जेन वायले

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जेन वायले दूसरे विश्वयुद्ध के समय सक्रिय थीं। वह एक गुप्तचर के रूप में अपनी सूचनाएँ सहयोगी देशों को दिया करती थीं। जनवरी, 1947 में उन्हें पकड़ लिया गया और देशद्रोह का आरोप लगाया गया। लेकिन बाद के समय में या तो वह जेल से भाग निकलीं या फिर उन्हें रिहा कर दिया गया।

  • जेन वायले का जन्म रिपब्लिक ऑफ़ कॉन्गो में हुआ था, लेकिन जब वह बच्ची थीं, तभी वह पेरिस आ गई थीं।
  • दूसरे विश्वयुद्ध के शुरू होने के वक्त जेन वायले पेरिस में एक पत्रकार के तौर पर काम कर रही थीं।
  • बाद में कुछ समय बाद जेन वायले ने पेरिस छोड़ दिया और फ्रांसीसी प्रतिरोध के साथ बतौर सीक्रेट एजेंट जुड़ गईं।
  • वह फ्रांस के दक्षिणी हिस्से में काम कर रही थीं। उस वक्त तक यह इलाका जर्मनों के कब्जे में नहीं आया था। यहां विची की कठपुतली सरकार थी।
  • जेन वायले नाज़ी सैनिकों की आवाजाही के बारे में खुफ़िया जानकारी जुटाती थीं और इसे सहयोगी देशों को बढ़ा दिया करती थीं।
  • दुश्मनों ने जेन वायले को जनवरी, 1943 में पकड़ लिया और उन पर देशद्रोह के आरोप लगाए गए।
  • उनके राज़ हालांकि किसी को पता नहीं थे, क्योंकि उन्होंने अपने डेटा को कोड में इस तरह से तब्दील कर दिया था कि इसे पढ़ पाना नामुमकिन था।
  • जेन वायले को पहले प्रताड़ना केंद्र में भेजा गया और उसके बाद उन्हें मर्सिले की महिलाओं की जेल में डाल दिया गया। लेकिन वह या तो वहां से भाग निकलीं या फिर उन्हें रिहा कर दिया गया और इस तरह से वह जंग के बाद जीवित बच गईं।
  • सन 1947 में जेन वायले को फ्रांसीसी सीनेट का सदस्य चुना गया।[1]
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