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         '''[[कृष्ण जन्माष्टमी]]''' [[कृष्ण|भगवान श्रीकृष्ण]] का जन्मोत्सव है। योगेश्वर कृष्ण के [[गीता|भगवद्गीता]] के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं। जन्माष्टमी को [[भारत]] में ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण ने अपना [[अवतार]] [[भाद्रपद]] माह की [[कृष्ण पक्ष]] की [[अष्टमी]] को मध्यरात्रि में [[कंस]] का विनाश करने के लिए [[मथुरा]] में लिया। [[कृष्ण जन्मभूमि]] पर देश–विदेश से लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और पूरे दिन [[व्रत]] रखकर नर-नारी तथा बच्चे रात्रि 12 बजे मन्दिरों में [[अभिषेक]] होने पर पंचामृत ग्रहण कर व्रत खोलते हैं। कृष्ण जन्मभूमि के अलावा [[द्वारिकाधीश मन्दिर मथुरा|द्वारिकाधीश]], [[बांके बिहारी मन्दिर|बिहारीजी]] एवं अन्य सभी मन्दिरों में इसका भव्य आयोजन होता है, जिनमें भारी भीड़ होती है। [[कृष्ण जन्माष्टमी|... और पढ़ें]]
         '''[[दीपावली]]''' अथवा 'दिवाली' [[भारत]] के प्रमुख त्योहारों में से एक है। त्योहारों का जो वातावरण [[धनतेरस]] से प्रारम्भ होता है, वह आज के दिन पूरे चरम पर आता है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार [[कार्तिक]] [[अमावास्या|अमावस्या]] को भगवान [[राम|श्रीराम]] चौदह वर्ष का वनवास काटकर [[अयोध्या]] लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने श्रीराम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। रात्रि के समय प्रत्येक घर में धनधान्य की अधिष्ठात्री देवी [[महालक्ष्मी देवी|महालक्ष्मी]], विघ्न-विनाशक [[गणेश|गणेश जी]] और विद्या एवं कला की देवी मातेश्वरी [[सरस्वती]] की पूजा-आराधना की जाती है। [[ब्रह्म पुराण]] के अनुसार इस अर्धरात्रि में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक में आती हैं और प्रत्येक सद्गृहस्थ के घर में विचरण करती हैं। जो घर हर प्रकार से स्वच्छ, शुद्ध और सुंदर तरीक़े से सुसज्जित और प्रकाशयुक्त होता है, वहां अंश रूप में ठहर जाती हैं। [[दीपावली|... और पढ़ें]]
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| [[रक्षाबन्धन]]
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| [[होली]]  
| [[गणेशोत्सव]]  
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Latest revision as of 07:02, 20 October 2016

एक त्योहार

        दीपावली अथवा 'दिवाली' भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। त्योहारों का जो वातावरण धनतेरस से प्रारम्भ होता है, वह आज के दिन पूरे चरम पर आता है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार कार्तिक अमावस्या को भगवान श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने श्रीराम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। रात्रि के समय प्रत्येक घर में धनधान्य की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी, विघ्न-विनाशक गणेश जी और विद्या एवं कला की देवी मातेश्वरी सरस्वती की पूजा-आराधना की जाती है। ब्रह्म पुराण के अनुसार इस अर्धरात्रि में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक में आती हैं और प्रत्येक सद्गृहस्थ के घर में विचरण करती हैं। जो घर हर प्रकार से स्वच्छ, शुद्ध और सुंदर तरीक़े से सुसज्जित और प्रकाशयुक्त होता है, वहां अंश रूप में ठहर जाती हैं। ... और पढ़ें


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