विचित्र वीणा

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  • प्राचीन काल में एकतंत्री वीणा नाम का एक साज़ हुआ करता था, विचित्र वीणा उसी साज़ का आधुनिक रूप है।
  • विचित्र वीणा उत्तर भारतीय संगीत में वीणा का नवीनतम रूप है। इस वाद्य की गमकदार आवाज़ और अतिसार सप्तक की धारदार आवाज़ दोनों ही वीणा की ध्वन्यात्मक विशेषताये हैं ।
  • विचित्र वीणा में 3 फीट लम्बा और 6 इंच चौड़ा एक डंड होता है और दोनों तरफ़ दो तुम्बे होते हैं कद्दू के आकार के जिन्हें हम रेज़ोनेटर भी कह सकते हैं। डंड के दोनों छोर पर मोर के सर की आकृति बनी होती है।
  • विचित्र वीणा के वादक वीणा को अपने सामने ज़मीन पर रख कर अपनी उंगलियाँ तारों पर फेरता है।
  • विचित्र वीणा में चार मुख्य प्लेयिंग् तार होते हैं और पाँच सेकण्डरी तार होते हैं जिन्हें चिलकारी कहा जाता है और जिन्हें छोटी उंगली से बजाया जाता है|। इन तारों के नीचे 13 सीम्पैथेटिक तार होते हैं जिनका इस्तमाल किसी राग के सुरों को लेय में करने के लिए किया जाता है।
  • सितार की तरह विचित्र वीणा भी उंगलियों में मिज़राब पहनकर बजाया जाता है।
  • विचित्र वीणा का प्रयोग मुख्यत: ध्रुपद शैली के गायन के संगीत में किया जाता है।
  • विचित्र वीणा बहुत ज़्यादा स्पष्ट सुर नहीं जगा पाता, इसलिए इसे एक संगत साज़ के तौर पर ही ज़्यादा इस्तमाल किया जाता है। वैसे एकल रूप में भी विचित्र वीणा बहुत से कलाकारों ने बजाया है।


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