जसवंत सिंह: Difference between revisions

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चित्र:Disamb2.jpg जसवंत सिंह एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- जसवंत सिंह (बहुविकल्पी)
जसवंत सिंह
पूरा नाम जसवंत सिंह जसोल
जन्म 3 जनवरी, 1938
जन्म भूमि गांव- जसोल, बाड़मेर, राजस्थान
मृत्यु 27 सितंबर, 2020
मृत्यु स्थान सेना अस्पताल, नई दिल्ली
अभिभावक पिता- ठाकुर सरदारा सिंह, माता- कुंवर बाई सा
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनीतिज्ञ और लेखक
पार्टी भारतीय जनता पार्टी
पद वित्तमंत्री, भारत- 1 जुलाई 2002 से 21 मई 2004

रक्षामंत्री, भारत- 2 जनवरी, 2000 से 18 अक्टूबर, 2001
विदेशमंत्री, भारत- 5 दिसंबर, 1998 से 5 दिसंबर, 2002

शिक्षा बीए, बीएससी
विद्यालय मेयो कॉलेज, अजमेर
भाषा हिंदी
विशेष योगदान विदेशमंत्री के रूप में उन्होंने भारत-पाकिस्तान संबंधों को सुधारने का भरसक प्रयास किया था।
संबंधित लेख भाजपा, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी
अन्य जानकारी जसवंत सिंह ने भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून और खड़गवासला से भी सैन्य प्रशिक्षण लिया। वे पंद्रह वर्ष की उम्र में भारतीय सेना में शामिल हो गए।

जसवंत सिंह जसोल (अंग्रेज़ी: Jaswant Singh Jasol, जन्म- 3 जनवरी, 1938, बाड़मेर, राजस्थान; मृत्यु- 27 सितंबर, 2020, नई दिल्ली) भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ राजनेता थे। वे अपनी नम्रता और नैतिकता के लिए जाने जाते थे। वे उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे, जिन्हें भारत के रक्षामंत्री, वित्तमंत्री और विदेशमंत्री बनने का अवसर मिला। जसवंत सिंह एक आदर्शवादी व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे। जब उन्हें विदेश नीति का कार्यभार सौपा गया था, तब उन्होंने बड़ी कुशलता से भारत और पाकिस्तान के बीच के तनाव को कम किया। उनकी लेखनी में उनकी परिपक्वता और आदर्शो के प्रति उनका आदर साफ़ झलकता है। जसवंत सिंह को लोगों से घुलना-मिलना पसंद था और वे अस्पताल, संग्रहालय और जल संरक्षण जैसी कई परियोजनाओं के ट्रस्टी भी रहे। 7 अगस्त, 2014 को अपने निवास स्थान पर गिरने के कारण जसवंत सिंह कोमा में चले गए, जिसके बाद उनका स्वास्थ्य ख़राब ही चल रहा है।[1]

परिचय

पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह का जन्म 3 जनवरी 1938 को राजस्थान के बाड़मेर जिले के गांव जसोल में राजपूत परिवार में हुआ। पिता का नाम 'ठाकुर सरदारा सिंह' और माता 'कुंवर बाई सा' थीं। उन्होंने मेयो कॉलेज अजमेर से बी.ए., बी.एससी. करने के अलावा भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून और खड़गवासला से भी सैन्य प्रशिक्षण लिया। उन्हें संगीत सुनना, शतरंज तथा गोल्फ खेलना भी बहुत पसंद है। वे पंद्रह वर्ष की उम्र में ही भारतीय सेना में शामिल हो गए थे। जोधपुर के पूर्व महाराजा गजसिंह के करीबी जसवंत सिंह 1960 के दशक में भारतीय सेना में अधिकारी थे। वे एक सफल राजनितिज्ञ रहे हैं और इसके साथ-साथ उन्होंने पारिवारिक जीवन में भी सामंजस्य बनाये रखा। उनके परिवार में पत्नी शीतल कुमारी और दो बेटे हैं।

