'''भारतीय मानक ब्यूरो''' संक्षिप्त- 'बीआईएस' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bureau of Indian Standards'' or ''BIS'') [[भारत]] में राष्ट्रीय मानक निर्धारित करने वाली संस्था है। यह उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन कार्य करती है। पहले इसका नाम '[[भारतीय मानक संस्थान]]' (आईएसआई) था, जिसकी स्थापना सन [[1947]] में हुई थी।
}}'''भारतीय मानक ब्यूरो''' संक्षिप्त- 'बीआईएस' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bureau of Indian Standards'' or ''BIS'') [[भारत]] में राष्ट्रीय मानक निर्धारित करने वाली संस्था है। यह उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन कार्य करती है। पहले इसका नाम '[[भारतीय मानक संस्थान]]' (आईएसआई) था, जिसकी स्थापना सन [[1947]] में हुई थी।
==इतिहास==
==इतिहास==
[[भारत]] में ब्रिटिश राज के अंतिम समय में जब औद्योगिक ढांचा खड़ा करने का विशाल कार्य देश के सामने था, उस समय इंस्‍टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) ने ऐसे संस्‍थान के संविधान का प्रथम मसौदा तैयार किया था जो राष्ट्रीय मानक बनाने का कार्य करे। इसके परिणामस्‍वरूप उद्योग एवं आपूर्ति  विभाग ने [[3 सितम्बर]] [[1946]] को एक ज्ञापन निकाला, जिसमें [[भारतीय मानक संस्‍थान]] नाम के संगठन की स्‍थापना की औपचारिक घोघणा की गई। भारतीय मानक संस्‍थान (आईएसआई) [[6 जनवरी]], [[1947]] को अस्तित्‍व में आया और [[जून]] [[1947]] को डा लाल सी वर्मन ने इसके पहले निदेशक का कार्यभार संभाला।
[[भारत]] में ब्रिटिश राज के अंतिम समय में जब औद्योगिक ढांचा खड़ा करने का विशाल कार्य देश के सामने था, उस समय इंस्‍टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) ने ऐसे संस्‍थान के संविधान का प्रथम मसौदा तैयार किया था जो राष्ट्रीय मानक बनाने का कार्य करे। इसके परिणामस्‍वरूप उद्योग एवं आपूर्ति  विभाग ने [[3 सितम्बर]] [[1946]] को एक ज्ञापन निकाला, जिसमें [[भारतीय मानक संस्थान]] नाम के संगठन की स्‍थापना की औपचारिक घोघणा की गई। भारतीय मानक संस्‍थान (आईएसआई) [[6 जनवरी]], [[1947]] को अस्तित्‍व में आया और [[जून]] [[1947]] को डा लाल सी वर्मन ने इसके पहले निदेशक का कार्यभार संभाला।


अपने आरंभिक वर्षो में संगठन ने मानकीकरण गतिविधि पर ध्‍यान दिया। आम उपभोक्‍ताओं तक मानकीकरण का लाभ पहुंचाने के लिए भारतीय मानक संस्‍थान ने भारतीय मानक संस्‍थान (प्रमाणन मुहर) अधिनियम 1952 के अंतर्गत प्रमाणन मुहर योजना आरंभ की। यह योजना जो कि औपचारिक रूप से आईएसआई ने [[1955]]-[[1956]] में आरंभ की थी, इससे उन निर्माताओं को लाइसेंस प्रदान किए जाते हैं जिनके उत्‍पाद भारतीय मानक के अनुरूप होते हैं और वे अपने उत्‍पादों पर आईएसआई मुहर लगा सकते हैं। प्रमाणन मुहर योजना की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए [[1963]] में प्रयोगशालातंत्र स्‍थापित किया गया। उत्‍पाद प्रमाणन का प्रचालन भारतीय मानक संस्‍थान (प्रमाणन मुहर) अधिनियम 1952 के अंतर्गत‍ किया जाता था जबकि मानकों का निर्धारण तथा अन्‍य संबंधित कार्य किसी कानून के अधीन नहीं था, इसलिए इसके लिए [[26 नवम्बर]] [[1986]] को [[संसद]] में एक बिल रखा गया।
अपने आरंभिक वर्षो में संगठन ने मानकीकरण गतिविधि पर ध्‍यान दिया। आम उपभोक्‍ताओं तक मानकीकरण का लाभ पहुंचाने के लिए भारतीय मानक संस्‍थान ने भारतीय मानक संस्‍थान (प्रमाणन मुहर) अधिनियम 1952 के अंतर्गत प्रमाणन मुहर योजना आरंभ की। यह योजना जो कि औपचारिक रूप से आईएसआई ने [[1955]]-[[1956]] में आरंभ की थी, इससे उन निर्माताओं को लाइसेंस प्रदान किए जाते हैं जिनके उत्‍पाद भारतीय मानक के अनुरूप होते हैं और वे अपने उत्‍पादों पर आईएसआई मुहर लगा सकते हैं। प्रमाणन मुहर योजना की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए [[1963]] में प्रयोगशालातंत्र स्‍थापित किया गया। उत्‍पाद प्रमाणन का प्रचालन भारतीय मानक संस्‍थान (प्रमाणन मुहर) अधिनियम 1952 के अंतर्गत‍ किया जाता था जबकि मानकों का निर्धारण तथा अन्‍य संबंधित कार्य किसी कानून के अधीन नहीं था, इसलिए इसके लिए [[26 नवम्बर]] [[1986]] को [[संसद]] में एक बिल रखा गया।

