पुण्ड्रवर्धन

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पुण्ड्रवर्धन का उल्लेख गुप्तकालीन अभिलेखों में हुआ है। इन अभिलेखों से सूचित होता है कि गुप्त साम्राज्य में 'पुण्ड्रवर्धन' नाम की एक 'भुक्ति'[1] थी, जो 'पुंड्र देश' के अंतर्गत आती थी। इसमें कोटिवर्ष आदि अनेक वर्ष सम्मलित थे। इन ताम्रपट्ट लेखों से सूचित होता है कि लगभग समग्र उत्तरी बंगाल या पुंड्र देश, पुंड्रवर्धन भुक्ति में सम्मलित था और यह 443 ई. से 543 ई. तक गुप्त साम्राज्य का अविछिन्न अंग था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. किसी वस्तु पर अधिकार रखकर उसका उपयोग करने की स्थिति
  2. 163 गुप्त सम्वत या 483-484 ई.

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