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| {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} | | {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} |
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| {{महाभारत सामान्य ज्ञान}} | | {{महाभारत सामान्य ज्ञान}} |
| {| class="bharattable-green" width="100%" | | {| class="bharattable-green" width="100%" |
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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| { [[महाभारत]] का युद्ध चला था?
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| |type="()"}
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| -14 दिन
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| -16 दिन
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| +18 दिन
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| -12 दिन
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| || [[चित्र:krishna-arjun1.jpg|right|100px|कृष्ण और अर्जुन]] यह विश्व का सबसे लंबा साहित्यिक ग्रंथ है, हालाँकि इसे [[साहित्य]] की सबसे अनुपम कॄतियों में से एक माना जाता है किन्तु आज भी यह प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महाभारत]]
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| {दानवीर [[कर्ण]] का अंतिम दान था?
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| |type="()"}
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| -कवच
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| -कुडंल
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| -राज्य
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| +सोने का दाँत
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| || [[चित्र:Karn1.jpg|right|50px|महाभारत युद्ध में कर्ण की वीरगति]] कर्ण के दो दाँत सोने के थे। उन्होंने निकट पड़े पत्थर से उन्हें तोड़ा और बोले-'ब्राह्मण देव! मैंने सर्वदा स्वर्ण (सोने) का ही दान किया है। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कर्ण]]
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| {गंगापुत्र [[भीष्म]] का नाम था?
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| |type="()"}
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| -देवदत्त
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| +देवव्रत
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| -शिवव्रत
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| -गंगाधर
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| || [[गंगा]] एक सुन्दर स्त्री के रूप में उस बालक के साथ प्रकट हो गईं और बोलीं, “राजन्! यह आपका पुत्र है तथा इसका नाम देवव्रत है, इसे ग्रहण करो। यह पराक्रमी होने के साथ विद्वान भी होगा। अस्त्र विद्या में यह [[परशुराम]] के समान होगा।” महाराज [[शान्तनु]] अपने पुत्र देवव्रत को पाकर अत्यन्त प्रसन्न हुये और उसे अपने साथ [[हस्तिनापुर]] लाकर युवराज घोषित कर दिया। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भीष्म]]
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| {[[दुर्योधन]] की बहन का नाम था?
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| |type="()"}
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| -भानुमति
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| -रम्भा
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| -लक्ष्मणा
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| +दुःशला
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| {[[अश्वत्थामा]] की माँ का नाम था?
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| |type="()"}
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| -द्रोणा
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| -अरुणधती
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| -शिवाला
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| +कृपी
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| || अश्वत्थामा [[द्रोणाचार्य]] के पुत्र थे। द्रोणाचार्य ने [[शिव]] को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके उन्हीं के अंश से अश्वत्थामा नामक पुत्र को प्राप्त किया। इनकी माता का नाम कृपी था जो शरद्वान की लड़की थी। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अश्वत्थामा]]
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| {[[महाभारत]] युद्ध के पश्चात जो महारथी जीवित बचे उनकी संख्या थी?
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| |type="()"}
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| -22
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| -42
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| +18
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| -36
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| {[[गीता]] में "मैं" शब्द का प्रयोग कितनी बार हुआ है?
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| |type="()"}
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| -107 बार
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| -108 बार
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| -106 बार
| |
| +109 बार
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| {[[अभिमन्यु]] के पुत्र का नाम था?
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| |type="()"}
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| -[[दिलीप]]
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| +[[परीक्षित]]
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| -उपमन्यु
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| -[[शान्तनु]]
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| || वीर अभिमन्यु और [[उत्तरा]] के पुत्र का नाम '''परीक्षित''' था। धर्मराज [[युधिष्ठिर]] ने जब पुत्र जन्म का समाचार सुना तो वे अति प्रसन्न हुये और उन्होंने असंख्य गौ, गाँव, हाथी, घोड़े, अन्न आदि ब्राह्मणों को दान दिये। उत्तम ज्योतिषियों को बुला कर बालक के भविष्य के विषय में प्रश्न पूछे। ज्योतिषियों ने बताया कि वह बालक अति प्रतापी, यशस्वी तथा [[इक्ष्वाकु वंश|इक्ष्वाकु]] समान प्रजापालक, दानी, धर्मी, पराक्रमी और भगवान [[कृष्ण|श्री कृष्णचन्द्र]] का भक्त होगा।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[परीक्षित]]
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| {[[जरासंध]] के बहनोई का नाम था?
