एकी आन्दोलन: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(2 intermediate revisions by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
[[1917]] ई. में [[भील|भीलों]] व गरासियों ने मिलकर दमनकारी नीति व बेगार के विरुद्ध महाराणा को पत्र लिखा। इसका कोई परिणाम नहीं निकालता देखकर 1921 में बिजौलिया के [[किसान आन्दोलन]] से प्रभावित होकर भीलों ने पुनः महाराणा को शिकायत की। इन सभी अहिंसात्मक प्रयासों को जब कोई परिणाम नहीं निकला तो [[भोमट]] के खालसा क्षेत्र के भीलों ने लगाने व बेगार चुकाने से इनकार कर दिया। 1921 ई में [[मोतीलाल तेजावत]] ने इस आन्दोलन को नेतृत्व प्रदान किया। इस आन्दोलन को जनजातियों में राजनितिक जागरण का प्रतीक माना जाता है। यह आन्दोलन भोमट क्षेत्र के अतिरिक्त [[सिरोही]] व [[गुजरात]] राज्यों में भी फैला। इस आन्दोलन का कार्यक्षेत्र भोमट था इसलिए इस अन्दोलन को 'भोमट का भील आन्दोलन' भी कहते है। इस अहिंसात्मक आन्दोलन का श्रीगणेश फलासियाँ गाँव में हुआ। [[महात्मा गाँधी]] की सलाह पर 1929 में तेजावत जी ने आत्मसमर्पण कर दिया।
[[1917]] ई. में [[भील|भीलों]] व गरासियों ने मिलकर दमनकारी नीति व बेगार के विरुद्ध महाराणा को पत्र लिखा। इसका कोई परिणाम नहीं निकालता देखकर 1921 में [[बिजोलिया किसान आन्दोलन]] से प्रभावित होकर भीलों ने पुनः महाराणा को शिकायत की। इन सभी अहिंसात्मक प्रयासों को जब कोई परिणाम नहीं निकला तो भोमट के खालसा क्षेत्र के भीलों ने लगाने व बेगार चुकाने से इनकार कर दिया।  
 
==आन्दोलन क्षेत्र==
 
1921 ई में [[मोतीलाल तेजावत]] ने इस आन्दोलन को नेतृत्व प्रदान किया। इस आन्दोलन को जनजातियों में राजनितिक जागरण का प्रतीक माना जाता है। यह आन्दोलन भोमट क्षेत्र के अतिरिक्त [[सिरोही]] व [[गुजरात]] राज्यों में भी फैला। इस आन्दोलन का कार्यक्षेत्र भोमट था इसलिए इस अन्दोलन को 'भोमट का भील आन्दोलन' भी कहते है। इस अहिंसात्मक आन्दोलन का श्रीगणेश फलासियाँ गाँव में हुआ। [[महात्मा गाँधी]] की सलाह पर 1929 में तेजावत जी ने आत्मसमर्पण कर दिया।
 
 


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन}}
{{भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन}}
Line 16: Line 13:
[[Category:भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन]]
[[Category:भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Latest revision as of 08:04, 4 May 2014

1917 ई. में भीलों व गरासियों ने मिलकर दमनकारी नीति व बेगार के विरुद्ध महाराणा को पत्र लिखा। इसका कोई परिणाम नहीं निकालता देखकर 1921 में बिजोलिया किसान आन्दोलन से प्रभावित होकर भीलों ने पुनः महाराणा को शिकायत की। इन सभी अहिंसात्मक प्रयासों को जब कोई परिणाम नहीं निकला तो भोमट के खालसा क्षेत्र के भीलों ने लगाने व बेगार चुकाने से इनकार कर दिया।

आन्दोलन क्षेत्र

1921 ई में मोतीलाल तेजावत ने इस आन्दोलन को नेतृत्व प्रदान किया। इस आन्दोलन को जनजातियों में राजनितिक जागरण का प्रतीक माना जाता है। यह आन्दोलन भोमट क्षेत्र के अतिरिक्त सिरोहीगुजरात राज्यों में भी फैला। इस आन्दोलन का कार्यक्षेत्र भोमट था इसलिए इस अन्दोलन को 'भोमट का भील आन्दोलन' भी कहते है। इस अहिंसात्मक आन्दोलन का श्रीगणेश फलासियाँ गाँव में हुआ। महात्मा गाँधी की सलाह पर 1929 में तेजावत जी ने आत्मसमर्पण कर दिया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख