पश्चिम भारत: Difference between revisions

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[[भारत]] के पश्चिमी भाग को पश्चिम भारत कहा जाता है। यह क्षेत्र उच्चस्तरीय औद्योगिक तथा आवासित है। पश्चिमी क्षेत्र के अधिकांश क्षेत्र [[मराठा साम्राज्य]] में आते थे। भारत के पश्चिमी क्षेत्र को उत्तरी ओर से [[थार मरुस्थल]], पूर्वी ओर से [[विंध्य पर्वत]], दक्षिणी ओर से और [[अरब सागर]] घेरे हुए है।
'''पश्चिम भारत''' में [[भारत]] के पश्चिमी भाग में स्थित क्षेत्रों को सम्मिलित किया जाता है। यह क्षेत्र उच्चस्तरीय औद्योगिक तथा आवासित है। पश्चिमी क्षेत्र के अधिकांश क्षेत्र [[मराठा साम्राज्य]] में आते थे। भारत का पश्चिमी क्षेत्र उत्तर की ओर से [[थार मरुस्थल]], पूर्व की ओर से [[विंध्य पर्वत]] और दक्षिणी ओर से [[अरब सागर]] से घिरा हुआ है।
==राज्य==
==राज्य==
*[[महाराष्ट्र]]
*[[महाराष्ट्र]]
* [[गोआ]]
* [[गोआ]]
* [[गुजरात]]
* [[गुजरात]]
==इतिहास==
भारतीय इतिहास में पूर्वी क्षेत्रों से जुड़ी हुईं अनेकों घटनाएँ महत्त्वपूर्ण हैं। [[सल्तनत काल]] में [[गुजरात]] हस्तशिल्प कौशल, उन्नत बंदरगाहों और उपजाऊ भूमि के कारण [[दिल्ली सल्तनत]] के समृद्धतम प्रान्तों मे से एक था। [[फ़िरोज़शाह तुग़लक]] के काल में गुजरात का गवर्नर बहुत सज्जन व्यक्ति था। [[फ़रिश्ता|फ़रिश्ता]] उसके विषय में लिखता है कि "वह [[हिन्दू धर्म]] को प्रोत्साहन देता था और मूर्तिपूजा को दबाने की बजाय बढ़ावा देता था।" उसके बाद जफ़र ख़ान गुजरात का गवर्नर बना। उसका [[पिता]] [[इस्लाम]] स्वीकार करने से पहले साधारण [[राजपूत]] था और उसने अपनी बहन का [[विवाह]] फ़िरोज़ तुग़लक से किया था। दिल्ली पर [[तैमूर]] के आक्रमण के बाद गुजरात और [[मालवा]] स्वतंत्र हो गए। दिल्ली सल्तनत के साथ उनका सम्बन्ध केवल नाम मात्र का ही रह गया। किन्तु जफ़र ख़ान 1407 में ही स्वयं को गुजरात का शासक घोषित करने का अवसर प्राप्त कर सका। तब वह मुजफ़्फ़रशाह के नाम से गद्दी पर बैठा।
====अहमदशाह का योगदान====
किन्तु गुजरात राज्य का वास्तविक संस्थापक मुजफ़्फ़रशाह का पोता अहमदशाह (1411-43) ही था। उसने अपने लम्बे शासन काल में सामंतों को काबू में किया, प्रशासन को स्थिरता दी, अपने राज्य का विस्तार किया और उसे स्वयं मज़बूत किया। वह अपनी राजधानी [[पाटन]] से हटाकर नये नगर [[अहमदाबाद]] में ले आया। इस नगर की आधाशिला 1415 में रखी गई थी। वह बहुत बड़ा भवन निर्माता था और उसने नगर को अनेक भव्य मंहलों, बाज़ारों, मस्जिदों और मदरसों से सजाया। उसने गुजरात के [[जैन|जैनियों]] की उच्च स्थापत्य-परम्परा का लाभ उठाते हुए दिल्ली के स्थापत्तय से एकदम भिन्न शैली का विकास किया। इस शैली कि कुछ विशेषताएँ हैं—पतले मीनार, पत्थर पर उत्कृष्ट नक़्क़ाशी और अलंकृत कोष्टक। उस काल की स्थापत्य कला के सुन्दर नमूने—अहमदाबाद की [[जामा मस्जिद अहमदाबाद|जामा मस्जिद]] और तीन दरवाज़ा, आज भी सुरक्षित है।
 
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==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
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Latest revision as of 13:56, 2 September 2013

पश्चिम भारत में भारत के पश्चिमी भाग में स्थित क्षेत्रों को सम्मिलित किया जाता है। यह क्षेत्र उच्चस्तरीय औद्योगिक तथा आवासित है। पश्चिमी क्षेत्र के अधिकांश क्षेत्र मराठा साम्राज्य में आते थे। भारत का पश्चिमी क्षेत्र उत्तर की ओर से थार मरुस्थल, पूर्व की ओर से विंध्य पर्वत और दक्षिणी ओर से अरब सागर से घिरा हुआ है।

राज्य

इतिहास

भारतीय इतिहास में पूर्वी क्षेत्रों से जुड़ी हुईं अनेकों घटनाएँ महत्त्वपूर्ण हैं। सल्तनत काल में गुजरात हस्तशिल्प कौशल, उन्नत बंदरगाहों और उपजाऊ भूमि के कारण दिल्ली सल्तनत के समृद्धतम प्रान्तों मे से एक था। फ़िरोज़शाह तुग़लक के काल में गुजरात का गवर्नर बहुत सज्जन व्यक्ति था। फ़रिश्ता उसके विषय में लिखता है कि "वह हिन्दू धर्म को प्रोत्साहन देता था और मूर्तिपूजा को दबाने की बजाय बढ़ावा देता था।" उसके बाद जफ़र ख़ान गुजरात का गवर्नर बना। उसका पिता इस्लाम स्वीकार करने से पहले साधारण राजपूत था और उसने अपनी बहन का विवाह फ़िरोज़ तुग़लक से किया था। दिल्ली पर तैमूर के आक्रमण के बाद गुजरात और मालवा स्वतंत्र हो गए। दिल्ली सल्तनत के साथ उनका सम्बन्ध केवल नाम मात्र का ही रह गया। किन्तु जफ़र ख़ान 1407 में ही स्वयं को गुजरात का शासक घोषित करने का अवसर प्राप्त कर सका। तब वह मुजफ़्फ़रशाह के नाम से गद्दी पर बैठा।

अहमदशाह का योगदान

किन्तु गुजरात राज्य का वास्तविक संस्थापक मुजफ़्फ़रशाह का पोता अहमदशाह (1411-43) ही था। उसने अपने लम्बे शासन काल में सामंतों को काबू में किया, प्रशासन को स्थिरता दी, अपने राज्य का विस्तार किया और उसे स्वयं मज़बूत किया। वह अपनी राजधानी पाटन से हटाकर नये नगर अहमदाबाद में ले आया। इस नगर की आधाशिला 1415 में रखी गई थी। वह बहुत बड़ा भवन निर्माता था और उसने नगर को अनेक भव्य मंहलों, बाज़ारों, मस्जिदों और मदरसों से सजाया। उसने गुजरात के जैनियों की उच्च स्थापत्य-परम्परा का लाभ उठाते हुए दिल्ली के स्थापत्तय से एकदम भिन्न शैली का विकास किया। इस शैली कि कुछ विशेषताएँ हैं—पतले मीनार, पत्थर पर उत्कृष्ट नक़्क़ाशी और अलंकृत कोष्टक। उस काल की स्थापत्य कला के सुन्दर नमूने—अहमदाबाद की जामा मस्जिद और तीन दरवाज़ा, आज भी सुरक्षित है।

  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें

केन्द्र शासित प्रदेश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख