यूसुफ़ आदिल ख़ाँ: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''यूसुफ़ आदिल ख़ाँ | '''यूसुफ़ आदिल ख़ाँ''' [[बीजापुर]] के [[आदिलशाही वंश]] का प्रवर्तक था। वह तुर्की के सुल्तान मुराद द्वितीय का पुत्र माना जाता है। उसे सुरक्षा की दृष्टि से गुप्त रूप से [[फ़ारस]] लाया गया और वहाँ दास के रूप में [[बहमनी वंश|बहमनी]] सुल्तान [[मुहम्मद शाह तृतीय]] के मन्त्री मुहम्मद गवाँ के हाथ बेच दिया गया। अपनी योग्यता के बल पर ही वह [[बहमनी साम्राज्य]] का हाकिम नियुक्त हुआ। | ||
;उच्च पद की प्राप्ति | |||
यूसुफ़ आदिल ख़ाँ बहुत परिश्रमी, वीर और कार्यकुशल था। अपनी योग्यता के आधार पर ही मार्ग प्रशस्त करके हुए वह उच्च पद पर पहुँच गया और बहमनी सुल्तान के द्वारा [[बीजापुर]] का हाकिम बना दिया गया। यहाँ वह 1489-1490 ई. में स्वतन्त्र शासक बन बैठा और अपनी मृत्यु पर्यन्त वहाँ का शासन किया, जिससे बीजापुर के 'आदिलशाही वंश' की नींव पड़ी। इस वंश ने 1686 ई. तक शासन किया। | |||
;महत्त्वपूर्ण तथ्य | |||
अन्तिम सुल्तान [[सिकंदर आदिलशाह]] को सम्राट [[औरंगज़ेब]] ने परास्त करके बंदी बनाया और अपदस्थ कर दिया। यूसुफ़ आदिल वीर एवं सहिष्णु शासक था। उसने [[हिन्दू|हिन्दुओं]] को ऊँचे पदों पर नियुक्त किया था। वह [[शिया]] मत को मानने वाला था। उसने एक [[मराठा]] स्त्री से [[विवाह]] किया, जो मराठा सरदार [[मुकुन्दराव]] की बहन थी। विवाह के बाद उसका नाम [[बूवूजी ख़ानम]] पड़ा। वह उसके पुत्र और उत्तराधिकारी [[इसमाइल आदिलशाह]] की माता बनी। यूसुफ़ आदिल ख़ाँ [[गोवा]] बन्दरगाह के महत्त्व को भली प्रकार समझता था और वहाँ अक्सर निवास करता था। 1510 ई. में [[पुर्तग़ाली]] एडमिरल एल्बुकर्क ने सुल्तान के स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही से लाभ उठाकर बन्दरगाह पर क़ब्ज़ा कर लिया, परन्तु यूसुफ़ आदिलशाह ने छ: मास बाद ही उसे पुन: हस्तगत कर लिया। | |||
;मृत्यु | |||
यूसुफ़ आदिल ख़ाँ विद्वानों और गुणीजनों का संरक्षक था। 74 वर्ष की अवस्था में उसकी मृत्यु 1510 ई. में हुई। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}} | |||
{{लेख प्रगति | |||
|आधार= | |||
|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1 | |||
|माध्यमिक= | |||
|पूर्णता= | |||
|शोध= | |||
}} | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{दक्कन सल्तनत}} | {{दक्कन सल्तनत}} | ||
[[Category:इतिहास_कोश]][[Category:मुग़ल_साम्राज्य]][[Category:मराठा_साम्राज्य]] | [[Category:इतिहास_कोश]][[Category:मुग़ल_साम्राज्य]][[Category:मराठा_साम्राज्य]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 10:58, 4 April 2012
यूसुफ़ आदिल ख़ाँ बीजापुर के आदिलशाही वंश का प्रवर्तक था। वह तुर्की के सुल्तान मुराद द्वितीय का पुत्र माना जाता है। उसे सुरक्षा की दृष्टि से गुप्त रूप से फ़ारस लाया गया और वहाँ दास के रूप में बहमनी सुल्तान मुहम्मद शाह तृतीय के मन्त्री मुहम्मद गवाँ के हाथ बेच दिया गया। अपनी योग्यता के बल पर ही वह बहमनी साम्राज्य का हाकिम नियुक्त हुआ।
- उच्च पद की प्राप्ति
यूसुफ़ आदिल ख़ाँ बहुत परिश्रमी, वीर और कार्यकुशल था। अपनी योग्यता के आधार पर ही मार्ग प्रशस्त करके हुए वह उच्च पद पर पहुँच गया और बहमनी सुल्तान के द्वारा बीजापुर का हाकिम बना दिया गया। यहाँ वह 1489-1490 ई. में स्वतन्त्र शासक बन बैठा और अपनी मृत्यु पर्यन्त वहाँ का शासन किया, जिससे बीजापुर के 'आदिलशाही वंश' की नींव पड़ी। इस वंश ने 1686 ई. तक शासन किया।
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
अन्तिम सुल्तान सिकंदर आदिलशाह को सम्राट औरंगज़ेब ने परास्त करके बंदी बनाया और अपदस्थ कर दिया। यूसुफ़ आदिल वीर एवं सहिष्णु शासक था। उसने हिन्दुओं को ऊँचे पदों पर नियुक्त किया था। वह शिया मत को मानने वाला था। उसने एक मराठा स्त्री से विवाह किया, जो मराठा सरदार मुकुन्दराव की बहन थी। विवाह के बाद उसका नाम बूवूजी ख़ानम पड़ा। वह उसके पुत्र और उत्तराधिकारी इसमाइल आदिलशाह की माता बनी। यूसुफ़ आदिल ख़ाँ गोवा बन्दरगाह के महत्त्व को भली प्रकार समझता था और वहाँ अक्सर निवास करता था। 1510 ई. में पुर्तग़ाली एडमिरल एल्बुकर्क ने सुल्तान के स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही से लाभ उठाकर बन्दरगाह पर क़ब्ज़ा कर लिया, परन्तु यूसुफ़ आदिलशाह ने छ: मास बाद ही उसे पुन: हस्तगत कर लिया।
- मृत्यु
यूसुफ़ आदिल ख़ाँ विद्वानों और गुणीजनों का संरक्षक था। 74 वर्ष की अवस्था में उसकी मृत्यु 1510 ई. में हुई।
|
|
|
|
|