बगलामुखी मंदिर, कांगड़ा: Difference between revisions
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'''बगलामुखी मंदिर''' [[हिमाचल प्रदेश]] में [[कांगड़ा|कांगड़ा जनपद]] के कोटला क़स्बा में स्थित प्रसिद्ध [[शक्तिपीठ]] है। यह मंदिर [[हिन्दू धर्म]] के लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र है। बगुलामुखी का यह मंदिर [[महाभारत]] कालीन माना जाता है। [[पांडुलिपि|पांडुलिपियों]] में माँ के जिस स्वरूप का वर्णन है, माँ उसी स्वरूप में यहाँ विराजमान हैं। ये पीतवर्ण के वस्त्र, पीत [[आभूषण]] तथा [[पीला रंग|पीले रंग]] के पुष्पों की ही माला धारण करती हैं। 'बगलामुखी जयंती' पर यहाँ मेले का आयोजन भी किया जाता है। 'बगलामुखी जयंती' पर हर [[वर्ष]] हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त देश के विभिन्न राज्यों से लोग आकर अपने कष्टों के निवारण के लिए हवन, [[पूजा]]-पाठ करवाकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। | '''बगलामुखी मंदिर''' [[हिमाचल प्रदेश]] में [[कांगड़ा|कांगड़ा जनपद]] के कोटला क़स्बा में स्थित प्रसिद्ध [[शक्तिपीठ]] है। यह मंदिर [[हिन्दू धर्म]] के लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र है। बगुलामुखी का यह मंदिर [[महाभारत]] कालीन माना जाता है। [[पांडुलिपि|पांडुलिपियों]] में माँ के जिस स्वरूप का वर्णन है, माँ उसी स्वरूप में यहाँ विराजमान हैं। ये पीतवर्ण के वस्त्र, पीत [[आभूषण]] तथा [[पीला रंग|पीले रंग]] के पुष्पों की ही माला धारण करती हैं। 'बगलामुखी जयंती' पर यहाँ मेले का आयोजन भी किया जाता है। 'बगलामुखी जयंती' पर हर [[वर्ष]] हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त देश के विभिन्न राज्यों से लोग आकर अपने कष्टों के निवारण के लिए हवन, [[पूजा]]-पाठ करवाकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। | ||
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[[हिमाचल प्रदेश]] [[देवता|देवताओं]] व [[ऋषि]]-[[मुनि|मुनियों]] की तपोस्थली रहा है। कांगड़ा जनपद के कोटला क़स्बे में स्थित माँ श्री बगलामुखी का सिद्ध शक्तिपीठ है। वर्ष भर यहाँ श्रद्धालु मन्नत माँगने व मनोरथ पूर्ण होने पर आते-जाते रहते हैं। माँ बगलामुखी का मंदिर [[ज्वालामुखी शक्तिपीठ|ज्वालामुखी]] से 22 किलोमीटर दूर 'वनखंडी' नामक स्थान पर स्थित है। मंदिर का नाम 'श्री 1008 बगलामुखी वनखंडी मंदिर' है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर [[कांगड़ा]] हवाईअड्डे से [[पठानकोट]] की ओर 25 किलोमीटर दूर कोटला क़स्बे में पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर के चारों ओर घना जंगल व दरिया है। यह मंदिर प्राचीन [[कोटला क़िला कांगड़ा|कोटला क़िले]] के अंदर स्थित है। | [[हिमाचल प्रदेश]] [[देवता|देवताओं]] व [[ऋषि]]-[[मुनि|मुनियों]] की तपोस्थली रहा है। कांगड़ा जनपद के कोटला क़स्बे में स्थित माँ श्री बगलामुखी का सिद्ध शक्तिपीठ है। वर्ष भर यहाँ श्रद्धालु मन्नत माँगने व मनोरथ पूर्ण होने पर आते-जाते रहते हैं। माँ बगलामुखी का मंदिर [[ज्वालामुखी शक्तिपीठ|ज्वालामुखी]] से 22 किलोमीटर दूर 'वनखंडी' नामक स्थान पर स्थित है। मंदिर का नाम 'श्री 1008 बगलामुखी वनखंडी मंदिर' है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर [[कांगड़ा]] हवाईअड्डे से [[पठानकोट]] की ओर 25 किलोमीटर दूर कोटला क़स्बे में पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर के चारों ओर घना जंगल व दरिया है। यह मंदिर प्राचीन [[कोटला क़िला कांगड़ा|कोटला क़िले]] के अंदर स्थित है। | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
यह माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना [[द्वापर युग]] में [[पांडव|पांडवों]] द्वारा [[अज्ञातवास]] के दौरान एक ही रात में की गई थी, जिसमें सर्वप्रथम [[अर्जुन]] एवं [[भीम]] द्वारा युद्ध में शक्ति प्राप्त करने तथा माता बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष [[पूजा]] की गई थी। कालांतर से ही यह मंदिर लोगों की आस्था व श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। [[वर्ष]] भर असंख्य श्रद्धालु, जो [[ज्वालामुखी]], चिंतापूर्णी, नगरकोट इत्यादि के दर्शन के लिए आते हैं, वे सभी इस मंदिर में आकर माता का आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं। इसके अतिरिक्त मंदिर के साथ प्राचीन शिवालय में आदमकद [[शिवलिंग]] स्थापित है, जहाँ लोग माता के दर्शन के उपरांत शिवलिंग पर [[अभिषेक]] करते हैं। | यह माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना [[द्वापर युग]] में [[पांडव|पांडवों]] द्वारा [[अज्ञातवास]] के दौरान एक ही रात में की गई थी, जिसमें सर्वप्रथम [[अर्जुन]] एवं [[भीम]] द्वारा युद्ध में शक्ति प्राप्त करने तथा माता बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष [[पूजा]] की गई थी। कालांतर से ही यह मंदिर लोगों की आस्था व श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। [[वर्ष]] भर असंख्य श्रद्धालु, जो [[ज्वालामुखी]], चिंतापूर्णी, [[नगरकोट]] इत्यादि के दर्शन के लिए आते हैं, वे सभी इस मंदिर में आकर माता का आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं। इसके अतिरिक्त मंदिर के साथ प्राचीन शिवालय में आदमकद [[शिवलिंग]] स्थापित है, जहाँ लोग माता के दर्शन के उपरांत शिवलिंग पर [[अभिषेक]] करते हैं। | ||
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====प्रथम आराधना==== | ====प्रथम आराधना==== | ||
माता बगलामुखी का दस महाविद्याओं में 8वाँ स्थान है तथा इस देवी की आराधना विशेषकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए की जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माता बगलामुखी की आराधना सर्वप्रथम [[ब्रह्मा]] एवं [[विष्णु]] ने की थी। इसके उपरांत [[परशुराम]] ने माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्धों में शत्रुओं को परास्त करके विजय पाई थी।<ref name="aa">{{cite web |url=http://www.punjabkesari.in/news/%E0%A4%95%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A3-%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%AC%E0%A4%97%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A5%80-148988|title=कष्टों का निवारण करती है माँ बगुलामुखी|accessmonthday= 06 जुलाई|accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | माता बगलामुखी का दस महाविद्याओं में 8वाँ स्थान है तथा इस देवी की आराधना विशेषकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए की जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माता बगलामुखी की आराधना सर्वप्रथम [[ब्रह्मा]] एवं [[विष्णु]] ने की थी। इसके उपरांत [[परशुराम]] ने माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्धों में शत्रुओं को परास्त करके विजय पाई थी।<ref name="aa">{{cite web |url=http://www.punjabkesari.in/news/%E0%A4%95%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A3-%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%AC%E0%A4%97%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A5%80-148988|title=कष्टों का निवारण करती है माँ बगुलामुखी|accessmonthday= 06 जुलाई|accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | ||
==महत्व== | ==महत्व== | ||
