कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 419: Difference between revisions
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{[[श्रीमद्भगवद गीता]] के 18 अध्यायों का महत्त्व कहाँ वर्णित है? | {[[श्रीमद्भगवद गीता]] के 18 अध्यायों का महत्त्व कहाँ वर्णित है? | ||
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+[[ | +[[पद्म पुराण]] | ||
-[[स्कंदपुराण]] | -[[स्कंदपुराण]] | ||
-[[विष्णुपुराण]] | -[[विष्णुपुराण]] | ||
-[[वायुपुराण]] | -[[वायुपुराण]] | ||
||[[चित्र:Cover-Padma-Purana.jpg|right|border|100px|पद्म पुराण]]'पद्म पुराण' [[हिन्दू धर्म]] के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथों में विशाल [[पुराण]] है। केवल '[[स्कन्द पुराण]]' ही इससे बड़ा है। इस पुराण के [[श्लोक|श्लोकों]] की संख्या पचास हज़ार है। वैसे तो इस पुराण से संबंधित सभी विषयों का वर्णन स्थान विशेष पर आ गया है, किन्तु इसमें प्रधानता उपाख्यानों और कथानकों की है। ये कथानक तीर्थों तथा व्रत सम्बन्धी नहीं हैं, वरन् पौराणिक पुरुषों और राजाओं से सम्बन्धित हैं। अन्य पुराणों में यही कथानक जिस रूप में प्राप्त होते हैं, यहाँ ये दूसरे रूप में हैं। ये आख्यान और उपाख्यान सर्वथा नवीन, विचित्र और सामान्य पाठकों को चमत्कृत कर देने वाले हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पद्म पुराण]] | |||
{श्रीमद्भागवत (10.16.45) में चतुमूर्ति (वासुदेव, संकर्षण, प्रद्युम्न तथा अनिरुद्ध) की पूजा में भजन किसने गाए हैं? | {श्रीमद्भागवत (10.16.45) में चतुमूर्ति ([[वासुदेव (कृष्ण)|वासुदेव]], [[संकर्षण]], [[प्रद्युम्न]] तथा [[अनिरुद्ध]]) की [[पूजा]] में [[भजन]] किसने गाए हैं? | ||
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-देव पत्नियाँ | -[[देवता|देव]] पत्नियाँ | ||
-दानव पत्नियाँ | -दानव पत्नियाँ | ||
+नाग पत्नियाँ | +[[नाग]] पत्नियाँ | ||
-गंधर्व पत्नियाँ | -[[गंधर्व]] पत्नियाँ | ||
||[[चित्र:Cover-Bhagavata-Purana.jpg|right|border|100px|श्रीमद्भागवत]]'श्रीमद्भागवत पुराण' [[हिन्दू]] समाज का सर्वाधिक आदरणीय [[पुराण]] है। यह [[वैष्णव सम्प्रदाय]] का प्रमुख ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में [[वेद|वेदों]], [[उपनिषद|उपनिषदों]] तथा [[दर्शन शास्त्र]] के गूढ़ एवं रहस्यमय विषयों को अत्यन्त सरलता के साथ निरूपित किया गया है। इसे '''भारतीय धर्म और संस्कृति का विश्वकोश''' कहना अधिक समीचीन होगा। सैकड़ों वर्षों से यह पुराण हिन्दू समाज की धार्मिक, सामाजिक और लौकिक मर्यादाओं की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता आ रहा हैं। इस पुराण में बारह स्कन्ध हैं, जिनमें [[विष्णु के अवतार|विष्णु के अवतारों]] का ही वर्णन है। [[नैमिषारण्य]] में शौनकादि ऋषियों की प्रार्थना पर लोमहर्षण के पुत्र [[उग्रश्रवा|उग्रश्रवा सूत जी]] ने इस पुराण के माध्यम से [[श्रीकृष्ण]] के चौबीस अवतारों की [[कथा]] कही है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भागवत पुराण]] | |||
{अश्वमेध | {[[अश्वमेध यज्ञ]] कितने समय में समाप्त होता है? | ||
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-छ: माह | -छ: [[माह]] | ||
-दस माह | -दस [[माह]] | ||
+एक वर्ष | +एक [[वर्ष]] | ||
-दो वर्ष | -दो [[वर्ष]] | ||
||[[चित्र:Ashvamedha.jpg|right|border|100px|अश्वमेध यज्ञ]]'अश्वमेध यज्ञ' का वैदिक यज्ञों में महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह महाक्रतुओं में से एक है। [[महाभारत]] में [[युधिष्ठिर]] द्वारा [[कौरव|कौरवौं]] पर विजय प्राप्त करने के पश्चात् पाप मोचनार्थ किये गये [[अश्वमेध यज्ञ]] का विशद वर्णन है। अश्वमेध मुख्यत: राजनीतिक यज्ञ था और इसे वही सम्राट कर सकता था, जिसका अधिपत्य अन्य सभी नरेश मानते थे। आपस्तम्ब: में लिखा है- 'राजा सार्वभौम: अश्वमेधेन यजेत्। नाप्यसार्वभौम:।' सार्वभौम राजा अश्वमेध करे असार्वभौम कदापि नहीं। यह [[यज्ञ]] उसकी विस्तृत विजयों, सम्पूर्ण अभिलाषाओं की पूर्ति एवं शक्ति तथा साम्राज्य की वृद्धि का द्योतक होता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अश्वमेध यज्ञ]] | |||
{किस कृति में '[[रामायण]]' और '[[महाभारत]]' की गाथाएँ एक साथ पाई जाती हैं? | |||
{किस कृति में 'रामायण' और 'महाभारत' की गाथाएँ एक साथ पाई जाती हैं? | |||
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-रघुवंश | -[[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]] | ||
-राघवनैषधीय | -राघवनैषधीय | ||
+राघवपांडवीय | +राघवपांडवीय | ||
-दशरूपकम | -दशरूपकम | ||
{निम्नलिखित में से किसे भारतीय जनमानस 'मामा' कहता है? | |||
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+[[चन्द्रमा]] | |||
-[[सूर्य]] | |||
-[[शुक्र ग्रह|शुक्र]] | |||
-[[मंगल ग्रह|मंगल]] | |||
||[[चित्र:Moon.jpg|right|border|100px|चन्द्रमा]]'चन्द्रमा' [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] का एकमात्र [[उपग्रह]], जो वायुमंडलविहीन है और जिसकी पृथ्वी से दूरी 3,84,365 कि.मी. है। यह [[सौरमण्डल]] का पाचवाँ सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है। [[चन्द्रमा]] की सतह और उसकी आन्तरिक सतह का अध्ययन करने वाला विज्ञान 'सेलेनोलॉजी' कहलाता है। इस पर धूल के मैदान को 'शान्तिसागर' कहते हैं। यह चन्द्रमा का पिछला भाग है, जो अंधकारमय होता है। चन्द्रमा का उच्चतम पर्वत 'लीबनिट्ज पर्वत' है, जो 35000 फुट (10,668 मी.) ऊँचा है। यह चन्द्रमा के [[दक्षिणी ध्रुव]] पर स्थित है। चन्द्रमा को 'जीवाश्म ग्रह' भी कहा जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चन्द्रमा]] | |||
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