राधाबाई सुबारायन: Difference between revisions
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'''राधाबाई सुबारायन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Radhabai Subbarayan'', जन्म- [[22 अप्रॅल]], [[1891]]; मृत्यु- [[1960]]) भारतीय महिला राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक तथा महिला अधिकारों के लिये कार्य करने वाली कार्यकर्ता थीं। उन्होंने अखिल भारतीय महिला सम्मेलन के सदस्य के रूप में भी काम किया। वर्ष [[1938]] में राधाबाई सुबारायन निर्विवाद रूप से राज्य परिषद के लिए चुनी गई थीं और इस प्रकार वे [[भारत]] की पहली महिला सांसद बनीं। | {{सूचना बक्सा राजनीतिज्ञ | ||
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}}'''कैलाश राधाबाई सुबारायन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Kailash Radhabai Subbarayan'', जन्म- [[22 अप्रॅल]], [[1891]]; मृत्यु- [[1 जनवरी]], [[1960]]) भारतीय महिला राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक तथा महिला अधिकारों के लिये कार्य करने वाली कार्यकर्ता थीं। उन्होंने अखिल भारतीय महिला सम्मेलन के सदस्य के रूप में भी काम किया। वर्ष [[1938]] में राधाबाई सुबारायन निर्विवाद रूप से राज्य परिषद के लिए चुनी गई थीं और इस प्रकार वे [[भारत]] की पहली महिला सांसद बनीं। | |||
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राधाबाई सुबारायन का जन्म 22 अप्रैल, 1891 को [[मंगलोर]], [[कर्नाटक]] में हुआ था। उनका पूरा नाम कैलाश राधाबाई सुबारायन था। उनके [[पिता]] का नाम राओ साहिब कुदमुल रंगा राओ था। राधाबाई सुबारायन राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ समाज सुधारक भी थीं। उन्होंने महिला अधिकारों के लिए काम किया था। उनका [[विवाह]] पी. सुबारायन से हुआ था। सन [[1912]] में उनके पति मृत्यु को प्राप्त हो गए।<ref name="pp">{{cite web |url=https://jivanihindi.com/radhabai-subbarayan-ki-jivani/ |title=राधाबाई सुबारायन की जीवनी|accessmonthday=26 अगस्त|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=jivanihindi.com |language=हिंदी}}</ref> | |||
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==योगदान== | ==योगदान== | ||
राधाबाई सुबारायन 'आल इंडिया वूमेन कॉन्फ्रेंस' की सदस्य थीं। सन [[1930]] में उन्होंने बेगम शाहनवाज के साथ [[लंदन]] में [[प्रथम | राधाबाई सुबारायन 'आल इंडिया वूमेन कॉन्फ्रेंस' की सदस्य थीं। सन [[1930]] में उन्होंने बेगम शाहनवाज के साथ [[लंदन]] में [[प्रथम गोलमेज सम्मेलन]] में भारतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए भाग लिया और इसके बाद में उन्होंने [[द्वितीय गोलमेज सम्मेलन]] में भी भाग लिया और महिलाओं के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण की भी मांग की। सन [[1937]] में राधाबाई सुबारायन जनरल सीट के लिए इंडियन नेशनल कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़ना चाहती थीं लेकिन मद्रास प्रोविंशियल रिसेप्शन समिति के चेयरमैन ने उन्हें समर्थन देने से इंकार कर दिया और उनके स्थान पर पार्टी के एक पुरुष कार्यकर्ता को समर्थन दिया गया। | ||
==भारत की पहली महिला सांसद== | ==भारत की पहली महिला सांसद== | ||
जब राधाबाई सुबारायन ने ये मुद्दा [[सी. राजगोपालाचारी]] के सामने उठाया तो उन्होंने कहा कि "हम पार्टी की एकता के साथ कोई खिलवाड़ नहीं कर सकते | जब राधाबाई सुबारायन ने ये मुद्दा [[सी. राजगोपालाचारी]] के सामने उठाया तो उन्होंने कहा कि- "हम पार्टी की एकता के साथ कोई खिलवाड़ नहीं कर सकते हैं और मैं नहीं मानता कि आधुनिक और अग्रिम महिलाओं को राजनीतिक समर्थन सिर्फ इसलिए चाहिए कि वो महिला हैं"। इसके बावजूद राधाबाई सुबारायन ने [[1938]] में फिर से चुनाव लड़ा और निर्विवाद राज्य परिषद के लिए चुन ली गईं। इस प्रकार वे '''भारत की पहली महिला सांसद''' बन गईं।<ref name="pp"/> | ||
