ग़दर पार्टी

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ग़दर पार्टी पराधीन भारत को अंग्रेज़ों से स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से बना एक दल था। इसे अमेरिका और कनाडा के भारतीयों ने 25 जून 1913 में बनाया था। इसे प्रशान्त तट का हिन्दी संघ (Hindi Association of the Pacific Coast) भी कहा जाता था। यह पार्टी "ग़दर" नाम का पत्र भी निकालती थी जो उर्दू और पंजाबी में छपता था। इस संगठन ने भारत को अनेक महान क्रान्तिकारी दिये। गदर पार्टी के महान नेताओं सोहन सिंह भकना, करतार सिंह सराभा, लाला हरदयाल आदि ने जो कार्य किये, उसने भगत सिंह जैसे क्रान्तिकारियों को प्रेरित किया।

ग़दर का अर्थ

गदर शब्द का अर्थ है - विद्रोह। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में क्रान्ति लाना था। जिसके लिए अंग्रेज़ी नियंत्रण से भारत को स्वतंत्र करना आवश्यक था। गदर पार्टी का हैड क्वार्टर सैन फ्रांसिस्को में स्थापित किया गया। इसने एक 'युगान्तर आश्रम' नाम से एक संस्था भी स्थापित की, जिसका कार्य युवा भारतीयों में देशभक्ति की भावना फैलाना है और उन्हें विद्रोह के लिए प्रशिक्षित करना है।

स्थापना

ग़दर पार्टी की स्थापना 25 जून, 1913 ई. में की गई थी। पार्टी का जन्म अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के 'एस्टोरिया' में अंग्रेज़ी साम्राज्य को जड़ से उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से हुआ। ग़दर पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष सोहन सिंह भकना थे। इसके अतिरिक्त केसर सिंह थथगढ (उपाध्यक्ष), लाला हरदयाल (महामंत्री), लाला ठाकुरदास धुरी (संयुक्त सचिव) और पण्डित कांशीराम मदरोली (कोषाध्यक्ष) थे। ‘ग़दर’ नामक पत्र के आधार पर ही पार्टी का नाम भी ‘ग़दर पार्टी’ रखा गया था। ‘ग़दर’ पत्र ने संसार का ध्यान भारत में अंग्रेज़ों के द्वारा किए जा रहे अत्याचार की ओर दिलाया। नई पार्टी की कनाडा, चीन, जापान आदि में शाखाएँ खोली गईं। लाला हरदयाल इसके महासचिव थे।

ग़दर साप्ताहिक पत्र

इस संगठन ने 1 नवम्बर 1913 से एक साप्ताहिक पत्र ‘गदर’ का प्रकाशन भी शुरू किया। यह पत्र सेन फ्रांसिस्को के युगान्तर आश्रम से खुले आम प्रकाशित होता था। पहले इसे उर्दू और गुरुमुखी में प्रकाशित किया गया लेकिन बाद में कई अन्य भाषाओं में भी इसका प्रकाशन हुआ। इस पत्र को भारत और दुनिया के उन देशों में पहुंचाने की जबरदस्त कोशिशें की गयीं, जहां प्रवासी भारतीय रहते थे। इसकी सैकड़ों प्रतियां शंघाई, हांगकांग और कई दूसरे रास्तों से भारत पहुंचती थीं। गदर की लोकप्रियता काफी बढ़ी और इसमें छपने वाली ग्रंथी भगवान सिंह की क्रांतिकारी कविताओं ने दुनिया भर में फैले भारतीयों के हृदय में स्वतंत्रता प्राप्ति की तीव्रता का भाव जगाने में खासी कामयाबी भी पायी। गदर पार्टी के तौर-तरीके और गदर की विचारधारा को देश में भी काफी आलोचनाएं सहन करनी पड़ीं लेकिन इस बात में कोई संदेह की गुंजाइश नहीं कि गदर पार्टी ने देश की आजादी के लिए ईमानदार और साहसिक कोशिश की।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. लड़ाई बाहर से भी लड़ी गई (हिंदी) भारतीय पक्ष। अभिगमन तिथि: 7 मार्च, 2013।

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