राजनैतिक जीवन

जसवंत सिंह ने अपना राजनैतिक जीवन खुद बनाया। वे वाजपेयी सरकार (16 मई, 1996 से 1 जून, 1996) में वित्तमंत्री रहे। बाद में वे वाजपेयी सरकार में विदेशी मंत्री थे और एक बार फिर वित्त बने। तहलका खुलासे के बाद उन्हें एन.डी.ए सरकार में रक्षा मंत्री बनाया गया था। सन 1998 में भारत द्वारा परमाणु परिक्षण किये जाने के बाद भारत-अमेरिका के रिश्तो में जो दरार आई, उसे जसवंत सिंह ने अपने कौशल से भरने की कोशिश की। जसवंत सिंह के तत्कालीन अमेरिकन प्रतिरूप स्ट्रोब टैलबोट के मुताबिक़ वे एक बेहतरीन वार्ताकार और कूटनीतिज्ञ हैं। जसवंत सिंह भारतीय जनता पार्टी के सर्वाधिक प्रभावशाली नेताओं में से रहे हैं। वे छह बार सांसद रह चुके हैं। संसद में वे आकलन समिति, पर्यावरण-वन समिति और ऊर्जा समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। जसवंत सिंह योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे। सन 1998 और 1999 में जसवंत सिंह को भारत का विदेशी मंत्री नियुक्त किया गया था। सन 2002 में पुनः उनकी नियुक्ति भारत के वित्तमंत्री के पद पर की गई। जसवंत सिंह ने कई अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों और सुरक्षा एवं विकास के मुद्दों पर कई किताबें लिखी हैं।

जब वे विदेश मंत्री थे, तब दो आतंकवादियों को कंधार, अफ़ग़ानिस्तान सुरक्षित पहुँचाने के उनके फैसले की विविध राजनैतिक पक्ष द्वारा कड़ी आलोचना भी हुई थी। दो आतंकवादियो को इंडियन एयरलाइन्स के हवाई जहाज को अपहरण कर बंधक बनाये हुए यात्रिओं के बदले भारत सरकार द्वारा छोड़ दिया गया था। सन 2009 में जसवंत सिंह ने पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग सीट से बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीता था। अगस्त, 2009 में पार्टी से निष्कासित होने के बाद 25 जून, 2010 को जसवंत सिंह बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी और लालकृष्ण आडवाणी की उपस्थिति में फिर से बीजेपी में शामिल कर लिए गए।[1]

लेखन कार्य

2009 को भारत विभाजन पर उनकी किताब 'जिन्ना-इंडिया', 'पार्टिशन', 'इंडेपेंडेंस' पर खासा बवाल हुआ। नेहरू-पटेल की आलोचना और जिन्ना की प्रशंसा के लिए उन्हें भाजपा से निकाल दिया गया। कुछ दिनों बाद लालकृष्ण आडवाणी के प्रयासों से पार्टी में उनकी सम्मानजनक वापसी भी हो गई। 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में वे पार्टी से बाड़मेर से टिकट भी प्राप्त नहीं कर पाए। उन्हें अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए एक बार फिर छह साल के लिए पार्टी से ‍निष्काषित कर दिया गया। चुनाव में उन्हें कर्नल सोनाराम के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

पुरस्कार और सम्मान

अपने कार्यकाल के दौरान अपरिमित योगदान के लिए जसवंत सिंह को 2001 में उत्कृष्ट सांसद का पुरस्कार प्रदान किया गया था।

मृत्यु

पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह जसोल का निधन 27 सितंबर, 2020 को हुआ। वह लंबे समय तक कोमा में थे। दिल्ली के सेना अस्पताल में उन्हें 25 जून को भर्ती कराया गया था और मल्टी ऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम के साथ सेप्सिस का इलाज किया जा रहा था। उन्हें 27 सितंबर की सुबह कार्डियक अरेस्ट हुआ। उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव थी।

जसवंत सिंह के निधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सहित कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धाजंलि दी। पीएम मोदी ने लिखा कि- 'पहले एक सैनिक के रूप में और फिर एक लंबे राजनीतिक जीवन के जरिए जसवंत सिंह जी ने हमारे देश की सेवा पूरी मेहनत से की। अटल जी की सरकार के दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण विभागों को संभाला और वित्त, रक्षा और विदेश मामलों में एक मजबूत छाप छोड़ी। उनके निधन से दु:खी हूं'। उन्होंने आगे लिखा कि- 'जसवंत सिंह जी को राजनीति और समाज के मामलों पर उनके अनूठे दृष्टिकोण के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने भाजपा को मजबूत बनाने में भी योगदान दिया। मैं हमेशा हमारी बातचीत को याद रखूंगा'।[2]

