Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 14"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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{[[तमिलनाडु|तमिल]] राष्ट्र में [[दुर्गा]] का तादात्म्य तमिल देवी 'कोरवई' से किया गया है। वे किस तत्त्व की तमिल देवी थीं?
 
|type="()"}
 
-मातृत्व
 
-प्रकृति और उर्वरकता
 
-[[पृथ्वी]]
 
+युद्ध और विजय
 
 
{वह प्रथम भारतीय शासक, जिसने रोमन मुद्रा प्रणाली के अनुरूप अपने सिक्कों का प्रसारण किया, उसका सम्बन्ध किस साम्राज्य से था?
 
|type="()"}
 
-[[शुंग]]
 
-हिन्द-यूनानी
 
-[[गुप्त वंश|गुप्त वंशीय]]
 
+[[कुषाण]]
 
||[[चित्र:Kanishk.jpg|right|100px|कनिष्क की मूर्ति, राजकीय संग्रहालय, मथुरा]][[कुषाण वंश]] के शासकों में [[विम कडफ़ाइसिस]] ([[शैव]] अनुयायी), [[कनिष्क]] ([[बौद्ध]] अनुयायी), [[हुविष्क]] और [[वासुदेव कुषाण]] [[वैष्णव धर्म]] के अनुयायी थे। [[मथुरा]] से कनिष्क की एक ऐसी मूर्ति मिली है, जिसमें उसे सैनिक वेषभूषा में दिखाया गया है। कनिष्क के अब तक प्राप्त सिक्के [[यूनानी]] एवं ईरानी भाषा में मिले हैं। कनिष्क के [[तांबा|तांबे]] के सिक्कों पर उसे 'बलिवेदी' पर बलिदान करते हुए दर्शाया गया है। कनिष्क के [[सोना|सोने]] के सिक्के [[रोम]] के सिक्कों से काफ़ी कुछ मिलते-जुलते थे। [[बुद्ध]] के [[अवशेष|अवशेषों]] पर कनिष्क ने [[पेशावर]] के निकट एक [[स्तूप]] एवं मठ का निर्माण करावाया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुषाण]]
 
 
 
{[[हैदराबाद]] नगर की स्थापना किसने की थी?
 
{[[हैदराबाद]] नगर की स्थापना किसने की थी?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-[[इब्राहीम क़ुतुबशाह]] ने
+
-[[इब्राहीम क़ुतुबशाह]]
+[[मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह]] ने
+
+[[मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह]]
 
-[[मुहम्मद क़ुतुबशाह]]
 
-[[मुहम्मद क़ुतुबशाह]]
 
-[[जमशेद क़ुतुबशाह]]
 
-[[जमशेद क़ुतुबशाह]]
||[[चित्र:Muhammad-Quli-Qutb-Shah-Portrait.jpg|right|100px|मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह]]'मुहम्म्द क़ुली क़ुतुबशाह' (1580 ई. से 1612 ई.) [[गोलकुंडा]] के [[क़ुतुबशाही वंश]] का पाँचवाँ सुल्तान था। उसका जन्म 1565 ई. में हुआ और मृत्यु 1612 ई. में हुई थी। मुहम्म्द क़ुली क़ुतुबशाह एक अच्छा [[कवि]] और [[संगीत]] का बहुत प्रेमी था। वह स्थापत्य आदि के कार्यों में भी बहुत रूचि लिया करता था। [[भारत]] के प्रसिद्ध नगरों में से एक [[हैदराबाद]] नगर की स्थापना उसने की थी। दक्कनी [[उर्दू]] में लिखित प्रथम काव्य-संग्रह या ‘दीवान’ का लेखक भी वही था। उसके इन्हीं दुर्लभ गुणों के कारण उसकी चर्चा आज भी होती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह]]
+
||[[चित्र:Muhammad-Quli-Qutb-Shah-Portrait.jpg|right|100px|मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह]]'मुहम्म्द क़ुली क़ुतुबशाह' (1580 ई. से 1612 ई.) [[गोलकुंडा]] के [[क़ुतुबशाही वंश]] का पाँचवाँ सुल्तान था। उसका जन्म 1565 ई. में हुआ और मृत्यु 1612 ई. में हुई थी। मुहम्म्द क़ुली क़ुतुबशाह एक अच्छा [[कवि]] और [[संगीत]] का प्रेमी था। वह स्थापत्य आदि के कार्यों में भी बहुत रुचि लिया करता था। [[भारत]] के प्रसिद्ध नगरों में से एक [[हैदराबाद]] नगर की स्थापना उसने की थी। दक्कनी [[उर्दू]] में लिखित प्रथम काव्य-संग्रह या ‘दीवान’ का लेखक भी वही था। उसके इन्हीं दुर्लभ गुणों के कारण उसकी चर्चा आज भी होती है। - अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह]]
 
