नागार्जुनकोंडा: Difference between revisions

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'''नागार्जुनकोंडा''' [[आंध्र प्रदेश]] राज्य के [[नलगोंडा ज़िला|नलगोंडा ज़िले]] में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है।
'''नागार्जुनकोंडा''' [[आंध्र प्रदेश]] राज्य के [[नलगोंडा ज़िला|नलगोंडा ज़िले]] में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। नागार्जुनकोण्डा स्तूप [[1926]] में खोजा गया था। इसका निर्माण इक्ष्वाकु वंशीय शासकों ने किया थां।
*[[हैदराबाद]] से 100 मील दक्षिण-पूर्व की ओर स्थित नागार्जुनकोंडा एक प्राचीन स्थान है।  
*[[हैदराबाद]] से 100 मील दक्षिण-पूर्व की ओर स्थित नागार्जुनकोंडा एक प्राचीन स्थान है।  
*यह [[बौद्ध]] महायान के प्रसिद्ध [[नागार्जुन बौद्धाचार्य|आचार्य नागार्जुन]] (द्वितीय शताब्दी) ई. के नाम पर प्रसिद्ध है।  
*यह [[बौद्ध]] महायान के प्रसिद्ध [[नागार्जुन बौद्धाचार्य|आचार्य नागार्जुन]] (द्वितीय शताब्दी) ई. के नाम पर प्रसिद्ध है।  

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नागार्जुनकोंडा आंध्र प्रदेश राज्य के नलगोंडा ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। नागार्जुनकोण्डा स्तूप 1926 में खोजा गया था। इसका निर्माण इक्ष्वाकु वंशीय शासकों ने किया थां।

  • हैदराबाद से 100 मील दक्षिण-पूर्व की ओर स्थित नागार्जुनकोंडा एक प्राचीन स्थान है।
  • यह बौद्ध महायान के प्रसिद्ध आचार्य नागार्जुन (द्वितीय शताब्दी) ई. के नाम पर प्रसिद्ध है।
  • प्रथम शताब्दी में यहाँ सातवाहन नरेशों का राज्य था।
  • 'हाल' नामक सातवाहन राजा ने नागार्जुन के लिए श्री पर्वत शिखर पर एक विहार बनवाया था।
  • यह स्थान बौद्ध धर्म की महायान शाखा का भी काफ़ी समय तक प्रचार केन्द्र रहा।
  • सातवाहनों के पश्चात इक्ष्वाकु नरेशों ने यहाँ राज्य किया।
  • नागार्जुनकोंडा इक्ष्वाकु राजाओं के समय एक सुन्दर नगर था।
  • कृष्णा नदी के तट पर स्थित तथा चतुर्दिक पर्वत मालाओं से परिवृत्त यह नगर प्राकृतिक सौन्दर्य से समंवित होने के साथ ही दुर्भेद्य दुर्ग की भाँति सुरक्षित भी था।
  • यहाँ से नौ बौद्ध स्तूपों के अवशेष लगभग 50 वर्ष पूर्व उत्खनित किये गये थे।
  • ये इस नगर के प्राचीन गौरव एवं ऐश्वर्य के साक्षी हैं।
  • उत्खनन में प्राप्त यहाँ के अवशेषों में एक स्तूप, दो चैत्य और एक विहार हैं।
  • स्तूप के निकट बुद्ध के जीवन के दृश्यों को व्यक्त करने वाले चूने के पत्थर के टुकड़े मिले हैं।
  • हिन्दू धर्म के पुनरुत्थान से नागार्गुनकोंडा का महत्त्व घटने लगा।
  • नागार्जुनकोंडा से प्राप्त अभिलेखों से यह ज्ञात होता है, कि पहली शताब्दी ई. में भारत का चीन, यूनानी जगत तथा लंका से सम्बन्ध स्थापित था।
  • नागार्जुनकोंडा के एक अभिलेख से स्थविरों के संघों का ज्ञान होता है, जिन्होंने कश्मीर, गांधार, चीन, किरात, तोसलि, यवन, ताम्रपर्णी द्वीपों में बौद्ध धर्म फैलाया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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