विषाद मठ -रांगेय राघव: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "श्रृंखला" to "शृंखला")
m (Text replacement - "शृंखला" to "श्रृंखला")
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 24: Line 24:
*प्रस्तुत उपन्यास तत्कालीन जनता का सच्चा इतिहास है।  
*प्रस्तुत उपन्यास तत्कालीन जनता का सच्चा इतिहास है।  
*इसमें एक भी अत्युक्ति नहीं, कहीं भी ज़बर्दस्ती अकाल की भीषणता को गढ़ने के लिए कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं। जो कुछ है, यदि सामान्य रुप से दिमाग में, बहुत अमानुषिक होने के कारण, आसानी से नहीं बैठता, तब भी अविश्वास की निर्बलता दिखाकर ही इतिहास को भी तो फुसलाया नहीं जा सकता।  
*इसमें एक भी अत्युक्ति नहीं, कहीं भी ज़बर्दस्ती अकाल की भीषणता को गढ़ने के लिए कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं। जो कुछ है, यदि सामान्य रुप से दिमाग में, बहुत अमानुषिक होने के कारण, आसानी से नहीं बैठता, तब भी अविश्वास की निर्बलता दिखाकर ही इतिहास को भी तो फुसलाया नहीं जा सकता।  
*‘विषाद मठ’ हमारे [[हिंदी साहित्य|भारतीय साहित्य]] की महान परंपरा की एक छोटी-सी कड़ी है। जीवन अपार है, अपार वेदना भी है, किंतु यह शृंखला भी अपना स्थायी महत्त्व रखती है।<ref>{{cite web |url=http://pustak.org/home.php?bookid=3374 |title=विषाद मठ |accessmonthday=23 जनवरी |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी }}</ref>
*‘विषाद मठ’ हमारे [[हिंदी साहित्य|भारतीय साहित्य]] की महान् परंपरा की एक छोटी-सी कड़ी है। जीवन अपार है, अपार वेदना भी है, किंतु यह श्रृंखला भी अपना स्थायी महत्त्व रखती है।<ref>{{cite web |url=http://pustak.org/home.php?bookid=3374 |title=विषाद मठ |accessmonthday=23 जनवरी |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी }}</ref>


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Latest revision as of 11:42, 9 February 2021

विषाद मठ -रांगेय राघव
लेखक रांगेय राघव
प्रकाशक किताबघर प्रकाशन
ISBN 81-7016-609-8
देश भारत
भाषा हिन्दी
प्रकार उपन्यास
टिप्पणी पुस्तक क्रं = 3374

'विषाद मठ' प्रसिद्ध साहित्यकार, कहानीकार और उपन्यासकार रांगेय राघव द्वारा लिखा गया उपन्यास है। यह उपन्यास 'किताबघर प्रकाशन' द्वारा प्रकाशित किया गया था। रांगेय राघव के अनुसार - 'जब मुग़लों का राज्य समाप्त होने को आया था तब बंगाल की हरी-भरी धरती पर अकाल पड़ा था। उस पर बंकिमचंद्र चटर्जी ने ‘आनंद मठ’ लिखा था। जब अँग्रेजों का राज्य समाप्त होने पर आया तब फिर बंगाल की हरी-भरी धरती पर अकाल पड़ा। उसका वर्णन करते हुए मैंने इसलिए इस पुस्तक को ‘विषाद मठ’ नाम दिया।'[1]

  • प्रस्तुत उपन्यास तत्कालीन जनता का सच्चा इतिहास है।
  • इसमें एक भी अत्युक्ति नहीं, कहीं भी ज़बर्दस्ती अकाल की भीषणता को गढ़ने के लिए कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं। जो कुछ है, यदि सामान्य रुप से दिमाग में, बहुत अमानुषिक होने के कारण, आसानी से नहीं बैठता, तब भी अविश्वास की निर्बलता दिखाकर ही इतिहास को भी तो फुसलाया नहीं जा सकता।
  • ‘विषाद मठ’ हमारे भारतीय साहित्य की महान् परंपरा की एक छोटी-सी कड़ी है। जीवन अपार है, अपार वेदना भी है, किंतु यह श्रृंखला भी अपना स्थायी महत्त्व रखती है।[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विषाद मठ (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 23 जनवरी, 2013।
  2. विषाद मठ (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 23 जनवरी, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख