Difference between revisions of "भूतयज्ञ"

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'''भूतयज्ञ''' का अर्थ है कि, अपने अन्न में से दूसरे प्राणियों के कल्याण के लिए कुछ भाग अर्पित करना। [[मनुस्मृति]]<ref>मनुस्मृति 3/92</ref> में कहा गया है कि, कुत्ता, चींटी, कौआ, पतित, चांडाल, कुष्टी आदि के लिए भोजन निकालकर अलग रख देना चाहिए। ऐसा करने से मानव को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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'''भूतयज्ञ''' का अर्थ है कि, अपने अन्न में से दूसरे प्राणियों के कल्याण के लिए कुछ भाग अर्पित करना। [[मनुस्मृति]]<ref>मनुस्मृति 3/92</ref> में कहा गया है कि, कुत्ता, चींटी, [[कौआ]], पतित, चांडाल, कुष्टी आदि के लिए भोजन निकालकर अलग रख देना चाहिए। ऐसा करने से मानव को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  
 
*शास्त्रों में [[गाय]] को ग्रास देना भी बड़ा पुण्यकारी माना गया है।
 
*शास्त्रों में [[गाय]] को ग्रास देना भी बड़ा पुण्यकारी माना गया है।
 
*[[श्राद्ध]] की ख़ास परंपराओं में ही 'भूतयज्ञ' भी प्रमुख है।
 
*[[श्राद्ध]] की ख़ास परंपराओं में ही 'भूतयज्ञ' भी प्रमुख है।
 
*अलग-अलग योनियों को प्राप्त आत्माओं की तृप्ति के लिए भूतयज्ञ का बड़ा महत्व है, जिसमें 'पंचबलि कर्म' किया जाता है।
 
*अलग-अलग योनियों को प्राप्त आत्माओं की तृप्ति के लिए भूतयज्ञ का बड़ा महत्व है, जिसमें 'पंचबलि कर्म' किया जाता है।
*पंचबलि में भोजन के पाँच अलग-अलग हिस्से गाय, कुक्कुर यानी कुत्ता, कौआ, [[देवता]] व चींटियों के निमित्त निकालकर समर्पित किए जाते हैं।
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*पंचबलि में भोजन के पाँच अलग-अलग हिस्से गाय, कुक्कुर यानी कुत्ता, [[कौआ]], [[देवता]] व चींटियों के निमित्त निकालकर समर्पित किए जाते हैं।
 
*श्राद्धपक्ष में भी इसी पंरपरा के मुताबिक श्वान यानी कुत्ते के लिए भोजन का ग्रास निकाला जाता है।
 
*श्राद्धपक्ष में भी इसी पंरपरा के मुताबिक श्वान यानी कुत्ते के लिए भोजन का ग्रास निकाला जाता है।
  

Revision as of 14:12, 11 April 2013

bhootayajn ka arth hai ki, apane ann mean se doosare praniyoan ke kalyan ke lie kuchh bhag arpit karana. manusmriti[1] mean kaha gaya hai ki, kutta, chianti, kaua, patit, chaandal, kushti adi ke lie bhojan nikalakar alag rakh dena chahie. aisa karane se manav ko moksh ki prapti hoti hai.

  • shastroan mean gay ko gras dena bhi b da punyakari mana gaya hai.
  • shraddh ki khas paranparaoan mean hi 'bhootayajn' bhi pramukh hai.
  • alag-alag yoniyoan ko prapt atmaoan ki tripti ke lie bhootayajn ka b da mahatv hai, jisamean 'panchabali karm' kiya jata hai.
  • panchabali mean bhojan ke paanch alag-alag hisse gay, kukkur yani kutta, kaua, devata v chiantiyoan ke nimitt nikalakar samarpit kie jate haian.
  • shraddhapaksh mean bhi isi panrapara ke mutabik shvan yani kutte ke lie bhojan ka gras nikala jata hai.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

  1. manusmriti 3/92

sanbandhit lekh