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने जसवंत सिंह के निधन पर दु:ख जताते हुए लिखा कि- 'अनुभवी भाजपा नेता और पूर्व मंत्री श्री जसवंत सिंह जी के निधन से गहरा दु:ख हुआ। उन्होंने रक्षा मंत्रालय के प्रभारी सहित कई जगहों पर देश की सेवा की। उन्होंने खुद को एक प्रभावी मंत्री और सांसद के रूप में प्रतिष्ठित किया'।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिखा कि- 'पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता श्री जसवंत सिंह जी के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें व परिजनों को इस आघात को सहने की क्षमता प्रदान करें'।

जीवन घटनाक्रम

जीवन घटनाक्रम
क्र.सं. वर्ष घटना
1. 1938 बाड़मेर, राजस्थान में जन्म
2. 1960 भारतीय सेना में अधिकारी
3. 1996 अटल बिहारी वाजपेयी की अल्पकालीन सरकार में वित्त मंत्री रहे
4. 1980 राज्य सभा में प्रवेश किया
5. 1986 राज्य सभा में दूसरी बार चुने गए, लोक लेखा समिति, राज्य सभा सदस्य, विशेषाधिकार
6. - सम्बन्धी समिति, राज्य सभा सदस्य, लोककार्य समिति, राज्यसभा
7. 1987 परामर्श समिति, पंजाब राज्य, के सदस्य
8. 1989 विधायिका कानून, 1987
9. 1990 9वीं लोक सभा में चुनाव जीते
10. 1991 अनुमान समिति के अध्यक्ष, 10वीं लोक सभा में फिर चुनाव जीते (दुसरी अवधि), पर्यावरण और वन समिति के अध्यक्ष
11. 1992 सुरक्षितता और बैंकिंग लेन-देन में अनियमितता जांचने के लिए बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य बने
12. 1993 ऊर्जा समिति के अध्यक्ष बने
13. 1996 11वीं लोक सभा में चुनाव जीता (तीसरी अवधि), केन्द्रीय वित्त मंत्री बने
14. 1998 योजना आयोग के उपाध्यक्ष चुने गए
15. 1998 राज्य सभा में तीसरी बार चुने गए
16. 1998 केन्द्रीय केबिनेट में विदेशी मामलों के मंत्री बने
17. 1998 केन्द्रीय केबिनेट मंत्री, इलेक्ट्रॉनिक्स (समकालीन अधिकार)
18. 1998 केन्द्रीय केबिनेट मंत्री, भूतल परिवहन (समकालीन अधिकार)
19. 2004 राज्य सभा में चौथी बार चुने गए
20. 2004 केन्द्रीय केबिनेट रक्षा मंत्री (समकालीन अधिकार)
21. 2004 वित्त मंत्री और कंपनी अफेयर्स मंत्री, भारत सरकार
22. 2004 केन्द्रीय केबिनेट मंत्री, वित्त मंत्रालय
23. 2004 राज्य सभा में पांचवी बार चुने गए
24. 2004 नेता विपक्ष, राज्य सभा
25. 2004 विज्ञान और तकनीक, पर्यावरण और वन्य समिति के सदस्य
26. 2004 राष्ट्रीय नेताओं और सांसदों के छाया चित्र और स्मारक संसद भवन में प्रतिष्ठापन करने हेतु बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य
27. 2004 सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य
28. 2004 चौथी बार लोक सभा चुनाव जीते। लोक लेखा समिति के अध्यक्ष, लोक लेखा समिति के सदस्य बने।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 जसवंत सिंह (हिंदी) hindi.culturalindia.net। अभिगमन तिथि: 06 सितम्बर, 2016।
  2. पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का निधन (हिंदी) (bharat.republicworld.com)। । अभिगमन तिथि: 27 सितंबर, 2020।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

पंद्रहवीं लोकसभा सांसद