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| |type="()"}
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| +[[कंस]]
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| -[[दु:शासन]]
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| -[[शिशुपाल]]
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| -[[जयद्रथ]]
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| || [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार कंस अन्धक-वृष्णि संघ के गण मुख्य [[उग्रसेन (राजा)|उग्रसेन]] का पुत्र था। इसमें स्वच्छन्द शासकीय या अधिनायकवादी प्रवृत्तियाँ जागृत हुई और पिता को अपदस्थ करके वह स्वयं राजा बन बैठा । इसकी बहिन [[देवकी]] और बहनोई [[वसुदेव]] थे। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कंस]]
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| {[[दुर्योधन]] के पुत्र का नाम था?
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| |type="()"}
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| -सुयोधन
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| -यशवर्धन
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| +लक्ष्मण
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| -भरत
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| {[[कर्ण]] को पालने वाली माता का नाम क्या था? | | {[[कर्ण]] को पालने वाली माता का नाम क्या था? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
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| +राधा | | +राधा |
| -[[कुंती]] | | -[[कुंती]] |
| | ||[[महाभारत]] के युद्ध में [[कर्ण]] ने विशिष्ट शौर्य का प्रदर्शन किया था। कर्ण को उसकी वीरता और शालीनता के साथ ही साथ एक दानवीर के रूप में भी ख्यातिप्राप्त थी। [[दुर्वासा ऋषि]] के वरदान से [[कुन्ती]] ने [[सूर्य देव|सूर्य]] का आहवान करके [[विवाह]] से पूर्व से ही कौमार्य अवस्था में कर्ण को पुत्र रूप में प्राप्त किया था, किन्तु लोक लाज के भय से उसने शिशु अवस्था में ही कर्ण को नदी में बहा दिया। [[हस्तिनापुर]] के सारथी अधिरथ और उसकी पत्नी राधा ने कर्ण को पाला। इसलिए कर्ण को 'राधेय' भी कहा गयाहै।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कर्ण]] |
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| {[[शकुनि]] के राज्य का नाम था? | | {[[दुर्योधन]] के मामा [[शकुनि]] के राज्य का नाम क्या था? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -वारणाव्रत | | -[[मगध]] |
| -[[हस्तिनापुर]] | | -[[हस्तिनापुर]] |
| +[[गांधार]] | | +[[गांधार]] |
| -[[पांचाल]] | | -[[पांचाल]] |
| || [[चित्र:Gandhar-Map.jpg|right|50px|गांधार महाजनपद]] पौराणिक [[महाजनपद|16 महाजनपदों]] में से एक। [[पाकिस्तान]] का पश्चिमी तथा [[अफ़ग़ानिस्तान]] का पूर्वी क्षेत्र। इस प्रदेश का मुख्य केन्द्र आधुनिक पेशावर और आसपास के इलाके थे। इस महाजनपद के प्रमुख नगर थे - पुरुषपुर (आधुनिक पेशावर) तथा [[तक्षशिला]] इसकी राजधानी थी । {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[गांधार महाजनपद]] | | ||[[चित्र:Gandhar-Map.jpg|right|100px|गांधार महाजनपद]][[गान्धार]] राज सुबल का पुत्र और [[गान्धारी]] का भाई [[शकुनि]] जुआ खेलने में यह बहुत ही कुशल था। वह प्रायः [[धृतराष्ट्र]] के दरबार में ही बना रहता था। [[दुर्योधन]] की इससे बहुत पटती थी। [[युधिष्ठिर]] और दुर्योधन के बीच खेले गये जुए में शकुनि ने दुर्योधन की ओर से जुआ खेला था। वह ऐसा चतुर जुआरी था कि युधिष्ठिर को उसने एक भी दाँव नहीं जीतने दिया। शकुनि छलिया भी अव्वल श्रेणी का था। ज्यों-ज्यों युधिष्ठिर हारते जाते, त्यों-त्यों वह उन्हें उकसाता और जो चीज़ें उनके पास रह गई थीं, उन्हें दाँव पर लगाने के लिए विवश कर देता।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शकुनि]] |