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राधाबाई सुबारायन
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पूरा नाम | कैलाश राधाबाई सुबारायन |
जन्म | 22 अप्रॅल, 1891 |
मृत्यु | 1 जनवरी, 1960 |
अभिभावक | पिता- राओ साहिब कुदमुल रंगाराओ |
पति/पत्नी | पी. सुबारायन |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | भारत की प्रथम महिला सांसद |
विद्यालय | प्रेसीडेंसी कॉलेज, मद्रास समरविले कॉलेज,ऑक्सफ़ोर्ड |
संबंधित लेख | प्रथम गोलमेज सम्मेलन, द्वितीय गोलमेज सम्मेलन |
अन्य जानकारी | सन 1930 में राधाबाई सुबारायन ने बेगम शाहनवाज के साथ लंदन में प्रथम गोलमेज सम्मेलन में भारतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए भाग लिया था। |
कैलाश राधाबाई सुबारायन (अंग्रेज़ी: Kailash Radhabai Subbarayan, जन्म- 22 अप्रॅल, 1891; मृत्यु- 1 जनवरी, 1960) भारतीय महिला राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक तथा महिला अधिकारों के लिये कार्य करने वाली कार्यकर्ता थीं। उन्होंने अखिल भारतीय महिला सम्मेलन के सदस्य के रूप में भी काम किया। वर्ष 1938 में राधाबाई सुबारायन निर्विवाद रूप से राज्य परिषद के लिए चुनी गई थीं और इस प्रकार वे भारत की पहली महिला सांसद बनीं।
जन्म
राधाबाई सुबारायन का जन्म 22 अप्रैल, 1891 को मंगलोर, कर्नाटक में हुआ था। उनका पूरा नाम कैलाश राधाबाई सुबारायन था। उनके पिता का नाम राओ साहिब कुदमुल रंगा राओ था। राधाबाई सुबारायन राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ समाज सुधारक भी थीं। उन्होंने महिला अधिकारों के लिए काम किया था। उनका विवाह पी. सुबारायन से हुआ था। सन 1912 में उनके पति मृत्यु को प्राप्त हो गए।[1]
शिक्षा
राधाबाई सुबारायन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मंगलोर के एक स्कूल से पूरी की और उसके बाद में स्नातक की शिक्षा प्रेसीडेंसी कॉलेज, मद्रास (वर्तमान चेन्नई) से प्राप्त की और परास्नातक समरविले कॉलेज,ऑक्सफ़ोर्ड से ग्रहण की।
योगदान
राधाबाई सुबारायन 'आल इंडिया वूमेन कॉन्फ्रेंस' की सदस्य थीं। सन 1930 में उन्होंने बेगम शाहनवाज के साथ लंदन में प्रथम गोलमेज सम्मेलन में भारतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए भाग लिया और इसके बाद में उन्होंने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भी भाग लिया और महिलाओं के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण की भी मांग की। सन 1937 में राधाबाई सुबारायन जनरल सीट के लिए इंडियन नेशनल कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़ना चाहती थीं लेकिन मद्रास प्रोविंशियल रिसेप्शन समिति के चेयरमैन ने उन्हें समर्थन देने से इंकार कर दिया और उनके स्थान पर पार्टी के एक पुरुष कार्यकर्ता को समर्थन दिया गया।
भारत की पहली महिला सांसद
जब राधाबाई सुबारायन ने ये मुद्दा सी. राजगोपालाचारी के सामने उठाया तो उन्होंने कहा कि- "हम पार्टी की एकता के साथ कोई खिलवाड़ नहीं कर सकते हैं और मैं नहीं मानता कि आधुनिक और अग्रिम महिलाओं को राजनीतिक समर्थन सिर्फ इसलिए चाहिए कि वो महिला हैं"। इसके बावजूद राधाबाई सुबारायन ने 1938 में फिर से चुनाव लड़ा और निर्विवाद राज्य परिषद के लिए चुन ली गईं। इस प्रकार वे भारत की पहली महिला सांसद बन गईं।[1]
मृत्यु
सन 1 जनवरी, 1960[2] में राधाबाई सुबारायन की मृत्यु हो गई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 राधाबाई सुबारायन की जीवनी (हिंदी) jivanihindi.com। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2021।
- ↑ Radhabai Subbarayan (हिंदी) howold.co। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2021।
संबंधित लेख
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