प्रसाद स्टूडियो

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प्रसाद स्टूडियो (अंग्रेज़ी: Prasad Studios) भारतीय सिनेमा निर्माण के इतिहास में दक्षिण भारत की एक महत्वपूर्ण संस्था है। इस स्टूडियो के निर्माता एल. वी. प्रसाद की आस्था भारतीय पारिवारिक मूल्यों में गहन रूप से विद्यमान थी, जो उनकी फ़िल्म कला में मुखर होकर प्रकट हुई।

स्थापना

एल. वी. प्रसाद नामक एक युगांतरकारी सिनेमा प्रेमी कलाकार द्वारा सन् 1956 में प्रसाद स्टूडियो की स्थापना मद्रास में हुई। यहाँ से तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम और हिंदी में लगभग 150 फ़िल्में बनी हैं।[1]

सुविधाएँ

प्रसाद स्टूडियो के निर्माता एल. वी. प्रसाद की आस्था भारतीय पारिवारिक मूल्यों में गहन रूप से विद्यमान थी, जो उनकी फ़िल्म कला में मुखर होकर प्रकट हुई। एल. वी. प्रसाद ने हिंदी की प्रथम सवाक फ़िल्म 'आलम आरा' में अभिनय किया था। प्रसाद स्टूडियो के अंतर्गत फ़िल्मों के संपादन, साउंड रिकार्डिंग, कलर प्रोसेसिंग और डब्बिंग आदि तकनीकी उपकरणों से लैस अत्याधुनिक सुविधाएँ निर्माताओं के लिए उपलब्ध हैं। एल. वी. प्रसाद को भारतीय सिनेमा में अप्रतिक योगदान के लिए 'दादा साहब फाल्के पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था।

प्रमुख फ़िल्में

हैदराबाद में एल. वी. प्रसाद के द्वारा निर्मित प्रसाद आइमेक्स 3 डी सिनेमा हाल विश्व स्तर का अपना एक मात्र मल्टीप्लेक्स सिनेमा घर है, जिसमें विश्व का सबसे बड़ा 3 डी आइमेक्स स्क्रीन मौजूद है। इस ऐतिहासिक निर्माण संस्था में एल. वी. प्रसाद के निर्देशन में बनी हिंदी की प्रमुख और लोकप्रिय फ़िल्में हैं-

एल. वी. प्रसाद निर्देशित प्रमुख फ़िल्में[1]
फ़िल्म वर्ष
'शारदा' 1957 (राज कपूर-मीना कुमारी)
'छोटी बहन' 1959
'ससुराल' 1961
'हमराही' 1963
'बेटी-बेटे' 1964
'दादी माँ' 1966
'मिलन' 1967
'राजा और रंक' 1968
'जीने की राह' 1969
'खिलौना' 1970
'बिदाई' 1971
'शादी के बाद' 1972
'जय-विजय' 1977
'ये कैसा इंसाफ' 1980
'एक दूजे के लिए' 1981
'मेरा घर मेरे बच्चे' 1985
'स्वाती' 1986


इनमें से अधिकांश फ़िल्में तेलुगु और तमिल भाषाओं में पहले बनीं हैं। हिंदी सिनेमा के इतिहास में प्रसाद स्टूडियो के फ़िल्मों की लोकप्रियता की अपनी एक अलग पहचान है। ये सभी फ़िल्में संगीत प्रधान हैं, जिनके गीत आज भी सुनाई देते हैं, और लोग इन्हें पसंद करते हैं।


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