भारत सरकार टकसाल, कोलकाता: Difference between revisions
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'''भारत सरकार टकसाल, कोलकाता''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''India Government Mint, Kolkata'') [[भारत प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड]] (एस.पी.एम.सी.आई.एल.) की एक इकाई है तथा [[भारत सरकार]] के पूर्ण स्वामित्वाधीन है। इसे कलकत्ता टकसाल भी कहा जाता है जो [[1952]] में बंद होकर वर्तमान में अलीपुर टकसाल के नाम से जानी जाती है। सन् 1757 में पुराने किले के एक भवन में स्थापित की गई थी जहां आजकल [[डाकघर]] (जीपीओ) है। इसे कलकत्ता टकसाल कहा जाता था जिसमें मुर्शीदाबाद नाम से सिक्के ढाले जाते थे। दूसरी कलकत्ता टकसाल गिलेट जहाज भवन संस्थान में स्थापित की गई और इस टकसाल में भी मुर्शीदाबाद के नाम से सिक्कों का उत्पादन जारी रहा। तीसरी कलकत्ता टकसाल स्ट्रेंड रोड पर 1 अगस्त, 1829 (चांदी टकसाल) से शुरू की गई। 1835 तक इस टकसाल से निकलने वाले सिक्कों पर मुर्शीदाबाद टकसाल का नाम ढाला जाता रहा। 1860 में चांदी टकसाल के उत्तर में केवल तांबे के सिक्के ढालने के लिए एक 'तांबा टकसाल' का निर्माण किया गया। [[चांदी]] और [[तांबा]] टकसालों में तांबे, चांदी और [[सोना|सोने]] के सिक्कों का उत्पादन किया जाता था। ब्रिटिश राज के दौरान सिक्के ढालने के अलावा कोलकाता टकसाल में पदकों एवं अलंकरणों का निर्माण भी किया जाता था। आज भी यहां पदकों का निर्माण किया जाता है। | |||
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भारत सरकार टकसाल, कोलकाता
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विवरण | भारत प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड की एक इकाई है जिसमें भारतीय मुद्रा के सिक्कों का निर्माण होता है। इसे कलकत्ता टकसाल भी कहा जाता है। 1952 में बंद होकर वर्तमान में यह अलीपुर टकसाल के नाम से जानी जाती है। |
स्थापना | सन् 1757 |
स्वामित्व | भारत सरकार |
विशेष | यह भारत की सबसे प्राचीन टकसाल है। |
संबंधित लेख | टकसाल, मुम्बई टकसाल, हैदराबाद टकसाल, नोएडा टकसाल |
अन्य जानकारी | सिक्कों के अतिरिक्त भारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्मश्री, परमवीर चक्र जैसे पदकों का निर्माण भी इसी टकसाल में होता है। |
बाहरी कड़ियाँ | आधिकारिक वेबसाइट |
भारत सरकार टकसाल, कोलकाता (अंग्रेज़ी: India Government Mint, Kolkata) भारत प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड (एस.पी.एम.सी.आई.एल.) की एक इकाई है तथा भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्वाधीन है। इसे कलकत्ता टकसाल भी कहा जाता है जो 1952 में बंद होकर वर्तमान में अलीपुर टकसाल के नाम से जानी जाती है। सन् 1757 में पुराने किले के एक भवन में स्थापित की गई थी जहां आजकल डाकघर (जीपीओ) है। इसे कलकत्ता टकसाल कहा जाता था जिसमें मुर्शीदाबाद नाम से सिक्के ढाले जाते थे। दूसरी कलकत्ता टकसाल गिलेट जहाज भवन संस्थान में स्थापित की गई और इस टकसाल में भी मुर्शीदाबाद के नाम से सिक्कों का उत्पादन जारी रहा। तीसरी कलकत्ता टकसाल स्ट्रेंड रोड पर 1 अगस्त, 1829 (चांदी टकसाल) से शुरू की गई। 1835 तक इस टकसाल से निकलने वाले सिक्कों पर मुर्शीदाबाद टकसाल का नाम ढाला जाता रहा। 1860 में चांदी टकसाल के उत्तर में केवल तांबे के सिक्के ढालने के लिए एक 'तांबा टकसाल' का निर्माण किया गया। चांदी और तांबा टकसालों में तांबे, चांदी और सोने के सिक्कों का उत्पादन किया जाता था। ब्रिटिश राज के दौरान सिक्के ढालने के अलावा कोलकाता टकसाल में पदकों एवं अलंकरणों का निर्माण भी किया जाता था। आज भी यहां पदकों का निर्माण किया जाता है।
अलीपुर टकसाल
1952 में इस टकसाल के बंद होने पर 19 मार्च, 1952 को तत्कालीन वित्त मंत्री सी. डी. देशमुख द्वारा वर्तमान अलीपुर टकसाल की शुरुआत की गई। तब से अलीपुर टकसाल में ढलाई और पदकों, अलंकरणों एवं बिल्ले तैयार किये जाते हैं। वर्तमान में इस टकसाल से नागरिक, सैन्य, खेलकूद, पुलिस आदि कई पदकों के निर्माण के साथ-साथ 1, 2, 5, 10 रुपये के सिक्कों का उत्पादन भी किया जाता है। इन पदकों में प्रमुख हैं- भारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्मश्री जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान एवं परमवीर चक्र आदि जैसे सैन्य सम्मान हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारत रत्न और पद्म पदकों का कोलकाता टकसाल में निर्माण (हिंदी) पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार। अभिगमन तिथि: 7 सितम्बर, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख