भँवरगीत: Difference between revisions
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Revision as of 09:44, 6 October 2011
भँवरगीत में नंददास ने कृष्ण कथा के उद्धव गोपी सम्बंधी प्रसिद्ध प्रसंग को एक स्वतंत्र खण्ड काव्य के रूप में रचा है। इस रचना में पर्याप्त नाटकीयता, विषया की स्पष्टता, भाषा की सरलता और प्रांजलता, कथा की क्रमबद्धता और छंद की अनूठी मनोहारिता है। यह अवश्य है कि इसमें वैसी रसवत्ता और भाव की तल्लीनता नहीं मिलती, जैसी कि सूरदास के 'भ्रमर गीत' के पदों में पायी जाती है। नंददास की रचना में बुद्धि और तर्क की प्रधानता है। नंददास की गोपिकाएँ अध्यात्म और न्याय दर्शन की सहायता से उद्धव को परास्त करने का प्रयत्न करती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 2 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 279।