Difference between revisions of "सरहिन्द"

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*[[पंजाब]] में सरहिन्द एक पूर्व मध्यकालीन नगर है। [[दिल्ली]] पर अधिकार करने के लिए सरहिन्द को विदेशी आक्रमणकारी महत्त्वपूर्ण नाका मानते थे। इसे तबरहिन्द भी कहा जाता था।
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'''सरहिन्द''' [[पंजाब]] में एक पूर्व मध्यकालीन नगर का नाम था। [[दिल्ली]] पर अधिकार करने के लिए सरहिन्द को विदेशी आक्रमणकारी सबसे महत्त्वपूर्ण नाका मानते थे। इस समय सरहिन्द को '[[तबरहिन्द]]' के नाम से भी जाना जाता था।
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*[[मुहम्मद ग़ोरी]] ने 1191 ई. में बड़ी तैयारी के साथ सरहिन्द को लेने के लिए प्रस्थान किया था।  
 
*[[मुहम्मद ग़ोरी]] ने 1191 ई. में बड़ी तैयारी के साथ सरहिन्द को लेने के लिए प्रस्थान किया था।  
*सरहिन्द को जीतकर उसने क़ाज़ी जियाउद्दीन के सुपुर्द कर, वह [[पृथ्वीराज चौहान ]] के विरुद्ध आगे बढ़ा पृथ्वीराज चौहान विजयी हुआ और उसने सरहिन्द का दुर्ग क़ाज़ी जियाउद्दीन से छीन लिया।  
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*सरहिन्द को जीतकर ग़ोरी ने क़ाज़ी जियाउद्दीन के सुपुर्द कर दिया और अब वह [[पृथ्वीराज चौहान ]] के विरुद्ध आगे बढ़ा।
*[[औरंगजेब]] के शासन काल में सरहिन्द के सूबेदार ने [[सिख|सिखों]] के दसवें [[गुरु गोविन्द सिंह]] के दो पुत्रों को मुसलमान न बनने के कारण जीवित दीवार में चुनवा दिया था।
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*युद्ध में पृथ्वीराज चौहान विजयी हुआ और उसने सरहिन्द का [[दुर्ग]] क़ाज़ी जियाउद्दीन से छीन लिया।
*इसके बाद में मौक़ा पाकर सिखों ने नगर को लूटा और नष्ट कर दिया। इस घटना के बाद सरहिन्द सिखों के लिए महत्त्वपूर्ण स्थान बन गया।  
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*[[औरंगजेब]] के शासन काल में सरहिन्द के [[सूबेदार]] ने [[सिक्ख|सिक्खों]] के दसवें [[गुरु गोविन्द सिंह]] के दो पुत्रों को [[मुस्लिम]] न बनने के कारण जीवित दीवार में चुनवा दिया था। इसके बाद में मौक़ा पाकर सिक्खों ने नगर को लूटा और नष्ट कर दिया। इस घटना के बाद सरहिन्द सिक्खों के लिए महत्त्वपूर्ण स्थान बन गया। प्रत्येक सिक्ख यहां की ईंटों को घर ले जाना धार्मिक कृत्य समझने लगा।
*तक्षशिला से सोनार गाँव के प्रमुख व्यापारिक मार्ग पर सरहिन्द की स्थिति होने के कारण यह एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक नगर था। इसके अलावा दिल्ली [[लाहौर]] मार्ग भी यहाँ से होकर जाता था।  
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*[[तक्षशिला]] से सोनार गाँव के प्रमुख व्यापारिक मार्ग पर सरहिन्द की स्थिति होने के कारण यह एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक नगर था। इसके अलावा [[दिल्ली]]-[[लाहौर]] मार्ग भी यहाँ से होकर जाता था।
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*सरहिन्द का परिवर्ती क्षेत्र [[वैदिक काल]] में [[सरस्वती नदी]] के तटवर्ती प्रदेश के अंतर्गत था। यह [[आर्य]] सभ्यता की मुख्य पुण्यभूमि मानी जाती थी।
  
  
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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==संबंधित लेख==
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{{पंजाब के ऐतिहासिक स्थान}}{{पंजाब के पर्यटन स्थल}}
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[[Category:पंजाब]]
 
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Latest revision as of 08:21, 2 October 2014

sarahind panjab mean ek poorv madhyakalin nagar ka nam tha. dilli par adhikar karane ke lie sarahind ko videshi akramanakari sabase mahattvapoorn naka manate the. is samay sarahind ko 'tabarahind' ke nam se bhi jana jata tha.

  • muhammad gori ne 1191 ee. mean b di taiyari ke sath sarahind ko lene ke lie prasthan kiya tha.
  • sarahind ko jitakar gori ne qazi jiyauddin ke supurd kar diya aur ab vah prithviraj chauhan ke viruddh age badha.
  • yuddh mean prithviraj chauhan vijayi hua aur usane sarahind ka durg qazi jiyauddin se chhin liya.
  • aurangajeb ke shasan kal mean sarahind ke soobedar ne sikkhoan ke dasavean guru govind sianh ke do putroan ko muslim n banane ke karan jivit divar mean chunava diya tha. isake bad mean mauqa pakar sikkhoan ne nagar ko loota aur nasht kar diya. is ghatana ke bad sarahind sikkhoan ke lie mahattvapoorn sthan ban gaya. pratyek sikkh yahaan ki eeantoan ko ghar le jana dharmik krity samajhane laga.
  • takshashila se sonar gaanv ke pramukh vyaparik marg par sarahind ki sthiti hone ke karan yah ek mahattvapoorn vyaparik nagar tha. isake alava dilli-lahaur marg bhi yahaan se hokar jata tha.
  • sarahind ka parivarti kshetr vaidik kal mean sarasvati nadi ke tatavarti pradesh ke aantargat tha. yah ary sabhyata ki mukhy punyabhoomi mani jati thi.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

sanbandhit lekh