भैरवपर्वत शक्तिपीठ

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हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आया। ये अत्यंत पावन तीर्थ कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है। युगाद्या, 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है।

  • सती के "ऊर्ध्व ओष्ठ" (ऊपरी होठ) का निपात स्थल भैरव पर्वत है, किंतु इसकी स्थिति को लेकर विद्वानों में मतभेद है।
  • कुछ उज्जैन के निकट शिप्रा नदी तट स्थित भैरवपर्वत को, तो कुछ गुजरात के गिरनार पर्वत के सन्निकट भैरवपर्वत को वास्तविक शक्तिपीठ मानते हैं।
  • अत: दोनों स्थानों पर शक्तिपीठ की मान्यता है।
  • यहाँ की सति 'अवंती' तथा शिव 'लंबकर्ण' हैं।[1]
  • उज्जैन भोपाल (मध्य प्रदेश राजधानी) से 185 कि.मी. तथा इंदौर से 80 किलोमीटर नई दिल्ली-पुणे रेलमार्ग पर स्थित है।
  • उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भी दर्शनीय है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शक्ति के अवंती होने से उज्जैन में शक्तिपीठ मानना ज़्यादा उचित प्रतीत होता है।

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