User:लक्ष्मी गोस्वामी/अभ्यास6: Difference between revisions
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||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|100px|right|जयशंकर प्रसाद]]प्रसाद जी की रचनाओं में जीवन का विशाल क्षेत्र समाहित हुआ है। प्रेम, सौन्दर्य, देश-प्रेम, रहस्यानुभूति, दर्शन, प्रकृति चित्रण और धर्म आदि विविध विषयों को अभिनव और आकर्षक भंगिमा के साथ आपने काव्यप्रेमियों के सम्मुख प्रस्तुत किया है। ये सभी विषय कवि की शैली और भाषा की असाधारणता के कारण अछूते रूप में सामने आये हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]] | ||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|100px|right|जयशंकर प्रसाद]]प्रसाद जी की रचनाओं में जीवन का विशाल क्षेत्र समाहित हुआ है। प्रेम, सौन्दर्य, देश-प्रेम, रहस्यानुभूति, दर्शन, प्रकृति चित्रण और धर्म आदि विविध विषयों को अभिनव और आकर्षक भंगिमा के साथ आपने काव्यप्रेमियों के सम्मुख प्रस्तुत किया है। ये सभी विषय कवि की शैली और भाषा की असाधारणता के कारण अछूते रूप में सामने आये हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]] | ||
{'श्रद्धा' किस कृति की नायिका है? | {'श्रद्धा' किस कृति की नायिका है? | ||
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+[[कामायनी]] | +[[कामायनी]] | ||
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||[[चित्र:Kamayani.jpg|thumb|100px|right|कामायनी]]'कामायनी' की कथा पन्द्रह सगों में विभक्त है, जिनका नामकरण चिंता, आशा, श्रद्धा, काम, वासना, लज्जा आदि मनोविकारों के नाम पर हुआ है। 'कामायनी' आदि मानव की कथा तो है ही, पर इसके माध्यम से कवि ने अपने युग के महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर विचार भी किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कामायनी]] | ||[[चित्र:Kamayani.jpg|thumb|100px|right|कामायनी]]'कामायनी' की कथा पन्द्रह सगों में विभक्त है, जिनका नामकरण चिंता, आशा, श्रद्धा, काम, वासना, लज्जा आदि मनोविकारों के नाम पर हुआ है। 'कामायनी' आदि मानव की कथा तो है ही, पर इसके माध्यम से कवि ने अपने युग के महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर विचार भी किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कामायनी]] | ||
{[[हिन्दी]] नाटकों के मंचन में 'यक्षगान' का प्रयोग किसने किया है? | {[[हिन्दी]] नाटकों के मंचन में 'यक्षगान' का प्रयोग किसने किया है? | ||
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+गिरीश कर्नाड | +गिरीश कर्नाड | ||
Line 57: | Line 57: | ||
-कुटिल लिपि | -कुटिल लिपि | ||
+[[ब्राह्मी लिपि]] | +[[ब्राह्मी लिपि]] | ||
||[[चित्र:Brahmi Lipi-1.jpg|thumb|100px|right|]] | ||[[चित्र:Brahmi Lipi-1.jpg|thumb|100px|right|]]ब्राह्मी लिपि एक प्राचीन लिपि है जिससे कई एशियाई लिपियों का विकास हुआ है। प्राचीन ब्राह्मी लिपि के उत्कृष्ट उदाहरण सम्राट [[अशोक]] (असोक) द्वारा ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में बनवाये गये शिलालेखों के रूप में अनेक स्थानों पर मिलते हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ब्राह्मी लिपि]] | ||
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-बीभत्स | -बीभत्स | ||
{माधुर्य गुण का किस रस में प्रयोग होता है? | {माधुर्य गुण का किस [[रस]] में प्रयोग होता है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[शांत रस]] | -[[शांत रस]] | ||
Line 82: | Line 82: | ||
-[[रौद्र रस]] | -[[रौद्र रस]] | ||
{ | {नवल सुन्दर श्याम में कौन-सा अलंकार है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[रूपक अलंकार]] | -[[रूपक अलंकार]] | ||
+ | +उल्लेख अलंकार | ||
-[[उपमा अलंकार]] | -[[उपमा अलंकार]] | ||
-[[यमक अलंकार]] | -[[यमक अलंकार]] |
Revision as of 06:24, 24 August 2011
हिन्दी
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