आश्विन: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==")
Line 25: Line 25:
}}
}}


{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>

Revision as of 08:25, 21 March 2011

  • हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष के सातवें माह का नाम आश्विन है।
  • आश्विन मास को क्वार भी कहा जाता है।
  • आश्विन मास में अनेक व्रत तथा उत्सव होते हैं।
  • विष्णुधर्मसूत्र [1] में स्पष्ट कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति इस मास में प्रतिदिन घृत का दान करे तो वह न केवल अश्विनी को संतुष्ट करेगा अपितु सौन्दर्य भी प्राप्त करेगा।
  • ब्राह्मणों को गोदुग्ध अथवा गोदुग्ध से बनी अन्य वस्तुओं सहित भोजन कराने से उसे राज्य की प्राप्ति होगी।
  • आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को पौत्र द्वारा, जिसके पिता जीवित हों, अपने पितामह तथा पितामही के श्राद्ध का विधान है।
  • इसी दिन नवरात्र प्रारम्भ होता है।
  • शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को सती (भगवती पार्वती) का पूजन करना चाहिए।
  • अर्ध्य, मधुपर्क, पुष्प इत्यादि वस्तुओं द्वारा धार्मिक, पतिव्रता तथा सधवा स्त्रियों के प्रति क्रमश:, जिनमें माता-बहिन तथा अन्य पूज्य सभी स्त्रियाँ आ जाती हैं, सम्मान प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
  • पंचमी के दिन कुश के बनाये हुए नाग तथा इन्द्राणी का पूजन करना चाहिए।
  • शुक्ल पक्ष की किसी शुभ तिथि कल्याणकारी नक्षत्र और मुहूर्त में सुधान्य से परिपूरित क्षेत्र में जाकर संगीत तथा नृत्य का विधान है। वहीं पर पूजन इत्यादि करके नव धान्य का दही के साथ सेवन करना चाहिए। नवीन अंगूर भी खाने का विधान है।
  • शुक्ल पक्ष में जिस समय स्वाति नक्षत्र हो, उस दिन सूर्य तथा घोड़े की पूजा की जाए, क्योंकि इसी दिन 'उच्चै:श्रवा' सूर्य को ढोकर ले गया था।
  • शुक्ल पक्ष में उस दिन जिसमें मूल नक्षत्र हो, सरस्वती का आवाहन करके, पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में ग्रन्थों में उसकी स्थापना करके, उत्तराषाढ़ में नैवेद्यदि की भेंटकर, श्रवण में उसका विसर्जन कर दिया जाए। उस दिन अनध्याय रहें, लिखना-पढ़ना, अध्यापन आदि सभी वर्जित है।
  • तमिलनाडु में आश्विन शुक्ल नवमी के दिन ग्रन्थों में सरस्वती की स्थापना करके पूजा की जाती है।
  • तुला मास (आश्विन मास) कावेरी में स्नान करने के लिए बड़ा पवित्र माना गया है।
  • अमावस्या के दिन भी कावेरी नदी में एक विशेष स्नान का आयोजन किया जाता है।[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विष्णुधर्मसूत्र (90.24.25)
  2. निर्णयसिन्धु, पुरुषार्थचिन्तामणि, स्मृतिकौस्तुभ आदि

संबंधित लेख