खंडेला: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(One intermediate revision by the same user not shown)
Line 4: Line 4:
*[[जैन धर्म]] की दृष्टि से भी इस स्थान का महत्व है। 8वीं शती में जिनसेनाचार्य ने यहाँ एक [[चौहान वंश|चौहान नरेश]] को जैन धर्म की [[दीक्षा]] दी थी।  
*[[जैन धर्म]] की दृष्टि से भी इस स्थान का महत्व है। 8वीं शती में जिनसेनाचार्य ने यहाँ एक [[चौहान वंश|चौहान नरेश]] को जैन धर्म की [[दीक्षा]] दी थी।  
*13वीं शती में यहाँ जिन प्रभसूरि रहते थे। [[तीर्थ]] के रूप में इस स्थान का उल्लेख सकल तीर्थ सूत्र में [[सिद्धसेन|सिद्धसेन सूरि]] ने किया है।  
*13वीं शती में यहाँ जिन प्रभसूरि रहते थे। [[तीर्थ]] के रूप में इस स्थान का उल्लेख सकल तीर्थ सूत्र में [[सिद्धसेन|सिद्धसेन सूरि]] ने किया है।  
*[[जैन|जैनियों]] का एक प्रख्यात गच्छ भी है। खंडिल्ल गच्छ इसी के नाम पर है। खण्डेलवाल [[वैश्य]] भी इस स्थान के मूल निवासी कहे जाते हैं।  
*[[जैन|जैनियों]] का एक प्रख्यात गच्छ भी है। खंडिल्ल गच्छ इसी के नाम पर है। खण्डेलवाल [[वैश्य]] भी इस स्थान के मूल निवासी कहे जाते हैं।<ref>[http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%96%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%BE खंडेला (भारतखोज)]</ref>


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{राजस्थान के नगर}}
{{राजस्थान के ऐतिहासिक स्थान}}
[[Category:राजस्थान के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:राजस्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
[[Category:राजस्थान के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:राजस्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 14:41, 2 July 2016

खंडेला (अंग्रेज़ी-Khandela) राजस्थान स्थित एक प्राचीन स्थान है जो सीकर से 28 मील पर स्थित है। इसका प्राचीन नाम खंडिल्ल और खंडेलपुर था। यहाँ से तीसरी शती ई. का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है और यहाँ अनेक प्राचीन मंदिरों के ध्वंसावशेष हैं।

  • यह सातवीं शती ई. तक शैवमत का एक मुख्य केंद्र था।
  • यहाँ आदित्यनाग नामक राजा ने 644 ई. में अर्धनारीश्वर का एक मंदिर बनवाया था। इस मंदिर के ध्वंसावशेष से एक नया मंदिर बना है जो खंडलेश्वर के नाम से प्रसिद्ध है।
  • जैन धर्म की दृष्टि से भी इस स्थान का महत्व है। 8वीं शती में जिनसेनाचार्य ने यहाँ एक चौहान नरेश को जैन धर्म की दीक्षा दी थी।
  • 13वीं शती में यहाँ जिन प्रभसूरि रहते थे। तीर्थ के रूप में इस स्थान का उल्लेख सकल तीर्थ सूत्र में सिद्धसेन सूरि ने किया है।
  • जैनियों का एक प्रख्यात गच्छ भी है। खंडिल्ल गच्छ इसी के नाम पर है। खण्डेलवाल वैश्य भी इस स्थान के मूल निवासी कहे जाते हैं।[1]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख