तमोर पिंगला अभयारण्य

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तमोर पिंगला अभयारण्य छत्तीसगढ़ राज्य के आदिवासी बहुल सरगुजा ज़िले के उत्तरी सरगुजा वनमण्डल में अवस्थित है। यह अभयारण्य अम्बिकापुर से 94 किमी. दूर स्थित है। अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल 608.27 वर्ग किमी. है। साल और मिश्रित वनों से आच्छादित और वर्ष 1978 में स्थापित इस अभयारण्य का सम्पूर्ण क्षेत्र तमोर और पिंगला नामक वनखण्डों से निर्मित है, जो सरगुजा ज़िले के उत्तर-पिश्चम में स्थित है। रेहण्ड नदी इस अभयारण्य की दक्षिण-पिश्चम सीमा बनाती है, तथा वहीं दूसरी ओर मोरन नदी अभयारण्य की उत्तरी सीमा का निर्माण करती है। इस अभयारण्य का समस्त क्षेत्र पहाड़ी, घने जंगलों और नदियों से घिरे होने के कारण बड़ा ही मनोहारी परिदृश्य प्रस्तुत करता है।[1]

पशु-पक्षी

इस अभयारण्य में प्रमुख रूप से शेर और तेन्दुआ जैसे मुख्य मांसाहारी वन्य प्राणियों के अतिरिक्त गौर, नीलगाय, सांभर, चीतल, भालू, जंगली सुअर, चिंकारा, कोटरी, लंगूर तथा बंदर आदि भी बड़ी तादाद में पाये जाते है। पक्षियों में मोर, नीलकंठ, तोता, कोयल, जंगली मुर्गा, भृंगराज, बुलबूल, दूधराज, पपीहा, तीतर और मैना आदि दिखते हैं। वनों से आच्छादित इस अभयारण्य में साल, साजा, धावडा, महुआ, तेन्दू, अर्जुन, तिन्सा, हल्दू, आंवला, चारकारी, बांस, धवई और घोट आदि प्रजातियों के पेड-पौधे और वृक्ष बहुतायत मात्रा में देखने को मिलते है। वन वर्गीकरण के आधार पर यह क्षेत्र शुष्क प्रायिद्वपीय साल वन और उत्तरी शुष्क मिश्रित पर्णपाती वन के अंतर्गत आता है। इस अभयारण्य क्षेत्र में 8 राजस्व ग्राम आते है। इन ग्रामों में मुख्यतः गोड, पण्डी, चेरवा, कोडकू और खैरवार जनजातियाँ निवास करती है।

मनोहारी दृश्य

'तमोर पिंगला अभयारण्य' में वन्य प्राणियों और ख़ूबसूरत मनोहारी दृश्यों के अतिरिक्त तमोर वन खण्ड की खड़ी पहाड़ियों और रेहण्ड नदी का विहंगम दृश्य भी शानदार द्रश्य प्रस्तुत करता है और मन को आकर्षित कर देता है। इस अभयारण्य में इसके साथ-साथ 'देवी झिरिया' का मंदिर और यहाँ की नजदीकी पहाड़ी से बारह महिने कल-कल करता और बहता हुआ जल भी आनंद की अनुभूति का एहसास कराता है। अभयारण्य के दर्शनीय स्थलों में 'बेंगाची पहाड', लेफरी घाट, सुईलना, घोड़ापाट, माल्हन देवी स्थल, कुदरू घाघ और केदू झरिया आदि स्थल हैं। 'तमोर पिंगला अभयारण्य' में भ्रमण का सबसे ठीक समय नवंबर से जून तक का महिना है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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