Difference between revisions of "करणीमाता का मंदिर बीकानेर"

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[[बीकानेर]], [[राजस्थान]] का एक एतिहासिक नगर है, और यह पर्यटन के लिए भी जाना जाता है। हमारे देश में अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहाँ बार-बार जाने का मन करता है। एक ऐसा ही मंदिर राजस्थान के बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर जोधपुर रोड पर गाँव देशनोक की सीमा में स्थित है। यह है माँ करणी देवी का विख्यात मंदिर। यह भी एक तीरथ धाम है, लेकिन इसे चूहे वाले मंदिर के नाम से भी देश और दुनिया के लोग जानते हैं। करणी देवी साक्षात माँ जगदम्बा की अवतार थीं। अब से लगभग साढ़े छह सौ वर्ष पूर्व जिस स्थान पर यह भव्य मंदिर है, वहाँ एक गुफा में रहकर माँ अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना किया करती थीं। यह गुफा आज भी मंदिर परिसर में स्थित है। माँ के ज्योर्तिलीन होने पर उनकी इच्छानुसार उनकी मूर्ति की इस गुफा में स्थापना की गई। संगमरमर से बने मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। वहाँ पर चूहों की धमाचौकड़ी देखती ही बनती है। चूहे पूरे मंदिर प्रांगण में मौजूद रहते है। वे श्रद्धालुओं के शरीर पर कूद-फांद करते हैं, लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। चील, गिद्ध और दूसरे जानवरों से इन चूहों की रक्षा के लिए मंदिर में खुले स्थानों पर बारीक जाली लगी हुई है। इन चूहों की उपस्थिति की वजह से ही श्री करणी देवी का यह मंदिर चूहों वाले मंदिर के नाम से भी विख्यात है। ऐसी मान्यता है कि किसी श्रद्धालु को यदि यहां सफेद चूहे के दर्शन होते हैं, तो इसे बहुत शुभ माना जाता है। सुबह पांच बजे मंगला आरती और सायं सात बजे आरती के समय चूहों का जुलूस तो देखने लायक होता है। मंदिर के मुख्य द्वार पर संगमरमर पर नक्काशी को भी विशेष रूप से देखने के लिए लोग यहाँ आते हैं। चाँदी के किवाड़, सोने के छत्र और चूहों (काबा) के प्रसाद के लिए यहाँ रखी चाँदी की बड़ी परात भी देखने लायक है।
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[[बीकानेर]], [[राजस्थान]] का एक एतिहासिक नगर है, और [[बीकानेर पर्यटन]] के लिए भी जाना जाता है। हमारे देश में अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहाँ बार-बार जाने का मन करता है। एक ऐसा ही मंदिर राजस्थान के बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर [[जोधपुर]] रोड पर गाँव [[देशनोक]] की सीमा में स्थित है। यह है माँ करणी देवी का विख्यात मंदिर। यह भी एक तीरथ धाम है, लेकिन इसे चूहे वाले मंदिर के नाम से भी देश और दुनिया के लोग जानते हैं। करणी देवी साक्षात माँ [[जगदम्बा]] की अवतार थीं।  
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अब से लगभग साढ़े छह सौ वर्ष पूर्व जिस स्थान पर यह भव्य मंदिर है, वहाँ एक गुफा में रहकर माँ अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना किया करती थीं। यह गुफा आज भी मंदिर परिसर में स्थित है। माँ के ज्योर्तिलीन होने पर उनकी इच्छानुसार उनकी मूर्ति की इस गुफा में स्थापना की गई। संगमरमर से बने मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। वहाँ पर चूहों की धमाचौकड़ी देखती ही बनती है। चूहे पूरे मंदिर प्रांगण में मौजूद रहते है। वे श्रद्धालुओं के शरीर पर कूद-फांद करते हैं, लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुँचाते। चील, गिद्ध और दूसरे जानवरों से इन चूहों की रक्षा के लिए मंदिर में खुले स्थानों पर बारीक जाली लगी हुई है। इन चूहों की उपस्थिति की वजह से ही श्री करणी देवी का यह मंदिर चूहों वाले मंदिर के नाम से भी विख्यात है। ऐसी मान्यता है कि किसी श्रद्धालु को यदि यहाँ सफेद चूहे के दर्शन होते हैं, तो इसे बहुत शुभ माना जाता है। सुबह पाँच बजे मंगला आरती और सायं सात बजे आरती के समय चूहों का जुलूस तो देखने लायक होता है। मंदिर के मुख्य द्वार पर संगमरमर पर नक्काशी को भी विशेष रूप से देखने के लिए लोग यहाँ आते हैं। चाँदी के किवाड़, सोने के छत्र और चूहों (काबा) के प्रसाद के लिए यहाँ रखी चाँदी की बड़ी परात भी देखने लायक है।
  
 
==स्म्बंधित लिंक==
 
==स्म्बंधित लिंक==

Revision as of 06:04, 1 July 2010

bikaner, rajasthan ka ek etihasik nagar hai, aur bikaner paryatan ke lie bhi jana jata hai. hamare desh mean anek prasiddh mandir haian, jahaan bar-bar jane ka man karata hai. ek aisa hi mandir rajasthan ke bikaner se lagabhag 30 kilomitar door jodhapur rod par gaanv deshanok ki sima mean sthit hai. yah hai maan karani devi ka vikhyat mandir. yah bhi ek tirath dham hai, lekin ise choohe vale mandir ke nam se bhi desh aur duniya ke log janate haian. karani devi sakshat maan jagadamba ki avatar thian.

ab se lagabhag sadhe chhah sau varsh poorv jis sthan par yah bhavy mandir hai, vahaan ek gupha mean rahakar maan apane isht dev ki pooja archana kiya karati thian. yah gupha aj bhi mandir parisar mean sthit hai. maan ke jyortilin hone par unaki ichchhanusar unaki moorti ki is gupha mean sthapana ki gee. sangamaramar se bane mandir ki bhavyata dekhate hi banati hai. vahaan par choohoan ki dhamachauk di dekhati hi banati hai. choohe poore mandir praangan mean maujood rahate hai. ve shraddhaluoan ke sharir par kood-phaand karate haian, lekin kisi ko koee nukasan nahian pahuanchate. chil, giddh aur doosare janavaroan se in choohoan ki raksha ke lie mandir mean khule sthanoan par barik jali lagi huee hai. in choohoan ki upasthiti ki vajah se hi shri karani devi ka yah mandir choohoan vale mandir ke nam se bhi vikhyat hai. aisi manyata hai ki kisi shraddhalu ko yadi yahaan saphed choohe ke darshan hote haian, to ise bahut shubh mana jata hai. subah paanch baje mangala arati aur sayan sat baje arati ke samay choohoan ka juloos to dekhane layak hota hai. mandir ke mukhy dvar par sangamaramar par nakkashi ko bhi vishesh roop se dekhane ke lie log yahaan ate haian. chaandi ke kiva d, sone ke chhatr aur choohoan (kaba) ke prasad ke lie yahaan rakhi chaandi ki b di parat bhi dekhane layak hai.

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