बगलामुखी जयंती पर मंदिर में हवन करवाने का विशेष महत्व है, जिससे कष्टों का निवारण होने के साथ-साथ शत्रु भय से भी मुक्ति मिलती है। [[द्रोणाचार्य]], [[रावण]], [[मेघनाद]] इत्यादि सभी महायोद्धाओं द्वारा माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्ध लड़े गए। नगरकोट के महाराजा संसार चंद कटोच भी प्राय: इस मंदिर में आकर माता बगलामुखी की आराधना किया करते थे, जिनके आशीर्वाद से उन्होंने कई युद्धों में विजय पाई थी। तभी से इस मंदिर में अपने कष्टों के निवारण के लिए श्रद्धालुओं का निरंतर आना आरंभ हुआ और श्रद्धालु नवग्रह शांति, ऋद्धि-सिद्धि प्राप्ति सर्व कष्टों के निवारण के लिए मंदिर में हवन-पाठ करवाते हैं। | बगलामुखी जयंती पर मंदिर में हवन करवाने का विशेष महत्व है, जिससे कष्टों का निवारण होने के साथ-साथ शत्रु भय से भी मुक्ति मिलती है। [[द्रोणाचार्य]], [[रावण]], [[मेघनाद]] इत्यादि सभी महायोद्धाओं द्वारा माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्ध लड़े गए। [[नगरकोट]] के महाराजा संसार चंद कटोच भी प्राय: इस मंदिर में आकर माता बगलामुखी की आराधना किया करते थे, जिनके आशीर्वाद से उन्होंने कई युद्धों में विजय पाई थी। तभी से इस मंदिर में अपने कष्टों के निवारण के लिए श्रद्धालुओं का निरंतर आना आरंभ हुआ और श्रद्धालु नवग्रह शांति, ऋद्धि-सिद्धि प्राप्ति सर्व कष्टों के निवारण के लिए मंदिर में हवन-पाठ करवाते हैं। | ||
====प्रबंधन समिति==== | ====प्रबंधन समिति==== | ||
मंदिर की प्रबंधन समिति द्वारा श्रद्धालुओं के लिए व्यापक स्तर पर समस्त सुविधाएँ उपलब्ध करवाई गई हैं। लंगर के अतिरिक्त मंदिर परिसर में पेयजल, शौचालय, ठहरने की व्यवस्था तथा हवन इत्यादि करवाने का विशेष प्रबंध है।<ref name="aa"/> | मंदिर की प्रबंधन समिति द्वारा श्रद्धालुओं के लिए व्यापक स्तर पर समस्त सुविधाएँ उपलब्ध करवाई गई हैं। लंगर के अतिरिक्त मंदिर परिसर में पेयजल, शौचालय, ठहरने की व्यवस्था तथा हवन इत्यादि करवाने का विशेष प्रबंध है।<ref name="aa"/> |
Latest revision as of 11:11, 28 July 2016
चित्र:Disamb2.jpg बगलामुखी मंदिर | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- बगलामुखी मंदिर |
बगलामुखी मंदिर, कांगड़ा
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विवरण | यह 'बगलामुखी मंदिर' कोटला क़स्बा, कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) में स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यह मंदिर हिन्दू धर्म के लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र है। |
राज्य | हिमाचल प्रदेश |
ज़िला | कांगड़ा |
निर्माता | माना जाता है कि मंदिर की स्थापना द्वापर युग में पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान एक ही रात में की गई थी। |
भौगोलिक स्थिति | मंदिर ज्वालामुखी से 22 किलोमीटर दूर 'वनखंडी' नामक स्थान पर स्थित है। |
संबंधित लेख | बगलामुखी मंदिर, हिमाचल प्रदेश, कांगड़ा
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विशेष | यहाँ प्राचीन शिवालय में आदमकद शिवलिंग स्थापित है, जहाँ लोग माता के दर्शन के उपरांत शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं। |
अन्य जानकारी | यहाँ प्रतिवर्ष 'बगलामुखी जयंती' पर मेले का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें विभिन्न राज्यों से आये लोग सम्मिलित होते हैं। |
बगलामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा जनपद के कोटला क़स्बा में स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यह मंदिर हिन्दू धर्म के लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र है। बगुलामुखी का यह मंदिर महाभारत कालीन माना जाता है। पांडुलिपियों में माँ के जिस स्वरूप का वर्णन है, माँ उसी स्वरूप में यहाँ विराजमान हैं। ये पीतवर्ण के वस्त्र, पीत आभूषण तथा पीले रंग के पुष्पों की ही माला धारण करती हैं। 'बगलामुखी जयंती' पर यहाँ मेले का आयोजन भी किया जाता है। 'बगलामुखी जयंती' पर हर वर्ष हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त देश के विभिन्न राज्यों से लोग आकर अपने कष्टों के निवारण के लिए हवन, पूजा-पाठ करवाकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