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भारतीय मानक ब्यूरो
विवरण 'भारतीय मानक ब्यूरो' राष्ट्रीय मानक निर्धारित करने वाली संस्था है। यह उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन कार्य करती है।
देश भारत
स्थापना 1 अप्रैल 1987
उद्देश्य मानकीकरण चिहांकन और उत्‍पादों का गुणवत्ता प्रमाणन की गतिविधियों का सामंजस्‍यपूर्ण विकास।
क्षेत्रीय कार्यालय पाँच- कोलकाता (पूर्वी), चेन्नई (दक्षिण), मुंबई (पश्चिम), चंडीगढ़ (उत्तर) और दिल्ली (मध्‍य)
अन्य जानकारी भारतीय मानक ब्‍यूरो विभिन्‍न क्षेत्रों के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप भारतीय मानक तैयार करता है जिन्‍हें 14 विभागों के तहत वर्गीकृत किया गया है।

भारतीय मानक ब्यूरो संक्षिप्त- 'बीआईएस' (अंग्रेज़ी: Bureau of Indian Standards or BIS) भारत में राष्ट्रीय मानक निर्धारित करने वाली संस्था है। यह उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन कार्य करती है। पहले इसका नाम 'भारतीय मानक संस्थान' (आईएसआई) था, जिसकी स्थापना सन 1947 में हुई थी।

इतिहास

भारत में ब्रिटिश राज के अंतिम समय में जब औद्योगिक ढांचा खड़ा करने का विशाल कार्य देश के सामने था, उस समय इंस्‍टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) ने ऐसे संस्‍थान के संविधान का प्रथम मसौदा तैयार किया था जो राष्ट्रीय मानक बनाने का कार्य करे। इसके परिणामस्‍वरूप उद्योग एवं आपूर्ति विभाग ने 3 सितम्बर 1946 को एक ज्ञापन निकाला, जिसमें भारतीय मानक संस्थान नाम के संगठन की स्‍थापना की औपचारिक घोघणा की गई। भारतीय मानक संस्‍थान (आईएसआई) 6 जनवरी, 1947 को अस्तित्‍व में आया और जून 1947 को डा लाल सी वर्मन ने इसके पहले निदेशक का कार्यभार संभाला।

अपने आरंभिक वर्षो में संगठन ने मानकीकरण गतिविधि पर ध्‍यान दिया। आम उपभोक्‍ताओं तक मानकीकरण का लाभ पहुंचाने के लिए भारतीय मानक संस्‍थान ने भारतीय मानक संस्‍थान (प्रमाणन मुहर) अधिनियम 1952 के अंतर्गत प्रमाणन मुहर योजना आरंभ की। यह योजना जो कि औपचारिक रूप से आईएसआई ने 1955-1956 में आरंभ की थी, इससे उन निर्माताओं को लाइसेंस प्रदान किए जाते हैं जिनके उत्‍पाद भारतीय मानक के अनुरूप होते हैं और वे अपने उत्‍पादों पर आईएसआई मुहर लगा सकते हैं। प्रमाणन मुहर योजना की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए 1963 में प्रयोगशालातंत्र स्‍थापित किया गया। उत्‍पाद प्रमाणन का प्रचालन भारतीय मानक संस्‍थान (प्रमाणन मुहर) अधिनियम 1952 के अंतर्गत‍ किया जाता था जबकि मानकों का निर्धारण तथा अन्‍य संबंधित कार्य किसी कानून के अधीन नहीं था, इसलिए इसके लिए 26 नवम्बर 1986 को संसद में एक बिल रखा गया।