 
{[[बहमनी साम्राज्य]] में प्रान्तों को क्या कहा जाता था?
 
|type="()"}
 
+तराफ़ या अतराफ़
 
-सूबा
 
-सूबा-ए-लश्कर
 
-महामण्डल
 
  
{[[औरंगज़ेब]] के शासनकाल में [[जाट]] विद्रोह का नेता कौन था?
+
{[[जैन]] [[तीर्थंकर पार्श्वनाथ]] द्वारा प्रतिपादित चार महाव्रतों में [[महावीर स्वामी]] ने पाँचवें व्रत के रूप में क्या जोड़ा?
|type="()"}
 
+ज़मींदार [[गोकुल सिंह]]
 
-[[चम्पतराय]]
 
-[[राजाराम]]
 
-[[ठाकुर चूड़ामन सिंह|चूड़ामन]]
 
||[[चित्र:Gokula-Singh.jpg|right|100px|गोकुल सिंह जाट]]वीरवर 'गोकुल सिंह', जिसे लोग 'गोकला' नाम से जानते हैं, उसके जीवन के बारे में बस यही पता चलता है कि सन 1660-1670 के दशक में वह तिलपत नामक इलाके का प्रभावशाली ज़मींदार था। तिलपत के ज़मींदार ने [[मुग़ल]] सत्ता को इस समय चुनौती दी। [[गोकुल सिंह]] में संगठन की बहुत क्षमता थी और वह बहुत साहसी और दृढ़प्रतिज्ञ था। उपेन्द्रनाथ शर्मा का कथन है कि 'उसका जन्म सिनसिनी में हुआ और वह [[सूरजमल]] का पूर्वज था। वह [[जाट]], [[गुर्जर|गूजर]] और अहीर किसानों का नेता बन गया और उनसे कहा कि वे मुग़लों को [[मालगुज़ारी]] देना बन्द कर दें।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोकुल सिंह]]
 
 
 
{[[जैन]] [[तीर्थंकर पार्श्वनाथ]] द्वारा प्रतिपादित चार महाव्रतों में [[महावीर]] स्वामी ने पाँचवें व्रत के रूप में क्या जोड़ा?
 
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-[[अहिंसा व्रत|अहिंसा]]
 
-[[अहिंसा व्रत|अहिंसा]]
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-अपरिग्रह
 
-अपरिग्रह
 
+[[ब्रह्मचर्य]]
 
+[[ब्रह्मचर्य]]
||'ब्रह्मचर्य' का मूल अर्थ है 'ब्रह्म ([[वेद]] अथवा ज्ञान) की प्राप्ति का आचरण।' इसका रूढ़ प्रयोग विद्यार्थी जीवन के अर्थ में होता है। [[आर्य]] जीवन के चार आश्रमों में प्रथम [[ब्रह्मचर्य]] है, जो विद्यार्थी जीवन की अवस्था का द्योतक है। प्राचीन समय से ही [[भारत]] में ब्रह्मचर्य का विशेष महत्त्व रहा है। कभी-कभी प्रौढ़ और वृद्ध लोग भी छात्र जीवन का निर्वाह समय-समय पर किया करते थे, जैसा कि आरुणि की कथा से ज्ञात होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ब्रह्मचर्य]]
+
||'ब्रह्मचर्य' का मूल अर्थ है 'ब्रह्म ([[वेद]] अथवा ज्ञान) की प्राप्ति का आचरण।' इसका रूढ़ प्रयोग विद्यार्थी जीवन के अर्थ में होता है। [[आर्य]] जीवन के चार [[आश्रम (जीवन अवस्थाएँ)|आश्रमों]] में प्रथम [[ब्रह्मचर्य]] है, जो विद्यार्थी जीवन की अवस्था का द्योतक है। प्राचीन समय से ही [[भारत]] में ब्रह्मचर्य का विशेष महत्त्व रहा है। कभी-कभी प्रौढ़ और वृद्ध लोग भी छात्र जीवन का निर्वाह समय-समय पर किया करते थे, जैसा कि आरुणि की कथा से ज्ञात होता है। - अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ब्रह्मचर्य]]
  
