देवगढ़, राजस्थान: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
Line 3: Line 3:
'''देवगढ़''' [[उदयपुर ज़िला]], [[राजस्थान]] का एक ऐतिहासिक नगर है। यह [[कुंभलगढ़]] से 4 मील {{मील|मील=4}} की दूरी पर स्थित है। पहले देवगढ़ चूड़ावत सरदारों की राजधानी हुआ करता था।
'''देवगढ़''' [[उदयपुर ज़िला]], [[राजस्थान]] का एक ऐतिहासिक नगर है। यह [[कुंभलगढ़]] से 4 मील {{मील|मील=4}} की दूरी पर स्थित है। पहले देवगढ़ चूड़ावत सरदारों की राजधानी हुआ करता था।
====इतिहास====
====इतिहास====
देवगढ़ में चूड़ावतों के पूर्वज मेवाड़ के उत्तराधिकारी कुमार चूंडा ने अपने [[पिता]] के मारवाड़ की राजकुमारी के साथ [[विवाह]] कर लेने पर अपना राज्याधिकार [[भीष्म]] के समान ही त्याग दिया था। उसने अपने सौतेले भाई 'मुकुल' की उसके मातामह [[जोधपुर]] नरेश रनमल के [[मेवाड़]] पर आक्रमण करने के समय सहायता भी की थी। चूंडा ने अपनी प्रथम राजधानी देवगढ़ में बनाई थी। बाद में उनका अधिकार [[मंडौर जोधपुर|मंडोर]] पर भी हो गया था।
देवगढ़ में चूड़ावतों के पूर्वज मेवाड़ के उत्तराधिकारी कुमार चूंडा ने अपने [[पिता]] के [[मारवाड़]] की राजकुमारी के साथ [[विवाह]] कर लेने पर अपना राज्याधिकार [[भीष्म]] के समान ही त्याग दिया था। उसने अपने सौतेले भाई 'मुकुल' की उसके मातामह [[जोधपुर]] नरेश रनमल के [[मेवाड़]] पर आक्रमण करने के समय सहायता भी की थी। चूंडा ने अपनी प्रथम राजधानी देवगढ़ में बनाई थी। बाद में उनका अधिकार [[मंडौर जोधपुर|मंडोर]] पर भी हो गया था।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Latest revision as of 13:52, 4 January 2013

चित्र:Disamb2.jpg देवगढ़ एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- देवगढ़

[[चित्र:Devgarh.jpg|thumb|250px|देवगढ़, राजस्थान]] देवगढ़ उदयपुर ज़िला, राजस्थान का एक ऐतिहासिक नगर है। यह कुंभलगढ़ से 4 मील (लगभग 6.4 कि.मी.) की दूरी पर स्थित है। पहले देवगढ़ चूड़ावत सरदारों की राजधानी हुआ करता था।

इतिहास

देवगढ़ में चूड़ावतों के पूर्वज मेवाड़ के उत्तराधिकारी कुमार चूंडा ने अपने पिता के मारवाड़ की राजकुमारी के साथ विवाह कर लेने पर अपना राज्याधिकार भीष्म के समान ही त्याग दिया था। उसने अपने सौतेले भाई 'मुकुल' की उसके मातामह जोधपुर नरेश रनमल के मेवाड़ पर आक्रमण करने के समय सहायता भी की थी। चूंडा ने अपनी प्रथम राजधानी देवगढ़ में बनाई थी। बाद में उनका अधिकार मंडोर पर भी हो गया था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 443 |


संबंधित लेख