स्थापना

इस प्रकार संसद के अधिनियम दिनांक 26 नवम्‍बर 1986 के द्वारा 1 अप्रैल 1987 को भारतीय मानक ब्‍यूरो (बीआईएस) अस्तित्‍व में आया, जिससे उसका कार्यक्षेत्र व्‍यापक हुआ और उसे पूर्ववर्ती स्‍टाफ, देयताएं और प्रकार्य मिले। इस परिवर्तन के द्वारा सरकार ने गुणतापूर्ण संस्‍कृति,सजगता तथा राष्ट्रीय मानकों के निर्धारण एवं क्रियान्‍वयन में उपभोक्‍ताओं की अधिक भागीदारी पर बल दिया। ब्‍यूरो कॉरपोरेट निकाय है जिसमें 25 केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों का प्रतिनिधित्‍व करने वाले 25 सदस्‍य हैं जिसमें संसद सदस्‍य, उद्योग, वैज्ञानिक एवं अनुसंधान संगठन तथा व्‍यावसायिक निकायों के प्रतिनिधि; केन्‍द्रीय उपभोक्‍ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण्‍ मंत्री इसके अध्‍यक्ष और उपभोक्‍ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण्‍ राज्‍य मंत्री उपाध्‍यक्ष हैं।

उद्देश्‍य

  1. मानकीकरण चिहांकन और उत्‍पादों का गुणवत्ता प्रमाणन की गतिविधियों का सामंजस्‍यपूर्ण विकास।
  2. एक तरफ उद्योग का विकास और वृद्धि के लिए मानकीकरण और गुणवत्ता नियं‍त्रण पर जोर देना और दूसरी तरफ उपभोक्‍ताओं के जरूरतों को पूरा करना।

क्षेत्रीय कार्यालय

भारतीय मानक ब्‍यूरो का मुख्‍यालय नई दिल्‍ली में है। इसके पांच क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता, (पूर्वी), चेन्नई (दक्षिण), मुंबई (पश्चिम), चंडीगढ़ (उत्तर) और दिल्ली (मध्‍य) में स्थित है। क्षेत्रीय कार्यालयों के अधीन शाखा कार्यालय (बी.ओ.) है। 28 विभिन्‍न स्‍थानों यथा अहमदाबाद, बैंगलुरू, भुवनेश्वर, भोपाल, चंडीगढ़, चेन्नई, कोयम्बटूर, देहरादून, दिल्ली, दुर्गापुर, [[फ़रीदाबाद], गाज़ियाबाद, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, जमशेदपुर, कोच्चि, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, परमाणु, पटना, पुणे, रायपुर, राजकोट और विशाखापट्टनम पर 33 शाखा कार्यालय स्थित है। ये शाखा कार्यालय क्षेत्र की राज्‍य सरकार, उद्योगों, तकनीकी संस्‍थानों, उपभोक्‍ता संगठनों के बीच प्रभावी कड़ी के रूप में कार्य करता है।

  1. मानक निर्धारण
  2. अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियां
  3. उत्‍पाद प्रमाणन
  4. हॉलमार्किंग
  5. प्रयोगशाला सेवाएं
  6. प्रशिक्षण सेवाएं: राष्ट्रीय मानकीकरण प्रशिक्षण संस्‍थान
  7. उपभोक्‍ता मामले और प्रचार

भारतीय मानक ब्‍यूरो विभिन्‍न क्षेत्रों के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप भारतीय मानक तैयार करता है जिन्‍हें 14 विभागों जैसे रसायन, खाद्य और कृषि, सिविल इलेक्‍टो-टेक्निकल, इलेक्‍टानिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, प्रबंधन एवं प्रणाली, धातुकर्म इंजीनियंरिंग, पेट्रोलियम कोयला एवं संबंधित उत्‍पादों, चिकित्‍सा उपकरण और अस्‍पताल योजना, वस्‍त्र, परिवहन इंजीनियरिंग उत्‍पादन एवं जेनरल इंजीनियरिंग और जल संसाधन के तहत वर्गीकृत किया गया है। इन विभागों के लिए चौदह प्रभाग परिषद व्‍याप्‍त है। ये मानक अर्थव्‍यवस्‍था के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों को कवर करती है और अपनी वस्‍तु और सेवाओं की गुणवत्ता को अपग्रेड करने में उद्योग की मदद करता है।


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