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| {[[पांडव]] [[नकुल]] विशेषज्ञ था? | | {[[पांडव]] [[नकुल]] किसका विशेषज्ञ था? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -धनुर्विद्या | | -धनुर्विद्या का |
| -पाकविद्या | | -पाकविद्या का |
| -अंगराग | | -अंगराग का |
| +घोड़ों का | | +घोड़ों का |
| || नकुल [[कुन्ती]] के नहीं अपितु [[माद्री]] के पुत्र थे। कुल सुन्दर, धर्मशास्त्र, नीति तथा पशु-चिकित्सा में दक्ष थे। नकुल कुशल अश्वारोही थे और घोड़ों के संबन्ध में विशेष ज्ञान रखते थे। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[नकुल]] | | ||[[नकुल]] भी [[महाभारत]] के मुख्य पात्र हैं। वे माता [[कुन्ती]] के नहीं अपितु [[माद्री]] के पुत्र थे। नकुल कुशल अश्वारोही थे और घोड़ों के संबन्ध में विशेष ज्ञान रखते थे। ये [[युधिष्ठिर]] के चतुर्थ भ्राता, [[अश्विनीकुमार|अश्विनीकुमारों]] के औरस और [[पाण्डु]] के क्षेत्रज पुत्र थे। इनके सहोदर का नाम सहदेव था। नकुल सुन्दर, धर्मशास्त्र, नीति तथा पशु-चिकित्सा में दक्ष थे। [[अज्ञातवास]] में ये राजा [[विराट]] के यहाँ 'ग्रंथिक' नाम से [[गाय]] चराने और घोड़ों की देखभाल का कार्य करते रहे थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नकुल]] |
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| {[[अर्जुन]] के शंख का नाम था? | | {निम्नलिखित में से [[अर्जुन]] के [[शंख]] का नाम क्या था? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -पाञ्जन्य | | -पाञ्जन्य शंख |
| -उदघोष | | -उदघोष शंख |
| +देवदत्त | | +देवदत्त शंख |
| -[[सात्यकि]] | | -पोडरिक शंख |
| | ||[[चित्र:Right-Handed Conch.jpg|right|100px|शंखनाद करते श्रीकृष्ण और अर्जुन]][[महाभारत]] काल में [[श्रीकृष्ण]] ने कई बार अपना 'पंचजन्य शंख' बजाया था। महाभारत युद्ध के समय भगवान श्रीकृष्ण ने पांचजन्य शंख को बजाकर युद्ध का जयघोष किया था। कहते हैं कि यह [[शंख]] जिसके पास होता है, उसकी यश-गाथा कभी कम नहीं होती। महाभारत के इसी युद्ध में [[अर्जुन]] ने 'देवदत्त' नाम का शंख बजाया था। वहीं [[युधिष्ठिर]] के पास 'अनंतविजय' नाम का शंख था, जिसे उन्होंने रणभूमि में बजाया था। इस शंख कि ध्वनि की ये विशेषता मानी जाती है कि इससे शत्रु सेना घबराती है और खुद कि सेना का उत्साह बढता है। [[भीष्म]] ने 'पोडरिक' नामक शंख बजाया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शंख]] |
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| {[[सूर्य देव|सूर्य]] के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा करके जिसने प्राण त्यागे? | | {[[सूर्य देव|सूर्य]] के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा करके किसने अपना प्राण त्याग किया? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[द्रोणाचार्य]] | | -[[द्रोणाचार्य]] |
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| -[[कर्ण]] | | -[[कर्ण]] |
| -[[पाण्डु]] | | -[[पाण्डु]] |
| || भीष्म [[महाभारत]] के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। ये महाराजा [[शांतनु]] के पुत्र थे। अपने पिता को दिये गये वचन के कारण इन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया था। इन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भीष्म]]
| | ||[[चित्र:Bhishma2.jpg|right|100px|शर शैया पर पितामह भीष्म]]18 दिनों तक चले [[महाभारत]] के युद्ध में दस दिनों तक अकेले घमासान युद्ध करके [[भीष्म]] ने [[पाण्डव]] पक्ष को व्याकुल कर दिया और अन्त में [[शिखण्डी]] के माध्यम से अपनी मृत्यु का उपाय स्वयं बताकर महाभारत के इस अद्भुत योद्धा ने शरशय्या पर शयन किया। शास्त्र और शस्त्र के इस सूर्य को अस्त होते हुए देखकर भगवान [[श्रीकृष्ण]] ने इनके माध्यम से [[युधिष्ठिर]] को [[धर्म]] के समस्त अंगों का उपदेश दिलवाया। [[सूर्य देव|सूर्य]] के उत्तरायण होने पर पीताम्बरधारी श्रीकृष्ण की छवि को अपनी [[आँख|आँखों]] में बसाकर महात्मा भीष्म ने अपने नश्वर शरीर का त्याग किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीष्म]] |
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| {कृष्णा किसका नाम था?
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| |type="()"}
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| +[[द्रौपदी]]
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| -[[सुभद्रा]]
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| -[[रुक्मणी]]
| |
| -[[राधा]]
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| || द्रौपदी का जन्म महाराज [[द्रुपद]] के यहाँ यज्ञकुण्ड से हुआ था। द्रौपदी ने पति पाने की कामना से तपस्या की। भगवान [[शंकर]] ने प्रसन्न होकर उसे वर देने की इच्छा की। उसने शंकर से पांच बार कहा कि वह सर्वगुणसंपन्न पति चाहती है। शंकर ने कहा कि अगले जन्म में उसके पांच भारतवंशी पति होंगे, क्योंकि उसने पति पाने की कामना पांच बार दोहरायी थी।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[द्रौपदी]]
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| | |
| {[[उलूपी]] व [[चित्रांगदा]] किसकी पत्नी थी?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[भीम]]
| |
| -[[कृष्ण]]
| |
| +[[अर्जुन]]
| |
| -[[कर्ण]]
| |
| || [[चित्र:Gita-Krishna-1.jpg|right|30px|कृष्ण और अर्जुन]] अर्जुन [[महाभारत]] के मुख्य पात्र हैं। महाराज [[पाण्डु]] एवं रानी [[कुन्ती]] के वह तीसरे पुत्र थे। अर्जुन सबसे अच्छा तीरंदाज थे। वो द्रोणाचार्य के शिष्य थे। [[द्रौपदी]] को स्वयंम्वर में जीतने वाला वो ही थे। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अर्जुन]] | |
| | |
| {[[जरासंध]] का वध किसने किया?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[कर्ण]]
| |
| -[[अर्जुन]]
| |
| -[[बलराम]]
| |
| +[[भीम (पांडव)|भीम]]
| |
| || [[चित्र:Bhim.jpg|right|50px|भीम]] [[पांडु]] के पाँच में से दूसरी संख्या के पुत्र का नाम भीम अथवा भीमसेन था। भीम में दस हज़ार [[हाथी|हाथियों]] का बल था और वह [[गदा]] युद्ध में पारंगत था। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भीम (पांडव)]]
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| {[[महाभारत]] में पर्वों की संख्या है?
| |
| |type="()"}
| |
| -12
| |
| -14
| |
| -16
| |
| +18
| |
| || महाभारत की प्रबन्ध योजना में सम्पूर्ण ग्रन्थ को अठारह पर्वों में विभक्त किया गया है और महाभारत में भीष्म पर्व के अन्तर्गत वर्णित श्रीमद्भगवद्गीता में भी अठारह अध्याय हैं। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महाभारत]]
| |
| | |
| {[[द्रोणाचार्य]] का वध किसने किया था?
| |
| |type="()"}
| |
| +[[धृष्टद्युम्न]]
| |
| -[[नकुल]]
| |
| -[[द्रुपद]]
| |
| -वभ्रुवाहन
| |
| || धृष्टद्युम्न [[पांचाल]]-नरेश [[द्रुपद]] का पुत्र था। ये [[द्रौपदी]] का भाई था, जो यज्ञकुण्ड से उत्पन्न हुआ था। [[महाभारत]] के युद्ध में पाण्डव-पक्ष का यही कुमार सेनापति रहा। [[महाभारत]]-युद्ध में उसने [[द्रोणाचार्य]] का वध किया था। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[धृष्टद्युम्न]]
| |
| | |
| {[[यक्ष]] से [[युधिष्ठिर]] ने किस [[पाण्डव]] का जीवन दान माँगा था?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[अर्जुन]]
| |
| -[[नकुल]]
| |
| -[[भीम]]
| |
| +[[सहदेव]]
| |
| || [[महाभारत]] में पाँच [[पांडव|पाँडवों]] में सबसे छोटे भाई और राजा [[पांडु]] के पाँच पुत्रों में से सबसे छोटे पुत्र का नाम। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सहदेव]]
| |
| | |
| {[[लाक्षागृह]] का निर्माण किसने किया था?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[विश्वकर्मा]]
| |
| -[[शकुनि]]
| |
| +पुरोचन
| |
| -[[प्रजापति]]
| |
| || [[महाभारत]] में ऐसा उल्लेख मिलता है कि एक बार [[पाण्डव]] अपनी माता [[कुन्ती]] के साथ वार्णावर्त नगर में महादेव को मेला देखने गये। [[दुर्योधन]] ने इसकी पूर्व सूचना प्राप्त करके अपने एक मन्त्री पुरोचन को वहाँ भेजकर एक लाक्षागृह तैयार कराया। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[लाक्षागृह]]
| |
| | |
| {[[घटोत्कच]] की माँ का क्या नाम था?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[तारा (बालि की पत्नी)|तारा]]
| |
| +[[हिडिम्बा]]
| |
| -[[ताड़का]]
| |
| -सुरसा
| |
| || हिडिम्बा से ही [[भीम (पांडव)|भीम]] के घटोत्कच नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। 'महाभारत' में हिडिम्ब नामक एक राक्षस का उल्लेख मिलता है। हिडिम्बा इसी [[हिडिम्ब]] नामक राक्षस की बहन थी। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[हिडिम्बा]]
| |
| | |
| {[[अर्जुन]] के धनुष का नाम क्या था?
| |
| |type="()"}
| |
| +[[गांडीव धनुष|गांडीव]]
| |
| -अमोघ
| |
| -[[वज्र अस्त्र|वज्र]]
| |
| -[[ब्रह्मास्त्र]]
| |
| || अर्जुन को गांडीव धनुष अत्यधिक प्रिय था। उसने प्रतिज्ञा की थी कि जो व्यक्ति उसे गांडीव किसी और को देने के लिए कहेगा, उसे वह मार डालेगा।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[गांडीव धनुष]]
| |
| | |
| {[[महाभारत]] में कितने [[अक्षौहिणी]] सेना समाप्त हुई?
| |
| |type="()"} | |
| -22
| |
| +18
| |
| -24
| |
| -16
| |
| || [[महाभारत]] के युद्घ में '''अठारह''' अक्षौहिणी सेना नष्ट हो गई। एक अक्षौहिणी में 21870 [[हाथी]], 21870 रथ, 65610 घोड़े और 109350 पैदल होते थे। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अक्षौहिणी]]
| |
| </quiz> | | </quiz> |
| |} | | |} |
Line 206: |
Line 51: |
| {{महाभारत सामान्य ज्ञान}} | | {{महाभारत सामान्य ज्ञान}} |
| {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} | | {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} |
| {{प्रचार}}
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| [[Category:सामान्य ज्ञान]][[Category:महाभारत]] | | [[Category:सामान्य ज्ञान]][[Category:महाभारत]] |
| [[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]] | | [[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]] |
| | [[Category:महाभारत सामान्य ज्ञान]] |
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