 
{ऋग्वैदिक [[आर्य|आर्यों]] की [[भाषा]] क्या थी?
 
{ऋग्वैदिक [[आर्य|आर्यों]] की [[भाषा]] क्या थी?
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+[[संस्कृत भाषा]]
 
+[[संस्कृत भाषा]]
 
-[[पालि भाषा]]
 
-[[पालि भाषा]]
||'संस्कृत' [[भारत]] की एक शास्त्रीय भाषा है। इसकी गणना संसार की प्राचीनतम ज्ञात भाषाओं में होती है। [[संस्कृत]] को 'देववाणी' भी कहते हैं। यह हिन्दी-यूरोपीय भाषा परिवार की मुख्य शाखा हिन्दी-ईरानी भाषा की हिन्दी-आर्य उपशाखा की मुख्य [[भाषा]] है। आधुनिक भारतीय भाषाएँ [[हिन्दी]], [[मराठी भाषा|मराठी]], [[सिन्धी भाषा|सिन्धी]], [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], [[बंगला भाषा|बंगला]], [[उड़िया भाषा|उड़िया]], [[नेपाली भाषा|नेपाली]], [[कश्मीरी भाषा|कश्मीरी]], [[उर्दू]] आदि सभी भाषाएं इसी से उत्पन्न हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंज़ारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। [[हिन्दू धर्म]] के लगभग सभी धर्मग्रन्थ संस्कृत भाषा में ही लिखे हुए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[संस्कृत भाषा]]
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||'संस्कृत' [[भारत]] की एक शास्त्रीय भाषा है। इसकी गणना संसार की प्राचीनतम ज्ञात भाषाओं में होती है। [[संस्कृत]] को 'देववाणी' भी कहते हैं। यह हिन्दी-यूरोपीय भाषा परिवार की मुख्य शाखा हिन्दी-ईरानी भाषा की हिन्दी-आर्य उपशाखा की मुख्य [[भाषा]] है। आधुनिक भारतीय भाषाएँ [[हिन्दी]], [[मराठी भाषा|मराठी]], [[सिन्धी भाषा|सिन्धी]], [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], [[बंगला भाषा|बंगला]], [[उड़िया भाषा|उड़िया]], [[नेपाली भाषा|नेपाली]], [[कश्मीरी भाषा|कश्मीरी]], [[उर्दू]] आदि सभी भाषाएं इसी से उत्पन्न हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंज़ारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। [[हिन्दू धर्म]] के लगभग सभी धर्मग्रन्थ संस्कृत भाषा में ही लिखे हुए हैं। - अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[संस्कृत भाषा]]
  
 
{ऋग्वैदिक काल में समाज का स्वरूप किस प्रकार का था?
 
{ऋग्वैदिक काल में समाज का स्वरूप किस प्रकार का था?
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+पितृसत्तात्मक  
 
+पितृसत्तात्मक  
 
-मातृसत्तात्मक
 
-मातृसत्तात्मक
-1 एवं 2 दोनों  
+
-उपरोक्त दोनों  
-केवल 1
+
-इनमें से कोई नहीं
  
 
{[[बुद्ध]] को किस नदी के तट पर ज्ञान प्राप्त हुआ था?
 