स्थिति
हिमाचल प्रदेश देवताओं व ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रहा है। कांगड़ा जनपद के कोटला क़स्बे में स्थित माँ श्री बगलामुखी का सिद्ध शक्तिपीठ है। वर्ष भर यहाँ श्रद्धालु मन्नत माँगने व मनोरथ पूर्ण होने पर आते-जाते रहते हैं। माँ बगलामुखी का मंदिर ज्वालामुखी से 22 किलोमीटर दूर 'वनखंडी' नामक स्थान पर स्थित है। मंदिर का नाम 'श्री 1008 बगलामुखी वनखंडी मंदिर' है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर कांगड़ा हवाईअड्डे से पठानकोट की ओर 25 किलोमीटर दूर कोटला क़स्बे में पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर के चारों ओर घना जंगल व दरिया है। यह मंदिर प्राचीन कोटला क़िले के अंदर स्थित है।
इतिहास
यह माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान एक ही रात में की गई थी, जिसमें सर्वप्रथम अर्जुन एवं भीम द्वारा युद्ध में शक्ति प्राप्त करने तथा माता बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की गई थी। कालांतर से ही यह मंदिर लोगों की आस्था व श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। वर्ष भर असंख्य श्रद्धालु, जो ज्वालामुखी, चिंतापूर्णी, नगरकोट इत्यादि के दर्शन के लिए आते हैं, वे सभी इस मंदिर में आकर माता का आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं। इसके अतिरिक्त मंदिर के साथ प्राचीन शिवालय में आदमकद शिवलिंग स्थापित है, जहाँ लोग माता के दर्शन के उपरांत शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं। [[चित्र:Baglamukhi-Temple-in-Kangra.jpg|250px|thumb|left|बगलामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश]]
प्रथम आराधना
माता बगलामुखी का दस महाविद्याओं में 8वाँ स्थान है तथा इस देवी की आराधना विशेषकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए की जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माता बगलामुखी की आराधना सर्वप्रथम ब्रह्मा एवं विष्णु ने की थी। इसके उपरांत परशुराम ने माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्धों में शत्रुओं को परास्त करके विजय पाई थी।[1]
महत्व
बगलामुखी जयंती पर मंदिर में हवन करवाने का विशेष महत्व है, जिससे कष्टों का निवारण होने के साथ-साथ शत्रु भय से भी मुक्ति मिलती है। द्रोणाचार्य, रावण, मेघनाद इत्यादि सभी महायोद्धाओं द्वारा माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्ध लड़े गए। नगरकोट के महाराजा संसार चंद कटोच भी प्राय: इस मंदिर में आकर माता बगलामुखी की आराधना किया करते थे, जिनके आशीर्वाद से उन्होंने कई युद्धों में विजय पाई थी। तभी से इस मंदिर में अपने कष्टों के निवारण के लिए श्रद्धालुओं का निरंतर आना आरंभ हुआ और श्रद्धालु नवग्रह शांति, ऋद्धि-सिद्धि प्राप्ति सर्व कष्टों के निवारण के लिए मंदिर में हवन-पाठ करवाते हैं।
प्रबंधन समिति
मंदिर की प्रबंधन समिति द्वारा श्रद्धालुओं के लिए व्यापक स्तर पर समस्त सुविधाएँ उपलब्ध करवाई गई हैं। लंगर के अतिरिक्त मंदिर परिसर में पेयजल, शौचालय, ठहरने की व्यवस्था तथा हवन इत्यादि करवाने का विशेष प्रबंध है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 कष्टों का निवारण करती है माँ बगुलामुखी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 06 जुलाई, 2013।
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