निकोलाओ मानुची: Difference between revisions
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'''निकोलाओ मानुची''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Niccolao Manucci'', 1639-1717 ई.) एक इतालवी लेखक और यात्री था। उसने [[मुग़ल साम्राज्य|मुग़ल]] दरबार में काम किया था। इसके अतिरिक्त वह [[दारा शिकोह]], [[शाहआलम द्वितीय|शाहआलम]], [[जयसिंह द्वितीय|राजा जयसिंह]] और कीरत सिंह के यहाँ भी रहा। | [[चित्र:Niccolao-Manucci.jpg|thumb|250px|निकोलाओ मानुची]] | ||
'''निकोलाओ मानुची''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Niccolao Manucci'', 1639-1717 ई.) एक इतालवी लेखक और यात्री था। उसने [[मुग़ल साम्राज्य|मुग़ल]] दरबार में काम किया था। इसके अतिरिक्त वह [[दारा शिकोह]], [[शाहआलम द्वितीय|शाहआलम]], [[जयसिंह द्वितीय|राजा जयसिंह]] और कीरत सिंह के यहाँ भी रहा।<br /> | |||
*[[मुग़ल]] बादशाह [[शाहजहाँ]] के शासन काल में अनेक [[विदेशी यात्री|विदेशी यात्रियों]] ने मुग़लकालीन भारत की यात्रा की। इन विदेशी यात्रियों में दो यात्री [[फ़्राँसीसी]] थे। [[जीन बैप्टिस्ट टॅवरनियर|जीन बपतिस्ते टेवर्नियर]], जो एक जौहरी था, ने शाहजहाँ और [[औरंगज़ेब]] के शासन काल में | <br /> | ||
*[[मुग़ल]] बादशाह [[शाहजहाँ]] के शासन काल में अनेक [[विदेशी यात्री|विदेशी यात्रियों]] ने मुग़लकालीन भारत की यात्रा की। इन विदेशी यात्रियों में दो यात्री [[फ़्राँसीसी]] थे। [[जीन बैप्टिस्ट टॅवरनियर|जीन बपतिस्ते टेवर्नियर]], जो एक जौहरी था, ने शाहजहाँ और [[औरंगज़ेब]] के शासन काल में छह बार [[मुग़ल साम्राज्य]] की यात्रा की। दूसरा यात्री [[फ्रेंसिस बर्नियर]] था, जो एक फ़्राँसीसी चिकित्सक था। इस काल में आने वाले दो इतालवी यात्री पीटर मुंडी और निकोलाओ मानुची थे। मानुची मुग़ल साम्राज्य में घटने वाली अनेक घटनाओं का प्रत्यक्षदर्शी था, विशेषतः मुग़ल गद्दी के लिए हुए उत्तराधिकार के युद्ध का। उसने ‘स्टोरियो डी मोगोर’ नामक अपने यात्रा वृत्तांत में समकालीन इतिहास का बहुत सुन्दर वर्णन किया है। | |||
*[[राजाराम|राजाराम जाट]] ने [[आगरा]] के समीप निर्मित सम्राट [[अकबर]] के भव्य एवं विशाल मकबरे को तोड़फोड़ कर वहां पर सुसज्जित बहुमूल्य साज-सामान लूट लिया था व कब्रों को खोदकर सम्राट अकबर व [[जहाँगीर]] के अवशेषों (अस्ति-पंजरों) को निकालकर अग्नि को समर्पित कर दिया था। इसकी पुष्टि तत्कालीन फ्रेंच यात्री निकोलाओ मानुची के यात्रा विवरण के निम्नांकित उल्लेख से भी होती है, उसने लिखा है<ref>{{cite web |url=http://loksamachar.in/%E0%A4%94%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%9C%E0%A5%87%E0%A4%AC-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%A6%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%AF/2/ |title=औरंगजेब की दमनकारी नीतियों के विरोध में इस वीर ने खोद डाली थी अकबर की समाधि |accessmonthday=20 अप्रॅल |accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=loksamachar.in |language= हिंदी}}</ref>– | *[[राजाराम|राजाराम जाट]] ने [[आगरा]] के समीप निर्मित सम्राट [[अकबर]] के भव्य एवं विशाल मकबरे को तोड़फोड़ कर वहां पर सुसज्जित