User:प्रीति चौधरी/अभ्यास पन्ना1: Difference between revisions
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-लक्ष्मी नारायण लाल | -लक्ष्मी नारायण लाल | ||
-गोविन्द वल्लभ पंत | -गोविन्द वल्लभ पंत | ||
||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|100px|right|जयशंकर प्रसाद]]जयशंकर प्रसाद की शिक्षा घर पर ही आरम्भ हुई। संस्कृत, हिन्दी, फ़ारसी, उर्दू के लिए शिक्षक नियुक्त थे। इनमें रसमय सिद्ध प्रमुख थे। प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों के लिए दीनबन्धु ब्रह्मचारी शिक्षक थे। कुछ समय के बाद स्थानीय क्वीन्स कॉलेज में प्रसाद का नाम लिख दिया गया, पर यहाँ पर वे आठवीं कक्षा तक ही पढ़ सके। | ||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|100px|right|जयशंकर प्रसाद]]जयशंकर प्रसाद की शिक्षा घर पर ही आरम्भ हुई। संस्कृत, हिन्दी, फ़ारसी, उर्दू के लिए शिक्षक नियुक्त थे। इनमें रसमय सिद्ध प्रमुख थे। प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों के लिए दीनबन्धु ब्रह्मचारी शिक्षक थे। कुछ समय के बाद स्थानीय क्वीन्स कॉलेज में प्रसाद का नाम लिख दिया गया, पर यहाँ पर वे आठवीं कक्षा तक ही पढ़ सके। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]] | ||
{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]] | |||
{'श्रद्धा' किस कृति की नायिका है? | {'श्रद्धा' किस कृति की नायिका है? | ||
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-[[रामायण]] | -[[रामायण]] | ||
-[[साकेत]] | -[[साकेत]] | ||
||[[चित्र:Kamayani.jpg|thumb|100px|right|कामायनी]]'कामायनी' की कथा पन्द्रह सगों में विभक्त है, जिनका नामकरण चिंता, आशा, श्रद्धा, काम, वासना, लज्जा आदि मनोविकारों के नाम पर हुआ है। 'कामायनी' आदि मानव की कथा तो है ही, पर इसके माध्यम से कवि ने अपने युग के महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर विचार भी किया है। | ||[[चित्र:Kamayani.jpg|thumb|100px|right|कामायनी]]'कामायनी' की कथा पन्द्रह सगों में विभक्त है, जिनका नामकरण चिंता, आशा, श्रद्धा, काम, वासना, लज्जा आदि मनोविकारों के नाम पर हुआ है। 'कामायनी' आदि मानव की कथा तो है ही, पर इसके माध्यम से कवि ने अपने युग के महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर विचार भी किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कामायनी]] | ||
{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कामायनी]] | |||
{'आकाशदीप' कहानी के लेखक हैं- | {'आकाशदीप' कहानी के लेखक हैं- | ||
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+[[जयशंकर प्रसाद]] | +[[जयशंकर प्रसाद]] | ||
-[[अमृत राय]] | -[[अमृत राय]] | ||
||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|100px|right|जयशंकर प्रसाद]]जयशंकgर प्रसाद की शिक्षा घर पर ही आरम्भ हुई। संस्कृत, हिन्दी, फ़ारसी, उर्दू के लिए शिक्षक नियुक्त थे। इनमें रसमय सिद्ध प्रमुख थे। प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों के लिए दीनबन्धु ब्रह्मचारी शिक्षक थे। कुछ समय के बाद स्थानीय क्वीन्स कॉलेज में प्रसाद का नाम लिख दिया गया, पर यहाँ पर वे आठवीं कक्षा तक ही पढ़ सके। | ||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|100px|right|जयशंकर प्रसाद]]जयशंकgर प्रसाद की शिक्षा घर पर ही आरम्भ हुई। संस्कृत, हिन्दी, फ़ारसी, उर्दू के लिए शिक्षक नियुक्त थे। इनमें रसमय सिद्ध प्रमुख थे। प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों के लिए दीनबन्धु ब्रह्मचारी शिक्षक थे। कुछ समय के बाद स्थानीय क्वीन्स कॉलेज में प्रसाद का नाम लिख दिया गया, पर यहाँ पर वे आठवीं कक्षा तक ही पढ़ सके।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]] | ||
{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]] | |||
{आचार्य रामचन्द्र शुल्क के निबन्ध संग्रह का नाम है- | {आचार्य रामचन्द्र शुल्क के निबन्ध संग्रह का नाम है- |
Revision as of 06:44, 12 August 2011
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