अरनाला: Difference between revisions
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* | '''अरनाला''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Arnala fort'') एक द्वीप [[दुर्ग]] है। यह [[महाराष्ट्र]] की राजधानी के निकट [[बसई]] गाँव में है। यह दुर्ग [[जल]] के बीच एक द्वीप पर बना हुआ है, जिस कारण इसे 'जलदुर्ग' या 'जन्जीरे-अर्नाला' भी कहा जाता है। यह क़िला सामरिक दृष्टि से काफ़ी महत्त्वपूर्ण था। अरनाला क़िले से [[गुजरात]] के सुल्तान, [[पुर्तग़ाली]], [[अंग्रेज़]] और [[मराठा|मराठाओं]] ने शासन किया है। अरनाला का क़िला तीनो ओर से [[समुद्र]] से घिरा है।<br /> | ||
*अरनाला का दुर्ग [[मुंबई]] से 60 कि.मी. दूर [[उत्तर दिशा]] में स्थित है। यह स्थान [[वैतरणी नदी]] के मुहाने पर है। | |||
*इस दुर्ग का निर्माण 1530 ई. में | *अंग्रेज़ी शासन काल में इसे '''काउज आइलैंड''' नाम से जाना जाता था। | ||
*ऊँची प्राचीरों, परकोटों और तीन द्वारों से युक्त | *इस दुर्ग का निर्माण 1530 ई. में गुजरात के सुल्तानों द्वारा करवाया गया था। | ||
*गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह के साथ की | *ऊँची प्राचीरों, परकोटों और तीन द्वारों से युक्त अरनाला दुर्ग का मुख्य द्वार उत्तर दिशा की ओर है। | ||
*सन 1550 ई. में | *गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह के साथ की गई 1535 ई. की संधि से यह क़िला पुर्तग़ालियों के कब्ज़े में आ गया। | ||
*सन 1550 ई. में पुर्तग़ालियों ने मौजूद क़िले को तोड़कर व्यापक जीर्णोद्धार करवाया। | |||
*सन 1737 ई. में इस क़िले पर [[मराठा|मराठों]] ने अधिकार कर [[बाजीराव प्रथम|पेशवा बाजीराव]] द्वारा 1738 ई. में इसका पुनः निर्माण करवाया। | *सन 1737 ई. में इस क़िले पर [[मराठा|मराठों]] ने अधिकार कर [[बाजीराव प्रथम|पेशवा बाजीराव]] द्वारा 1738 ई. में इसका पुनः निर्माण करवाया। | ||
*अरनाला दुर्ग दक्षिणी बेसिन और उत्तरी [[दमन]] को जोड़ता था। यहाँ पर व्यापारिक वस्तुओं को संगृहित कर उनका [[यूरोप|यूरोपीय]] देशों और बाज़ारों में निर्यात किया जाता था। | *अरनाला दुर्ग दक्षिणी बेसिन और उत्तरी [[दमन]] को जोड़ता था। | ||
*यह दुर्ग 1802 ई. तक मराठों के अधिकार क्षेत्र में बना रहा, किंतु | *यहाँ पर व्यापारिक वस्तुओं को संगृहित कर उनका [[यूरोप|यूरोपीय]] देशों और बाज़ारों में निर्यात किया जाता था। | ||
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[[चित्र:Arnala.jpg|thumb|250px|अरनाला दुर्ग, मुंबई]]
अरनाला (अंग्रेज़ी: Arnala fort) एक द्वीप दुर्ग है। यह महाराष्ट्र की राजधानी के निकट बसई गाँव में है। यह दुर्ग जल के बीच एक द्वीप पर बना हुआ है, जिस कारण इसे 'जलदुर्ग' या 'जन्जीरे-अर्नाला' भी कहा जाता है। यह क़िला सामरिक दृष्टि से काफ़ी महत्त्वपूर्ण था। अरनाला क़िले से गुजरात के सुल्तान, पुर्तग़ाली, अंग्रेज़ और मराठाओं ने शासन किया है। अरनाला का क़िला तीनो ओर से समुद्र से घिरा है।
- अरनाला का दुर्ग मुंबई से 60 कि.मी. दूर उत्तर दिशा में स्थित है। यह स्थान वैतरणी नदी के मुहाने पर है।
- अंग्रेज़ी शासन काल में इसे काउज आइलैंड नाम से जाना जाता था।
- इस दुर्ग का निर्माण 1530 ई. में गुजरात के सुल्तानों द्वारा करवाया गया था।
- ऊँची प्राचीरों, परकोटों और तीन द्वारों से युक्त अरनाला दुर्ग का मुख्य द्वार उत्तर दिशा की ओर है।
- गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह के साथ की गई 1535 ई. की संधि से यह क़िला पुर्तग़ालियों के कब्ज़े में आ गया।
- सन 1550 ई. में पुर्तग़ालियों ने मौजूद क़िले को तोड़कर व्यापक जीर्णोद्धार करवाया।
- सन 1737 ई. में इस क़िले पर मराठों ने अधिकार कर पेशवा बाजीराव द्वारा 1738 ई. में इसका पुनः निर्माण करवाया।
- अरनाला दुर्ग दक्षिणी बेसिन और उत्तरी दमन को जोड़ता था।
- यहाँ पर व्यापारिक वस्तुओं को संगृहित कर उनका यूरोपीय देशों और बाज़ारों में निर्यात किया जाता था।
- यह दुर्ग 1802 ई. तक मराठों के अधिकार क्षेत्र में बना रहा, किंतु बसीन की सन्धि के अनुसार इस पर अंग्रेज़ी आधिपत्य हो गया।
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