बहुमूल्य साज-सामान लूट लिया था व कब्रों को खोदकर सम्राट अकबर व [[जहाँगीर]] के अवशेषों (अस्ति-पंजरों) को निकालकर अग्नि को समर्पित कर दिया था। इसकी पुष्टि तत्कालीन फ्रेंच यात्री निकोलाओ मानुची के यात्रा विवरण के निम्नांकित उल्लेख से भी होती है, उसने लिखा है<ref>{{cite web |url=http://loksamachar.in/%E0%A4%94%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%9C%E0%A5%87%E0%A4%AC-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%A6%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%AF/2/ |title=औरंगजेब की दमनकारी नीतियों के विरोध में इस वीर ने खोद डाली थी अकबर की समाधि |accessmonthday=20 अप्रॅल |accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=loksamachar.in |language= हिंदी}}</ref>– |
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thumb|250px|निकोलाओ मानुची
निकोलाओ मानुची (अंग्रेज़ी: Niccolao Manucci, 1639-1717 ई.) एक इतालवी लेखक और यात्री था। उसने मुग़ल दरबार में काम किया था। इसके अतिरिक्त वह दारा शिकोह, शाहआलम, राजा जयसिंह और कीरत सिंह के यहाँ भी रहा।
- मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के शासन काल में अनेक विदेशी यात्रियों ने मुग़लकालीन भारत की यात्रा की। इन विदेशी यात्रियों में दो यात्री फ़्राँसीसी थे। जीन बपतिस्ते टेवर्नियर, जो एक जौहरी था, ने शाहजहाँ और औरंगज़ेब के शासन काल में छह बार मुग़ल साम्राज्य की यात्रा की। दूसरा यात्री फ्रेंसिस बर्नियर था, जो एक फ़्राँसीसी चिकित्सक था। इस काल में आने वाले दो इतालवी यात्री पीटर मुंडी और निकोलाओ मानुची थे। मानुची मुग़ल साम्राज्य में घटने वाली अनेक घटनाओं का प्रत्यक्षदर्शी था, विशेषतः मुग़ल गद्दी के लिए हुए उत्तराधिकार के युद्ध का। उसने ‘स्टोरियो डी मोगोर’ नामक अपने यात्रा वृत्तांत में समकालीन इतिहास का बहुत सुन्दर वर्णन किया है।
- राजाराम जाट ने आगरा के समीप निर्मित सम्राट अकबर के भव्य एवं विशाल मकबरे को तोड़फोड़ कर वहां पर सुसज्जित बहुमूल्य साज-सामान लूट लिया था व कब्रों को खोदकर सम्राट अकबर व जहाँगीर के अवशेषों (अस्ति-पंजरों) को निकालकर अग्नि को समर्पित कर दिया था। इसकी पुष्टि तत्कालीन फ्रेंच यात्री निकोलाओ मानुची के यात्रा विवरण के निम्नांकित उल्लेख से भी होती है, उसने लिखा है[1]–
‘The Sikandara was looted by jats in march 1688 A.D. Even the skelaton of Akbar the great, was taken out and the bones were consumed to flames‘ [2]
- प्रसिद्ध अंग्रेज़ इतिहास लेखक विन्सेंट स्मिथ ने भी अपनी पुस्तक 'अकबर दी ग्रेट मुग़ल' में निकोलाओ मानुची के उल्लेख की पुष्टि करते हुए लिखा है–
‘बादशाह औरंगज़ेब जब दक्षिण में मराठा युद्ध में सलंग्न था, मथुरा क्षेत्र के उपद्रवी जाटों ने सम्राट अकबर का मकबरा तोड़ डाला। उसकी कब्र खोदकर उसके अवशेष अग्नि में जला डाले।'[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 51 |
- ↑ औरंगजेब की दमनकारी नीतियों के विरोध में इस वीर ने खोद डाली थी अकबर की समाधि (हिंदी) loksamachar.in। अभिगमन तिथि: 20 अप्रॅल, 2018।
- ↑ Storia-Mogor by Manucci
- ↑ Akbar the great mugal-P328, vincent smith