{[[बुद्ध]] को किस नदी के तट पर ज्ञान प्राप्त हुआ था?
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-[[गंगा]]
 
-[[गंगा]]
 
-[[यमुना]]
 
-[[यमुना]]
||[[चित्र:Buddha-National-Museum-Delhi.jpg|right|100px|बुद्ध प्रतिमा, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली]]'निरंजना नदी' [[गया]] के पास बहने वाली [[फल्गु नदी]] की सहायक उपनदी है, जिसे अब 'नीलांजना नदी' कहते है। इस नदी का भगवान [[बुद्ध]] के साथ कई जगहों पर उल्लेख हुआ है। [[निरंजना नदी]] गया से दक्षिण में तीन मील पर महाना अथवा फल्गु में मिलती है। यह नदी [[बौद्ध साहित्य]] की प्रसिद्ध नदी है। नदी के तट पर भगवान महात्मा बुद्ध को 'बुद्धत्व' (ज्ञान) की प्राप्ति हुई थी। [[अश्वघोष]] द्वारा रचित '[[बुद्धचरित]]' में निरंजना नदी का उल्लेख कई स्थानों पर हुआ है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[निरंजना नदी]]
+
||[[चित्र:Buddha-National-Museum-Delhi.jpg|right|100px|बुद्ध प्रतिमा, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली]]'निरंजना नदी' [[गया]] के पास बहने वाली [[फल्गु नदी]] की सहायक उपनदी है, जिसे अब 'नीलांजना नदी' कहते है। इस नदी का भगवान [[बुद्ध]] के साथ कई जगहों पर उल्लेख हुआ है। [[निरंजना नदी]] गया से दक्षिण में तीन मील पर महाना अथवा फल्गु में मिलती है। यह नदी [[बौद्ध साहित्य]] की प्रसिद्ध नदी है। नदी के तट पर भगवान महात्मा बुद्ध को 'बुद्धत्व' (ज्ञान) की प्राप्ति हुई थी। [[अश्वघोष]] द्वारा रचित '[[बुद्धचरित]]' में निरंजना नदी का उल्लेख कई स्थानों पर हुआ है। - अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[निरंजना नदी]]
 
 
{[[पूर्णिमा]] की रात के बारे में कौन-सा कथन [[महात्मा बुद्ध]] के लिए महत्त्वपूर्ण है?
 
|type="()"}
 
-पूर्णिमा को ही बुद्ध का जन्म हुआ
 
+[[पूर्णिमा]] को बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया
 
-पूर्णिमा की ही रात को बुद्ध ने गृह-त्याग किया
 
-पूर्णिमा को ही [[बुद्ध]] का [[निर्वाण|महापरिनिर्वाण]] हुआ।
 
||जब [[चन्द्र ग्रह|चन्द्र]] एवं [[बृहस्पति ग्रह|बृहस्पति]] एक ही [[नक्षत्र]] में हों और तब [[पूर्णिमा]] हो तो उस पूर्णिमा या '[[पौर्णमासी]]' को 'महा' कहा जाता है। ऐसी पौर्णमासी पर दान एवं [[उपवास]] 'अक्षय' फलदायक होता है। ऐसी पौर्णमासी को 'महाचैत्री', 'महाकार्तिकी', 'महापौषी' आदि कहा जाता है। [[सूर्य]] से चन्द्र का अन्तर जब 169° से 180° तक होता है, तब [[शुक्ल पक्ष]] की पूर्णिमा रहती है। पूर्णिमा के स्वामी स्वयं [[चन्द्र देव]] हैं। पूर्णिमान्त काल में सूर्य एवं चन्द्र एकदम आमने-सामने (समसप्तक) होते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पूर्णिमा]]
 
 
 
{[[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] के विषय में निम्न में से क्या असत्य है?
 
|type="()"}
 
-[[अनीश्वरवाद|अनीश्वरवादी]] थे।
 
-अनात्मवादी थे।
 
+[[पुनर्जन्म]] में विश्वास नहीं करते थे।
 
-यज्ञीय कर्म काण्ड एवं पशुबलि के विरोधी थे।
 
||[[चित्र:Changing-bodies2.jpg|right|100px|मानव जीवन चक्र]]'पुनर्जन्म' का अर्थ है- 'पुन: नवीन शरीर प्राप्त होना'। प्रत्येक मनुष्य का मूल स्वरूप [[आत्मा]] है न कि [[मानव शरीर|शरीर]]। हर बार मृत्यु होने पर मात्र शरीर का ही अंत होता है। इसीलिए मृत्यु को देहांत (देह का अंत) कहा जाता है। मनुष्य का असली स्वरूप आत्मा, पूर्व कर्मों का फल भोगने के लिए पुन: नया शरीर प्राप्त करता है। आत्मा तब तक जन्म-मृत्यु के चक्र में घूमता रहता है, जब तक कि उसे मोक्ष प्राप्त नहीं हो जाता। मोक्ष को ही [[निर्वाण]], आत्मज्ञान, पूर्णता एवं कैवल्य आदि नामों से भी जानते हैं। पुनर्जन्म का सिद्धांत मूलत: कर्मफल का ही सिद्धांत है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पुनर्जन्म]]
 
 
 
{[[बौद्ध धर्म]] के किस [[ग्रंथ]] में सर्वप्रथम [[संस्कृत]] का प्रयोग हुआ?
 
|type="()"}
 
-[[सुत्तपिटक]]
 
-[[विनयपिटक]]
 
+[[अभिधम्मपिटक]]
 
-[[महावस्तु]]
 
 
{[[बुद्ध]] ने अपने सर्वाधिक उपदेश कहाँ पर दिये?
 
|type="()"}
 
-[[वैशाली]]
 
+[[श्रावस्ती]]
 
-[[वैशाली]]
 
-[[राजगृह]]
 
||[[भारत]] के [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के [[गोंडा ज़िला|गोंडा]]-[[बहराइच ज़िला|बहराइच]] ज़िलों की सीमा पर [[श्रावस्ती]] [[बौद्ध]] तीर्थ स्थान है। गोंडा-[[बलरामपुर]] से 12 मील पश्चिम में आधुनिक सहेत-महेत गाँव ही श्रावस्ती है। पहले यह [[कौशल]] देश की दूसरी राजधानी थी। भगवान [[राम]] के पुत्र [[लव कुश|लव]] ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। श्रावस्ती [[बौद्ध]] और [[जैन]] दोनों का तीर्थ स्थान है। [[बुद्ध|तथागत]] श्रावस्ती में रहे थे। यहाँ के श्रेष्ठी अनाथपिण्डिक ने भगवान [[गौतम बुद्ध|बुद्ध]] के लिये [[जेतवन विहार|जेतवन बिहार]] बनवाया था। आजकल यहाँ बौद्ध धर्मशाला, मठ और मन्दिर है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[श्रावस्ती]]
 
 
 
{[[शिव]]-भक्ति के विषय में प्रारम्भिक जानकारी निम्न में से किसमें मिलती है?
 
|type="()"}
 
+सैन्धव सभ्यता से
 
-[[वैदिक काल]] से
 
-संगम काल से
 
-[[मौर्य काल]] से
 
 
 
{[[राजा राममोहन राय]] के प्रथम शिष्य, जिन्होंने उनके मरणोपरांत '[[ब्रह्म समाज]]' का नेतृत्व सँभाला, कौन था?
 
|type="()"}
 
-[[द्वारकानाथ टैगोर]]
 
+रामचन्द्र विद्यावागीश
 
-[[केशवचन्द्र सेन]]
 
-[[देवेन्द्रनाथ टैगोर]]
 
 
</quiz>
 
</quiz>
 
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{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
{{प्रचार}}
 
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]]
 
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{{Review-G}}

Latest revision as of 13:56, 15 February 2023

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


  1. REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh

panne par jaean
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2 jain tirthankar parshvanath dvara pratipadit char mahavratoan mean mahavir svami ne paanchavean vrat ke roop mean kya jo da?

ahiansa
attey
aparigrah
brahmachary

3 rrigvaidik aryoan ki bhasha kya thi?

dravi d bhasha
prakrit bhasha
sanskrit bhasha
pali bhasha

4 rrigvaidik kal mean samaj ka svaroop kis prakar ka tha?

pitrisattatmak
matrisattatmak
uparokt donoan
inamean se koee nahian

5 buddh ko kis nadi ke tat par jnan prapt hua tha?

niranjana
rrijupalika
ganga
yamuna

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan