कुरनूल: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''कुरनूल''' आन्ध्र प्रदेश में स्थित एक नगर है। इस नगर ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ") |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
'''कुरनूल''' [[आन्ध्र प्रदेश]] में स्थित एक नगर है। इस नगर की स्थापना 11वीं शती में की गई थी। इसका प्राचीन नाम 'कनडेलाबोसू' है। कुरनूल [[तुंगभद्रा नदी|तुंगभद्रा]] और हांद्री नदियों के तट पर स्थित हैं। नगर के चारों ओर प्राचीन परकोटा है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=205|url=}}</ref> | '''कुरनूल''' [[आन्ध्र प्रदेश]] में स्थित एक नगर है। इस नगर की स्थापना 11वीं शती में की गई थी। इसका प्राचीन नाम 'कनडेलाबोसू' है। कुरनूल [[तुंगभद्रा नदी|तुंगभद्रा]] और हांद्री नदियों के तट पर स्थित हैं। नगर के चारों ओर प्राचीन परकोटा है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=205|url=}}</ref> | ||
====इतिहास==== | ====इतिहास==== | ||
16वीं शती के पूर्वार्घ में [[विजयनगर साम्राज्य]] के अतंर्गत रहने के | 16वीं शती के पूर्वार्घ में [[विजयनगर साम्राज्य]] के अतंर्गत रहने के पश्चात् इसका पतन होने पर राजा [[रामराय]] के प्रपौत्र गोपालराय का यहाँ कुछ दिन तक अधिकार रहा था। [[बीजापुर]] के सुल्तान ने गोपालराय को हराने के लिए अपने अब्दुल बहाब नामक सेनापति को भेजा, जिसने कुरनूल पर अधिकार करके अपनी धर्मिक कट्टरता का परिचय दिया। उसने यहाँ के अनेक मंदिर तुड़वा कर मसजिदें बनवाईं। उसकी क़ब्र हंदल के मक़बरे में है, जो कुरनूल के पास ही है। | ||
====हैदराबाद में विलय==== | ====हैदराबाद में विलय==== | ||
बीजापुर के सुल्तान के शासन काल में [[मराठा]] प्रमुख [[शिवाजी]] ने इस इलाके में चौथ वसूल की। [[मुग़ल]] बादशाह [[औरंगज़ेब]] के जमाने में बीजापुर राज्य की समाप्ति पर कुरनूल पर मुग़लों का अधिकार हो गया। बाद में [[मुग़ल साम्राज्य]] के शिथिल होने पर जब [[हैदराबाद]] की नई रियासत दक्षिण में बनी तो निज़ाम हैदराबाद ने कुरनूल को 18वीं शती के मध्य में अपने राज्य में सम्मिलत कर लिया। | बीजापुर के सुल्तान के शासन काल में [[मराठा]] प्रमुख [[शिवाजी]] ने इस इलाके में चौथ वसूल की। [[मुग़ल]] बादशाह [[औरंगज़ेब]] के जमाने में बीजापुर राज्य की समाप्ति पर कुरनूल पर मुग़लों का अधिकार हो गया। बाद में [[मुग़ल साम्राज्य]] के शिथिल होने पर जब [[हैदराबाद]] की नई रियासत दक्षिण में बनी तो निज़ाम हैदराबाद ने कुरनूल को 18वीं शती के मध्य में अपने राज्य में सम्मिलत कर लिया। |
Latest revision as of 07:47, 23 June 2017
कुरनूल आन्ध्र प्रदेश में स्थित एक नगर है। इस नगर की स्थापना 11वीं शती में की गई थी। इसका प्राचीन नाम 'कनडेलाबोसू' है। कुरनूल तुंगभद्रा और हांद्री नदियों के तट पर स्थित हैं। नगर के चारों ओर प्राचीन परकोटा है।[1]
इतिहास
16वीं शती के पूर्वार्घ में विजयनगर साम्राज्य के अतंर्गत रहने के पश्चात् इसका पतन होने पर राजा रामराय के प्रपौत्र गोपालराय का यहाँ कुछ दिन तक अधिकार रहा था। बीजापुर के सुल्तान ने गोपालराय को हराने के लिए अपने अब्दुल बहाब नामक सेनापति को भेजा, जिसने कुरनूल पर अधिकार करके अपनी धर्मिक कट्टरता का परिचय दिया। उसने यहाँ के अनेक मंदिर तुड़वा कर मसजिदें बनवाईं। उसकी क़ब्र हंदल के मक़बरे में है, जो कुरनूल के पास ही है।
हैदराबाद में विलय
बीजापुर के सुल्तान के शासन काल में मराठा प्रमुख शिवाजी ने इस इलाके में चौथ वसूल की। मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब के जमाने में बीजापुर राज्य की समाप्ति पर कुरनूल पर मुग़लों का अधिकार हो गया। बाद में मुग़ल साम्राज्य के शिथिल होने पर जब हैदराबाद की नई रियासत दक्षिण में बनी तो निज़ाम हैदराबाद ने कुरनूल को 18वीं शती के मध्य में अपने राज्य में सम्मिलत कर लिया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 205 |
संबंधित लेख